​​​​​​​क्या कांग्रेस में लोकतंत्र लाने देंगी सोनिया

Publsihed: 28.Aug.2020, 17:48

अजय सेतिया  / कांग्रेस की हाल ही की दो घटनाएं सोनिया गांधी की राजनीतिक शैली की ओर इशारा करती है | 7 अगस्त को जब कांग्रेस के 23 वरिष्ठतम सदस्यों ने सोनिया गांधी को चिठ्ठी लिख कर पार्टी में लोकतंत्र भाल करने की आवाज़ उठाई थी , तो सोनिया गांधी ने तुरंत कार्यसमिति की बैठक बुलाई , और बैठक से पहले वह चिठ्ठी मीडिया में लीक करवा दी | कांग्रेसियों में अभी भी सुगबुगाहट है कि चिठ्ठी के.सी.वेणुगोपाल ने लीक की थी, जो इस समय सोनिया गांधी की किचेन केबिनेट के मैम्बर हैं | इस के बजाए सोनिया गांधी उन सभी 23 नेताओं को बुला कर पार्टी में जान फूंकने के उपाओं पर विचार कर सकती थी , उस बैठक में एक पेपर तैयार हो सकता था , जिसे कार्यसमिति में रखा जा सकता था या पचमढी जैसे मंथन की रूपरेखा बन सकती थी |

कांग्रेस में किसी महत्वपूर्ण बैठक से पहले अगर कुछ चीज लीक की जाती है , तो उस का ख़ास मकसद होता है , और मकसद इस लीक का भी था , जो पूरा भी हुआ | बैठक में चिठ्ठी की निंदा की गई | सोनिया गांधी की शैली का दूसरा उदाहरण बैठक से तीसरे दिन 27 अगस्त को मिला , जब सोनिया गांधी ने चिठ्ठी लिखने वाले प्रमुख नेता गुलाम नबी के पर कतर दिए | कांग्रेस संसदीय दल के निवार्चित पदाधिकारियों की परम्परा से हट कर सोनिया गांधी ने लोकसभा और राज्य सभा में नीतिगत फैसले लेने के लिए पांच पांच सदसीय समितियां बना दीं | राज्यसभा की पांच सदसीय कमेटी में कपिल सिब्बल की अनदेखी कर के नेता विपक्ष गुलाम नबी ,  उपनेता आनन्द शर्मा के साथ सोनिया गांधी की किचेन केबिनेट के सदस्य के.सी.वेणुगोपाल, अहमद पटेल और जयराम रमेश को जोड़ दिया | उधर लोकसभा में चिठ्ठी लिखने वालों में शामिल वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी और शशी थरूर को अनदेखा कर अपेक्षाकृत जूनियर गौरव गोगोई को उपनेता और पंजाब के ही रवनीत सिंह बिट्टू को व्हिप नियुक्त कर दिया | मनीष तिवारी और शशी थरूर को लोकसभा की पांच सदसीय कमेटी में भी नहीं रखा गया |

सोनिया गांधी की इस शैली से वाकिफ 23 नेता हैरान नहीं हैं , अलबत्ता और मुखर हो गए हैं | खुद सोनिया गांधी और राहुल गांधी के फोन काल से शांत हुए गुलामनबी आज़ाद और कपिल सिब्बल ने फिर से तेवर दिखाने वाले बयान दिए हैं | गुलामनबी आज़ाद ने समाचार एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में सीधे सोनिया गांधी पर प्रहार करते हुए कहा कि “अगर कांग्रेस के अध्यक्ष का विधिवत चुनाव नहीं हुआ तो कांग्रेस आने वाले 50 साल सत्ता में नहीं लौट सकती | चिठ्ठी लिखने वालों की मंशा कांग्रेस को मजबूत करने की थी , अगर चिठ्ठी लीक भी हो गई थी , तो भी इतना बावेला खड़ा करने की जरूरत क्या था | पार्टी को मजबूत बनाने के लिए चुनाव की बात उठाना कोई रहस्य की बात भी नहीं थी |” बिना सोनिया गांधी का नाम लिए उन्होंने कहा कि दशकों से कांग्रेस में संगठनात्मक चुनाव नहीं हुए | उन का इशारा सोनिया गांधी के 19 साल की ओर ही था |

सोनिया-राहुल के समर्थकों पर प्रहार करते हुए गुलामनबी ने बेझिझक कहा कि चुनाव का वही विरोध कर रहे हैं , जिन्हें अपना पद खोने का डर है | कपिल सिब्बल ने उस समय अपना वह ट्विट डिलीट कर दिया था , जब राहुल गांधी ने फोन कर के उन्हें स्पष्टिकरण दिया था कि उन्होंने कार्यसमिति की बैठक में चिठ्ठी लिखने वालों को भाजपा का एजेंट नहीं कहा | लेकिन सोनिया गांधी की ओर से राज्यसभा के पांच सदस्यीय पेनेल में उन की उपेक्षा किए जाने से आहत कपिल सिब्बल ने भी हिन्दुस्तान टाईम्स को दिए इंटरव्यू में कहा है कि कार्यसमिति की बैठक में हमें गद्दार कहा गया था , लेकिन सोनिया गांधी और राहुल गांधी समेत किसी ने ऐसे शब्द का इस्तेमाल करने वाले को नहीं रोका | उन्होंने कहा कि पार्टी संविधान में तय की गई सरंचना के मुताबिक़ नहीं चल रही , पार्टी को मजबूत बनाने के लिए संविधान के मुताबिक़ संगठन चुनावों की बात कह कर उन्होंने कोई गुनाह नहीं किया है |

यानी कुल मिला कर सोनिया गांधी की शैली को उजागर करने वाले दो कदमों की समीक्षा करने के बाद पार्टी में लोकतंत्र की मांग करने वालों की आँखें खुल गई हैं | उन्हें शीशे की तरह साफ़ हो गया है कि सोनिया गांधी कांग्रेस में लोकतंत्र की बहाली नहीं करेगी , क्योंकि संगठन में लोकतंत्र की मांग करने वालों को सबक सीखाने के लिए सोनिया गांधी ने लोकसभा और राज्यसभा में पांच पांच सदस्यीय कमेटियां बना कर कांग्रेस संसदीय दल के चुनावों की परम्परा को भी खत्म करने का एलान कर दिया है | इस लिए गुलाम नबी ने हताश हो कर कहा कि कांग्रेस 50 साल विपक्ष में रहेगी |  

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