काशी में गुंडई पर उतरे छात्रों और पुलिस में कोई फर्क नहीं 

Publsihed: 26.Sep.2017, 21:34

अजय सेतिया / पीएम नरेंद्र मोदी का चुनावी हल्का जंग का नया मैदान बना है | जंग-ए-मैदान भी तब बनाया गया , जब मोदी खुद अपने हल्के में थे | बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में लड़कियों से छेड़छाड़ को वीसी नहीं रोक पाए | घटना रात को हुई थी | अपन इस पर आगे तपसरा करें, उस से पहले घटना को समझ लें | बात बीते गुरूवार रात की है | बिड़ला होस्टल के कुछ छात्रों ने हॉस्टल के बगल से जा रही लड़कियों के साथ छेड़खानी की | तो लड़कियों ने विरोध किया | हैरानी की बात थी कि उन लड़कियों को 50-60 लड़कों ने घेर लिया | लड़कियों के साथ भद्दी हरकतें की गई | गाली-गलौज किया गया | | वे रोने लगीं, लेकिन वहां से हटी नहीं |  लड़कियों ने एक प्रोफेसर को फोन किया तो वह मौके पर पहुंचे |  यूनिवर्सिटी के प्रॉक्टर भी मौके पर पहुंचे |  दोनों के सामने लड़कों ने उन्हें उठा लेने तक की धमकी दी | पर लड़कियां डरने के बजाय वाइस चांसलर के ऑफिस के सामने धरने पर बैठ गईं | खबर फैलते ही कुछ अन्य लड़कियां भी उनका साथ देने कुलपति आवास पर पहुंच गई | वीसी ने उलटे लडकियों को डांटा कि वे शाम छह बजे के बाद होस्टल से बाहर क्यों गई | वीसी के इसी बयान पर बवाल मचा है | भले ही वह एक पिता का पुत्री को लेकर चिंता करने जैसा है | पर सवाल दूसरा है | क्या  लडकियों को क्या यूनिवर्सिटी के भीतर भी सुरक्षा नहीं मिलेगी | यूनिवर्सिटी के भीतर सुरक्षा की गारंटी पर ही तो मां-बाप अपनी बच्चियों को हास्टल भेजते हैं | हर मां-बाप की इच्छा होती है कि एडमिशन के बाद उन की बच्ची को होस्टल में ही कमरा मिले | वीसी की जिम्मेदारी है कि यूनिवर्सिटी में सुरक्षा की गारंटी दे | भले ही इस के लिओए उसे स्थानीय प्रशाशन की मदद लेनी पड़े | वीसी ने एक न्यूज चेनेल को तो यहाँ तक कह दिया कि आरोपी लड़कों को कैसे ढूंढें | जब पुलिस हनीप्रीत को नहीं ढूंढ पा रही , तो आरोपी लड़कों को ढूंढना कोई आसान है | पर बात हनीप्रीत की चली है , तो लगते हाथों बताते जाए | मंगलवार को हनीप्रीत ढूंढ ली गई | पुलिस उसे नेपाल, बिहार ,यूपी और हैदराबाद पता नहीं कहाँ कहाँ ढूंढ रही थी | पर वह दिल्ली में ही पाई गई | दिल्ली के लाजपत नगर में अपने वाकील को मिलने गई थी  | पडौसी के सीसीटीवी कैमरे की चपेट में आ गई | वकील ने भी माना कि हनीप्रीत मिलने आई थी | उस ने वकालत नामे पर साईँन किए हैं | दोपहर को वकील ने दिल्ली हाई कोर्ट में अग्रीम जमानत याचिका दाखिल कर दी | शाम सात बजे कोर्ट ने जमानत याचिका ठुकरा भी दी थी | अब हनीप्रीत की गिरफ्तारी दूर नहीं | पर बात वाईस चांसलर की | वाईस चांसलर का गैर जिम्मेदाराना बयान सरकार के गले की फांस बन गया है | सरकार को वाईस चांसलर का बिस्तर गोल करना पड सकता है | बिस्तर गोल