अजय सेतिया /नागरिकता संशोधन कानून को लेकर एक बार फिर राजनीति गर्माने वाली है| इस बार सबसे ज्यादा सियासी तूफान बंगाल में मच रहा है| हालाकि तीन साल बीतने को हैं , और केंद्र सरकार ने अभी क़ानून को लागू करने की नियमावली नहीं बनाई है| लेकिन बंगाल की भारतीय जनता पार्टी ममता बनर्जी सरकार को खुली चुनौती दे रही है कि उसमें हिम्मत है तो वह सीएए को रोक कर दिखाएं| असल में इस की सियासत मतदाता सूची से शुरू हो रही है| कुछ दिन पहले ही बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बेनर्जी ने लोगों से अपील की है, जिसमें उन्होंने सभी से कहा कि वे अपना नाम मतदाता सूची में जरूर डलवाएं, अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया तो उन का नाम नागरिकता रजिस्टर यानी एनआरसी से वह गायब हो जाएगा| इस से साफ़ है कि वह अपील बांग्लादेशी मुसलमानों से कर रही हैं, जो इस समय उनका कोर वोटर बन कर उभर रहा है| अब इस का यह मतलब भी निकलता है कि ममता बेनर्जी यह मान कर चल रही है कि केंद्र सरकार लोकसभा चुनाव से पहले हिन्दू कार्ड खेलने के लिए सीएए ही नही, एनआरसी भी लागू करेगी| इसीलिए वह अपना वोट बैंक मजबूत कर रही है, जबकि अब तक तो वह केंद्र सरकार को चुनौती दे रही थी कि वह सीएए लागू कर के दिखाए|
भाजपा के नेता शुभेंदु अधिकारी को अमित शाह से क्या संदेश मिला है, वह तो नहीं पता, सीएए पर उन्हीं के ताज़ा बयान के कारण बंगाल की सिसायत में तूफ़ान आया है| इस से पहले भी जब पुराने क़ानून के तहत ही गुजरात में पाकिस्तान से आए हिन्दुओं को नागरिकता दी गई थी, तब भी उन्होंने एक बयान दे दिया था कि गुजरात में नागरिकता मिलनी शुरू हो गई है, अब बंगाल में भी मिलेगी| हालांकि वह गलत साबित हुए थे, अब उन्होंने नागरिकता संशोधन कानून लागू किए जाने को लेकर ममता बनर्जी सरकार को सीधी चुनौती दी है| चुनौती भी इस तरह की कि एक तरह से उन्होंने ममता बनर्जी को ललकारा है कि उनमें अगर ताकत है तो वह इसे लागू होने से रोक के दिखाएं| शुभेंदु अधिकारी ने ममता को यह चुनौती हाल ही में 24 परगना जिले के ठाकुरनगर में जा कर दी है, जहां बड़ी तादाद में बांग्लादेशी जड़ों वाले मटुआ समुदाय के हिन्दू लोग बिना नागरिकता के रहते है| आप लोगों को याद दिला दूं कि 2021 के विधानसभा चुनाव से पहले मोदी जब बांग्लादेश गए थे तो वह मटुआ महासंघ के संस्थापक हरिचंद्र ठाकुर के ओरकांडी के मंदिर और सुगंधा शक्तिपीठ भी गए थे , जो हिन्दू धर्म की 51 शक्तिपीठों में से एक मानी जाती है| पश्चिम बंगाल में मटुआ समुदाय की आबादी 2 करोड़ से भी ज्यादा है| नदिया और 24 परगना जिले में 50 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर इनकी पकड़ बेहद मजबूत है| लोकसभा चुनाव की बात करें तो इस इलाके की कम से कम सात लोकसभा सीटों पर उनके वोट को निर्णायक भूमिका निभाते है| इनमें से एक बड़ी आबादी बांग्लादेश से आ कर यहाँ बसी है , और उन्हें भारत की नागरिकता नहीं मिली हुई|
