ट्रम्प और मोदी का इस्लामिक आतंकवाद पर हमला 

Publsihed: 28.Jun.2017, 06:53

अपने यहाँ का मशहूर जुमला है- "आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता |" यह साबित करने के लिए पिछली सरकार ने कई पापड़ बेले | कुछ आतंकवादी वारदातों में हिन्दुओं को फंसा दिया | अब मोदी सरकार आने के बाद यह खुलासा होना शुरू हो गया है | सरकारी अफसर ही खुलासा कर रहे हैं | बता रहे हैं कि लाहौर ट्रेन,अजमेर शरीफ, मालेगांव वारदातों की जांच कैसे बदली गई | लाहौर ट्रेन विस्फोट में पकडे गए तीन लोगों को कैसे छोड़ा गया | इस्लामिक आतंकवाद से ध्यान हटाने के लिए क्या क्या पापड बेले गए | डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने से पहले तक अमेरिका और यूरोप भी इसी लाईन को अपनाते थे | आतंकवाद को किसी धर्म विशेष के साथ जोड़ने से हिचकिचाहट महसूस करते थे | पर अब यूरोप और अमेरिका में कोई भ्रान्ति नहीं रही | शुरुआती हिचकिचाहट के बाद अब आतंकवाद को धर्म के साथ जोड़ कर देखा जा रहा है | डोनाल्ड ट्रम्प ने तो अपने चुनाव का एजेंडा ही धर्म विशेष को आतंकवाद से जोड़ कर बनाया था | आतंकवाद को समझने में ईरान के सुप्रीम कमांडर अयाय्तुल्लाह खुमैनी ने मदद की है | ईद के मौके पर उनने इस्राईल के खिलाफ इस्लामिक जेहाद का आह्वान किया | मुसलमानों से कहा -बहरीन, कश्मीर और यमन में खुल कर मदद करनी चाहिए | उन के इस बयान ने ध्रुवीकरण को बढाने में मदद की है | भारत में नरेंद्र मोदी का एजेंडा खुल्लम खुल्ला तो ट्रम्प जैसा  नहीं था | पर गुजरात में जो कुछ 2002 में हुआ | उस से यह धारणा बनी थी कि नरेंद्र मोदी ही आतंकवाद पर काबू पा सकता है | मोदी के पीएम  बनने के बाद देश के अन्य हिस्सों में तो आतंकवाद की कोई वारदात नहीं हुई | पर कश्मीर में पाक प्रायोजित आतंकवाद भी बढ़ा है | विद्रोह जैसी स्थिति भी पैदा हुई है | कश्मीर में इस्लामिक आतंकवाद की पहचान हो चुकी है | पहले पाकिस्तान का कश्मीर पर दावा इसी आधार पर था कि वहां मुसलमान बहुसंख्यक हैं  | पर अब कश्मीर घाटी में इस्लामिक आतंकवाद ने अपनी जड़ें जमा ली हैं  | कश्मीर की लड़ाई अब आत्म निर्णय या जनमत संग्रह की नहीं  | बल्कि सेक्यूलरिज्म के खिलाफ इस्लामिक क़ानून स्थापित करने की है | इस लिए अय्यातुल्लाह खुमैनी का बयान आता है | कश्मीर को इस्लामिक स्टेट बनाने में बाधा बनने वालों को मारने का हुक्म है | फिर भले ही वह मुसलमान हो | भले ही वह सेना का अधिकारी लेफ्टिनेंट उमर फयाज हो | या राज्य पुलिस में डीएसपी मोहम्मद अयूब पंडित हो | इन घटनाओं ने इस्लामिक आतंकवाद की पहचान करने में मदद की है | यूरोप की तरह अब भारत में भी इस्लामिक आतंकवाद की बातें होने लगी हैं | ट्रम्प और मोदी के लिए इस मुद्दे पर साथ आने का यही मौक़ा था | अमेरिका और पाकिस्तान का गठबंधन टूट चुका है | सोवियत संघ खुद ही टूट चुका है | अब नई गुटबाजी में दुनिया के बड़े लोकतंत्र भारत और अमेरिका साथ खड़े हैं | दुनिया के दो छद्म लोकतंत्र चीन और पाकिस्तान एक गुट में हैं | पाकिस्तान इस्लामिक कट्टरवाद और आतंकवाद को संरक्षण देता है | यह जानते हुए भी चीन पाकिस्तान के साथ है | दोस्त के सात खून माफ़ वाली कहावत की तरह | चीन को अपने आर्थिक हितों के लिए पाकिस्तान की जरुरत है | अमेरिका से सम्बन्ध टूटने के बाद पाकिस्तान को भी एक सरपरस्त चाहिए | जो अमेरिका और भारत से उस का बचाव कर सके | इसी कूटनीति के तहत चीन ने हमेशा पाकिस्तानी आतंकवादियों का बचाव किया | यों खुद चीन भी आतंकवाद से जूझ रहा है | पर बलूचिस्तान बंदरगाह तक पहुँचने वाले आर्थिक कोरिडोर ने चीन की आँख बंद कर रखी है |  इस नए ध्रुवीकरण में पहली बार अमेरिका ने पाकिस्तान को चेतावनी दी है | चेतावनी का मुददा भी कश्मीर का आतंकवाद है | पाकिस्तान के आतंकी शिविरों को नष्ट करने के लिए साझा सर्जिकल स्ट्राईक तक की चेतावनी है | मंगलवार को डोनाल्ड ट्रम्प और नरेंद्र मोदी के साझा बयान आतंकवाद के ईर्द-गिर्द है | दोनों ने खुल कर दुनिया को इस्लामिक आतंकवाद के खतरे से आगाह किया है | दोनों ने इस्लामिक आतंकवाद के खिलाफ मिल कर लड़ने का संकल्प लिया है | इस्लामिक आतंकवाद को पहली बार कबूल किया गया है | इस्लामिक आतंकवाद कहते हुए ट्रम्प के साथ मोदी का खडा होना भारत में बड़ा बवाल मचाएगा | कहीं राष्ट्रपति के चुनाव का रूख ही इसी और न मुड जाए | वामपंथियों की कोशिश चुनाव को साम्प्रदायिक-सेक्युलर बनाने की थी | कहीं वे अपनी मुराद पूरी न कर लें | वैसे भी अमेरिका और मोदी के खिलाफ तो उन्हें कोई भी मुद्दा मिले | संसद का सत्र 17 जुलाई से शुरु हो रहा है | संसद में भी यह मुद्दा जरुर उठेगा | यह मुद्दा उठाने से मुस्लिम वोटों का ध्रुविकरण होता है | 

 

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