होना भी चाहिए | वामपंथियों ने वीसी के इसी बयान को मुद्दा बना लिया है | इसे लड़कियों के बराबरी के हक से जोड़ दिया है | लड़कियों की आज़ादी से जोड़ दिया है | अंग्रेजी विजुअल मीडिया के लिए यह मिर्च मसाले वाले मुद्दा बनता है | वे रात को घुमने फिरने को आज़ादी का मापदंड मानते हैं | भले ही उन की अपनी बेटी दिल्ली, मुम्बई में भी रात 9 बजे घर न पहुंचे | तो खुद के हाथ-पाँव फूल जाते होंगे | अपना सीधा सा सवाल है , क्या अपन अपनी बहू बेटियों के शाम को घर न पहुंचने पर चिंतिंत नहीं होते | क्या अपन अपनी बहु-बेटियों को नहीं कहते कि आठ बजे से पहले घर पर पंहुचना चाहिए | अगर वही बात होस्टल में पढ़ रही लड़कियों को वीसी ने कही | तो वह कैसे बवाल खडा करने वाला मुद्दा बनाता है  | वे कौन माता-पिता हैं , जो अपनी बच्चियों की ऐसी आज़ादी के समर्थक हैं | पर वीसी का बच्चियों को डांटना अपनी जगह | होस्टल में पढ़ रही बच्चियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी वीसी की है | पर वीसी ने गैर जिम्मेदाराना बयान देकर वामपंथियों को एक और यूनिवर्सिटी को पीएम के खिलाफ करने का मौक़ा दे दिया | वह भी पीएम के निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी में | वह भी ऐसे मौके पर जब मोदी खुद वाराणसी के दौरे पर थे | जैसे वीसी ने मामले को सुलझाने की बजाए भड़काया | ठीक वैसे ही शनिवार को वाराणसी प्रशाशन ने गैर जिम्मेदारी वाला व्यवहार किया | पीएम के वाराणसी में आगमन पर लडकियां जब धरना दे रहीं थी | तब पीएसी के जवानों ने लड़कियों को दौड़ा दौड़ा कर मारा | पीएसी में कोई महिला कांस्टेबल भी नहीं थी | कई लड़कियों को गंभीर चौटें आई  | लड़कियों के लिए ये रात काली रात के समान थी | धरने के दौरान पुलिसवाले लड़कियों को गंदी-गंदी गालियां देते रहे | इसके बाद अचानक ही लाठी चार्ज कर दिया | पुलिस वाले कह रहे थे कि नेतागिरी चढ़ी है, पकड़ में आ गयी तो सारी नेतागिरी भूल जाओगी | जब पुलिसवालों ने लड़कियों को मारने के लिए दौड़ाया तो लड़कियों ने यूनिवर्सिटी का  गेट बंद कर लिया | जब दूसरी बार गेट खुला तो पुलिस वालों ने फिर मारने के लिए दौड़ाया | भाग दौड़ में एक लड़की छूट गई तो उसको जानवरों की तरह पीटते रहे |  कुछ पुलिस वाले लाठियां दिखाकर अश्लील हरकतें कर रहे थे | गुरूवार को गुंडई पर उतरे लड़कों और पुलिस में क्या फर्क रह गया | पता नहीं हमारे देश की पुलिस कब सुधरेगी | बनारस के कमिश्नर नितिन गोकर्ण ने अपनी रिपोर्ट तैयार कर ली है | इस रिपोर्ट में उन्होंने यूनिवर्सिटी प्रशासन को लापरवाही का दोषी ठहराया है | यूनिवर्सिटी प्रशासन ने मामले को गलत तरीके से हैंडल किया | वीसी ने समस्या का हल नहीं निकाला | अगर  वह वक्त रहते मामले को सुलझा लेते तो इतना बड़ा विवाद खड़ा नहीं होता | 

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