गवाहों की सूची देख बिदक गई सोनिया गांधी 

Publsihed: 26.Mar.2017, 00:04

नेशनल हेराल्ड केस तो आप को याद होगा | संसद का दिसम्बर 2016 का शीत सत्र नेशनल हेराल्ड की भेंट चढ़ गया था | जिस जीएसटी बिल को अरूण जेटली अब पास करवा रहे हैं | वह शीत सत्र में ही पास हो जाता | अप्रेल 2017 से जीएसटी लागू हो जाता | भुत बड़ा टेक्स रिफार्म हो गया होता | पर कांग्रेस ने शीत सत्र नही चलने दिया था | कारण यह था कि सुब्रहमन्यम स्वामी नेशनल हेराल्ड का एक केस कोर्ट में ले गए हैं | केस में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मोती  लाल वोरा और आस्कर फर्नाडिस पर फ्राड का मामला है | चरों को अदालत में जा कर जमानत लेनी पडी थी | चरों जमानत पर छूटे हुए हैं | अब जब यूपी में चारों खाने चित्त होने के बाद की हवा निकली पडी है | जीएसटी बिल संसद में आराम से पास हो गया है | पर नेशनल हेराल्ड केस ने पहले से भी गंभीर रूप ले लिया है | सुब्रहमन्यम स्वामी ने कोर्ट में गवाहों की जो सूची दी है | उस ने दस जनपथ के होश उड़ा दी हैं | हालांकि गवाह तो दस जनपथ के करीबी ही हैं | पर सोनिया और राहुल ने इन गवाहों को बुलाने पर एतराज जता दिया है | उन के एतराज ने सोनिया-राहुल को शक के घेरे में ला खडा किया है | कोर्ट की इस कहानी को अपन बाद में बताएंगे | पहले आप नेशनल हेराल्ड का केस और इतिहास समझ लें | जवाहरलाल नेहरू ने 1938 में लखनऊ में नेशनल हेराल्ड अखबार शुरू किया | देश भर के कई जाने माने लोगों ने नेशनल हेराल्ड के ट्रस्ट एसोसिएट जनरल में पैसे लगाए थे | उनमें ज्यादातर अब इस दुनिया में नहीं हैं | जवाहर लाल नेहरू जब देश के प्रधानमंत्री थे | तब उन ने नेशनल हेराल्ड को दिल्ली में आईटीओ के पास करोड़ों की जमीन कोडियों में दे दी | टाईम्स आफ इंडिया, मिलाप, प्रताप , एक्सप्रेस को वहीं पर जमीन एलाट हुई | शर्त यह थी कि जमीन का इस्तेमाल सिर्फ अखबार के लिए होगा |  अखबार कांग्रेस का भौम्पू बन कर रह गया था | सारे के सारे पेज कांग्रेस स्तुती और विपक्ष की आलोचना में भरे रहते थे | ऐसे में अखबार की बिक्री घटती चली गई | सतर साल तक अखबार कभी तेज और कभी धीमी गति से चलता रहा |  सरकारी शर्त तोड़ कर नेशनल हेराल्ड ने बिल्डिंग का एक हिस्सा किराए पर भी दे दिया | राज कांग्रेस का था, तो सरकार ने खुद नियम तोड़ कर मदद की  |  सरकारी जमीन पर सरकारी पासपोर्ट विभाग को ही किराएदार बनवा दिया | यानि नेशनल हेराल्ड को सरकारी खजाने से गैरकानूनी मदद |  पर पैसों की दिक्कत फिर भी खत्म नहीं हुई | आखिरकार 2008 में अखबार बंद हो गया । तब हेराल्ड का मालिकाना हक द एसोसिएट जर्नल्स के पास था । नेशनल हेराल्ड की सम्पति 1600 करोड़ की थी | पर हेराल्ड उसे बेच नहीं सकता था | बस तभी सम्पत्ति को हड़पने की साजिश शुरू हुई | पहले तो कांग्रेस ने  2011 में एसोसिएट जनर्ल्स  की देनदारिया खत्म करने के लिए उसे 90 करोड़ का लोन दिया । जो कांग्रेस पार्टी दे नहीं सकती थी | कोई राजनीतिक दल इस तरह अपना फंड किसी और ट्रस्ट को नहीं दे सकता | पर गडबडी सिर्फ यह नहीं है | गड़बड़ी उस के बाद शुरू हुई , जिस की स्क्रिप्ट लों देते समय ही लिख ली गई थी | सोनिया गांधी ,राहुल गांधी, मोटी लाल वोरा और आस्कर फर्नाडिस के नाम से एक नई कंपनी बनाई गई | कम्पनी का नाम था -"यंग इंडिया " और चारों ने पूंजी लगाई सिर्फ पांच लाख रुपए |  राहुल और सोनिया गांधी की हिस्सेदारी राखी गई 38-38 फीसदी | बाकी 24 फीसदी हिस्सेदारी मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नाडिस की राखी गई | दोनों सोनिया गांधी के बेहद करीबी हैं |  फिर एसोसिएट जनरल को हड़पने की शुरुआत हुई | एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड के 10 रुपए मूल्य के 9 करोड़ शेयर यंग इंडिया कंपनी को दे दिए गए । ये शेयर 90 करोड़ लोन के एवज में दिए गए । लोन कांग्रेस ने दिया था | जबकि शेयर  " यंग इंडिया " कंपनी को दी गए | जिस के मालिक सोनिया, राहुल, वोरा और आस्कर हैं | इन 9 करोड़ शेयरों के बूते एसोसिएट जर्नल्स में 99 फीसदी मल्कियत यंग इंडिया की हो गई । इसके बाद सोनिया गांधी  की अध्यक्षता में कांग्रेस की एक बैठक हुई  | जिस में कांग्रेस ने एसोसिएट जर्नल्स का 90 करोड़ का लोन माफ कर दिया । इस तरह  सोनिया, राहुल की  "यंग इंडिया" कंपनी को मुफ्त में ही एसोसिएट जर्नल्स का मालिकाना हक मिल गया । सुब्रमण्यम स्वामी ने सोनिया ,राहुल और कांग्रेस के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई हुई है । स्वामी का आरोप है कि 1600 करोड़ के हेराल्ड हाउस को हथियाने के लिए यह सब किया गया । सोनिया, राहुल, वोरा और आस्कर के अलावा सिम पित्रोदा और सुमन दूबे भी आरोपी हैं | इन सभी छह और यंग इंडिया ने साझा जवाब दाखिल किया है | स्वामी ने गवाहों की सूची दी है | इन गवाहों को जिरह के लिए सम्मन करने की मांग की है | हैरानी तब हुई, जब सोनिया-राहुल के वकील तरन्नुम चीमा ने गवाहों को सम्मन और से जिरह का विरोध किया | स्वामी की याचिका में कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी का भी नाम है |  जनार्दन द्विवेदी 2014 के चुनाव नतीजों के बाद कांग्रेस में अलग-थलग हैं | नतीजों के बाद उन ने कहा था नरेंद्र मोदी जनता को कांग्रेस के खिलाफ समझाने में सफल रहे | जनार्दन कांग्रेस या सोनिया राहुल  के खिलाफ गवाही देंगे, यह तो कोई सोच भी नहीं सकता | वह कांग्रेस में अलग-थलग भले ही हुए हों, दस जनपथ के वफादार अभी भी हैं | जनार्दन द्विवेदी का बयान हकीकत के करीब था | पर जनार्दन विरोधियों ने सोनिया-राहुल के ऐसे कान भरे कि आज तक गाँठ बांधे हुए हैं | अब देखिए आगे क्या होता है | फिलहाल स्वामी ने अपनी बहस की तयारी के लिए और वक्त माँगा है |  अदालत ने सुनवाई के लिए 22 अप्रैल की तारीख तय की है ।

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