शुभेंदु अधिकारी ने मटुआ समुदाय की आबादी वाले ठाकुरनगर में ही एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि नागरिकता संशोधन कानून पडौसी देशों से आए हिन्दुओं को नागरिकता देने के लिए है, किसी ऐसे व्यक्ति की नागरिकता छीनने के लिए नहीं है, जो प्रामाणिक कानूनी दस्तावेज के साथ भारत का निवासी है| इसलिए सीएए को राज्य में लागू करने से कोई नहीं रोक सकता, अगर आप में दम है तो इसे अमल में आने से रोक दें| साफ़ है कि वह यह चुनौती ममता बेनर्जी को ही दे रहे हैं, क्योंकि वह सीएए का विरोध कर रही हैं, वह चाहती हैं कि बांग्लादेश से आए मुसलमानों को भी सीएए में शामिल कर बांग्लादेशी घुसपैठिए मुसलमानों को भी भारत की नागरिकता दी जाए|
जहां तक 2019 में संसद से पास क़ानून का सवाल है, तो उस में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए प्रताड़ित हिन्दुओं, सिखों, जैनियों,बोद्धों, पारसियों और ईसाईयों को नागरिकता देने का प्रावधान है| क़ानून को राष्ट्रपति की मंजूरी के बावजूद नियम अभी तक नहीं बनाए गए| नतीजा यह हुआ है कि क़ानून बने तीन साल हो गए , लेकिन इस कानून के तहत अभी तक किसी को भी भारतीय नागरिकता नहीं दी जा सकी है|
पश्चिम बंगाल की दृष्टि से देखें तो 2024 का लोकसभा चुनाव मोदी के लिए बड़ी चुनौती होगा, 2019 में भाजपा ने वहां 42 में से 18 सीटें जीतीं थीं, जिस में मटुआ समुदाय की भी महत्वपूर्ण भूमिका थी| मटुआ समुदाय की सियासी अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2019 के लोकसभा चुनाव के समय नरेंद्र मोदी ने बंगाल में चुनावी अभियान की शुरुआत इसी समुदाय की बीणापाणि देवी से आशीर्वाद हासिल करके की थी| विधानसभा चुनाव अभियान की शुरुआत बांग्लादेश में मटुआ समुदाय की पीठ पर जा कर की, लेकिन विधानसभा चुनावों में भाजपा को वैसी जीत नहीं मिली, जैसी लोकसभा चुनावों में मिली थीं| अब अगर लोकसभा चुनावों से पहले सीएए लागू कर के मटुआ समुदाय के लोगों को नागरिकता न दी गई, तो भाजपा के लिए 18 सीटों को बचाना मुश्किल होगा| इसलिए गुजरात विधानसभा चुनावों के बाद सीएए की नियमावली का एलान हो सकता है, ताकि उसे लागू कर के बंगाल में रह रहे मटुआ समुदाय के हिन्दुओं को नागरिकता देने का काम शुरू हो सके| संभवत: गृहमंत्री अमित शाह से यह आश्वासन लेने के बाद ही शुभेंदू अधिकारी ठाकुरनगर गए|
केंद्रीय मंत्री और पश्चिम बंगाल की बनगांव लोकसभा सीट से भाजपा के सांसद शांतनु ठाकुर ने भी कहा है कि नरेंद्र मोदी सरकार इस लक्ष्य को सच में बदलने के लिए प्रतिबद्ध है| दूसरी तरफ तृणमूल कांग्रेस के मुस्लिम नेता बयान दे रहे हैं कि जब तक बंगाल में ममता है, यहाँ सीएए और एनआरसी लागू नहीं हो सकता | इसी तरह का एक बयान फिरहाद हाकिम ने दिया है| उन्होंने कहा है कि तृणमूल कांग्रेस बंगाल में सीएए को कभी भी लागू नहीं होने देगी|
आपकी प्रतिक्रिया