नक्सलियों के स्लीपिंग सेलों पर कार्रवाई

Publsihed: 28.Aug.2018, 22:17

अजय सेतिया / नरेंद्र मोदी को जो कदम शुरू में उठाना चाहिए था, वह आखिर में उठा रहे हैं | अपनी सरकार के आख़िरी साल में नक्सलियों के स्लीपिंग सेलों की धरपकड शुरू की है | कश्मीर में मौजूद आतंकवादियों के स्लीपिंग सेल हुर्रियत पर भी बहुत लेट कार्रवाई शुरू की थी | मंगलवार को देश भर में कई जगह छापे मारे गए | जिनमें जाने माने सफेदपोश नक्सली पकडे गए हैं | इन में प्रमुख है वरवर राव, सुधीर धावले, सुद्धा भारद्वाज , सुरेन्द्र गद्लिंग , महेश राउत , रोना विल्सन | सब से ज्यादा चर्चित स्वामी अग्निवेश पता नहीं अभी तक क्यों नहीं धरा गया | ये सब नक्सलियों के स्लीपिंग सेल हैं | आतंकवादियों और नक्सलियों के स्लीपिंग सेल हमेशा मौजूद रहे हैं | वामपंथियों के समर्थन की दरकार होने के कारण कांग्रेस हमेशा उन के प्रति नर्म रही | भले इन्हीं नक्सलियों ने छतीसगढ़ में समूचे कांग्रेस नेतृत्व का सफाया कर दिया था | मंगलवार को भी जब इन शहरी नक्सलियों की गिरफ्तारी हुई तो कांग्रेस ने इसे लोकतंत्र पर हमला कहा | वामपंथियों ने वही मानवाधिकार हनन और लोकतांत्रिक अधिकारों वाले जुमले दोहराए |

अपन को वामपंथी विचारधारा के जितने भी प्रोफेसर और पत्रकार दिखते हैं | वे सभी नक्सलियों के भी समर्थक होते हैं | वे छतीसगढ़,झारखंड,आंध्र प्रदेश में हुई हर नक्सली हिंसा पर किन्तु परन्तु लगा कर समर्थन करते हैं | लोक दिखावे के लिए जनसरोकार जैसे लोकलुभावन शब्दों का इस्तेमाल होता हैं | चुनावी राजनीति में आए वामपंथी रात के अँधेरे में माओवादियों का समर्थन करते हैं | उन्हें हर तरह की मदद भी पहुंचाते हैं | मंगलवार को माओवादी विचारक वरवर राव समेत नक्सलियों के स्लीपिंग सेलों की गिरफ्तारी शुरू हुई | तो वामपंथी दलों के नेताओं को खुल कर उन के समर्थन में बोलते देखा गया | मोदी के पीएम बनने से कांग्रेस और बाकी विरोधी उतने बेचैन नहीं , जितने नक्सली और आतंकी हैं | अपन इन दोनों की पहचान हिंसक वामपंथियों और कट्टर मुस्लिमों के तौर पर कर सकते हैं | इन दोनों का मकसद भारत से हिंदुत्व को खत्म करना है | इस लिए जब से हिंदूवादी सरकार आई है, तब से इन का गठजोड़ मजबूत हुआ है |

जवाहर लाल नेहरु यूनिवर्सिटी उन दोनों तरह के भारत तोडकों की शरण-स्थली है | जेएनयूं के वामपंथी किसी भी नक्सली को सुनने के लिए बेताब रहते हैं | पर कश्मीरी पंडितों की आवाज उठाने वाले अनुपम खैर का विरोध करते हैं | बाबा रामदेव का बायकाट करते हैं | इन्हें अपन शहरी नक्सली कह सकते हैं | जो शहरों में बुद्धिजीवी का चौगा पहने रहते हैं , और पूंजीवाद की खिलाफत के नाम पर नक्सलियों का समर्थन करते हैं | मानवाधिकार के नाम पर आतंकवादियों का समर्थन करते हैं | हैदरावाद में वेमूला के नाम पर फर्जी दलित आन्दोलन इन्हीं का खड़ा किया हुआ था | भीमा कोरेगांव का हिंसक आन्दोलन भी इन्हीं की साजिश थी | सबूत है नक्सलियों की शरण स्थली जेएनयू में भारत तोड़ने के नारे लगना | जिस में मुस्लिम आतंकियों और नक्सलियों का गठजोड़ था | मोदी ने नोटबंदी करते समय दावा किया था कि इस से दोनों की कमर टूटेगी | वह कमर टूटी भी , इस लिए मोदी के पूरे शासनकाल में देश में आतंकवाद की एक वारदात नहीं हुई |

इसलिए नक्सलियों का निशाना नरेंद्र मोदी बने हुए हैं | पुणे पुलिस ने जून में पांच लोगों को भीमा कोरेगांव हिंसा से जुड़े मामले में गिरफ्तार किया था | इन्हीं में से एक के घर से मोदी की हत्या की साजिश वाली एक चिठ्ठी मिली थी | चिठ्ठी में मोदी की हत्या भी राजीव गांधी स्टाईल में करने की बात थी | एम-4 राइफल व चार लाख चक्र कारतूस खरीदने का जिक्र है | जिस के लिए आठ करोड़ रुपये की जरूरत बताई गई है | चिठ्ठी में वरवर राव का नाम भी लिखा था | स्वाभाविक है कि गिरफ्तारी के बाद वरवर राव ने आरोपों को खारिज किया है | उन का वही जनसरोकार वाला जूमला सामने आया कि पांचों लोग वंचितों की भलाई के लिए काम रहे थे | यह चिठ्ठी किसी 'आर' नाम के व्यक्ति की लिखी हुई है | मुंबई में वेरनन गोन्जाल्विस और अरूण फरेरा के घरों पर छापे मारे गए | तो दिल्ली में भी गौतम नवलखा के घर पर छापा मारा गया | महाराष्ट्र की पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर अपने साथ ले जाना चाहती थी | पर उनके समर्थकों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा दिया | अब कोर्ट बुधवार को सुनवाई करेगी | तब तक नवलखा अपने ही घर में कैद रहेंगे |

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