"आधार" ने सब्सिडी "लीकेज" की कमर तोडी है 

Publsihed: 25.Aug.2017, 00:06

प्राईवेसी अपना मौलिक अधिकार है | सुप्रीमकोर्ट ने गुरूवार को फैसला सुना दिया | पर आधार कार्ड का पतनाला वहीं का वही है | कांग्रेस ने सुप्रीमकोर्ट के फैसले को आधार कार्ड के साथ जोड़ कर खुशी मनाई | आधार कार्ड खुद पी.चिदम्बरम के दिमाग की खोज थी | कांग्रेस का इरादा एक ऐसा पहचान पत्र बनाना था , जो कभी न बदल सके | इसी को आधार नाम दिया गया था | आधार को सरकारी योजनाओं से जोड़ने का इरादा था | क्यों कि आधार कार्ड में आँखों की पुतलियों और उँगलियों के निशान तक हैं | जो हर बन्दे की निजता है | जिसकी डुप्लीकेशन नहीं हो सकती | लोगों को शक था कि आधार कार्ड के इस्तेमाल का दायरा बढेगा तो लोगों निजता भंग होगी | तब 2012 में कर्नाटक हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज केएस पुत्तास्वामी "आधार" के खिलाफ कोर्ट गए | उनकी दलील थी कि निजता मौलिक अधिकार है | जो आधार कार्ड के इस्तेमाल से भंग होगी | मौटे तौर पर यह मुकददमा कांग्रेस-यूपीए  सरकार के खिलाफ था | चीफ जस्टिस ने पांच जजों की बैंच बना दी | इस साल जुलाई में पांच मेम्बरी बैंच ने कहा-" पहले यह तय हो जाए कि निजता मौलिक अधिकार है या नहीं |" इस लिए नौ जजों की बैंच बनानी पडी | सवाल है कि नौ जजों की बेंच क्यों बनानी पडी | वह इस लिए कि 1954 में ऍम.पी सिंह की पीटीशन पर छह जजों की बैंच और 1962 में खड़क सिंह की पीटीशन पर आठ जजों की बैंच बनी थी | दोनों बैंचों ने  कहा था कि प्राईवेसी मौलिक अधिकार नहीं | इस लिए अब नौ सदसीय बैंच की जरुरत थी | अब नौ सदसीय बैंच ने 1954 और 1962 का फैसला बदल दिया | अपने देश के संविधान और कानूनों की हालत देख लो | वही संविधान, वही क़ानून | पर सत्तर साल तक प्राईवेसी मौलिक अधिकार नहीं था | संविधान की व्याख्या जजों की मनमर्जी से तय होती है | पर अपन मूल बात पर आएं | कांग्रेस की सरकार आधार कार्ड का डाटा पहचान पत्र के अलावा दूसरे कामों के लिए इस्तेमाल का इरादा रखती थी | जिसे पुत्तास्वामी ने प्राईवेसी का उलंघन बता कर आधार के खिलाफ याचिका डाली थी | अब वही कांग्रेस अदालत के फैसले पर खुशी मना रही है | पर प्राईवेसी को मैलिक अधिकार का दर्जा मिलने का मतलब यह नहीं कि आधार कार्ड पर रोक लगेगी | आधार कार्ड के इस्तेमाल पर फैसला अलग से होना है | पांच जजों की बैंच अब इस फैसले को सामने रख कर फैसला करेगी | पर अब प्रेक्टिकल बात | आधार कार्ड को कांग्रेस सरकार ने अरबों रुपया बर्बाद कर के कूड़ेदान में फैंक दिया था | नरेंद्र मोदी तब आधार कार्ड के खिलाफ हुआ करते थे | पर जब बीजेपी की सरकार आई | मोदी खुद प्रधानमंत्री बने, तो उन के सामने आधार कार्ड का प्रजेंटेशन रखा गया | मोदी प्रेजेंटेशन से प्रभावित हुए | उनने आधार का लाभ उठाने के लिए आधार को कानूनी जामा पहनाने का हुक्म दिया | बाकायदा क़ानून बना कर आधार कार्ड को बेजोड़ पहचान पत्र बनाया गया | इस के बाद आधार को बैंक खातों से जोडा गया | दो नंबर के सारे बैंक खाते अपने आप छंट गए | फिर मोदी सरकार ने रसोई गैस की सब्सिडी का स्वरूप बदला | सब्सीडी कम्पनियों को देने की बजाए सीधे कंज्यूमर को देने का फैसला किया | कंज्यूमर को कहा गया आप रसोई गैस का मार्केट रेट दो | सब्सिडी आप के खाते में चली जाएगी | लाखों फर्जी गैस कुनेकशन रातों रात गायब हो गए | गैस डीलरों ने खुद ही फर्जी कुनेकशन ले रखे थे | खुद को गैस सिलेंडर अलाट कर के ब्लेक में बेच रहे थे | इस के बाद किसानों की खाद पर सब्सीडी का नंबर आया | राशन कार्ड पर मिलने वाले सब्सीडी के राशन का नंबर आया | तो सत्तर साल से रसोई गैस, खाद, राशन की सब्सीडी लूट रहे लुटेरों की नींद उड़ गई | वे कौन थे , जिन्हें सत्तर साल तक कांग्रेस राज में खाद ,गैस,राशन के लाईसेंस मिले थे |  मिट्टी तेल और पेट्रोल पम्पों के लाईसेंस मिले थे | वे कौन लोग थे ,जो सब्सीडी का मिट्टी तेल डीजल में मिला कर बेच रहे थे | रविशंकर प्रशाद ने गुरूवार को बताया -" सरकार को तीन साल से सब्सीडी के 57000 करोड़ रूपए बचे हैं |" राजीव गांधी कहते थे सरकार 85 फीसदी अनुदान बिचौलिए खा जाते हैं | उन्हीं बिचौलियों पर पहली बार आधार कार्ड से मार पडी है | अब आप अंदाज लगा सकते हैं कि कांग्रेस-यूपीए सरकार ने किस के दबाव में आधार कार्ड से मुहं मोड़ा था | अब आप अंदाज लगा सकते हैं कि कांग्रेस सुप्रीमकोर्ट के फैसले से किन लोगों की सुरक्षा होने से खुश है | पर यह खुशी कुछ दिन की है | जरुरत पडी, तो सरकार प्राईवेसी को सुरक्षित करने के लिए क़ानून और कडा करेगी | पर आधार कार्ड का दायरा घटेगा नहीं, बढेगा | वैसे मौजूदा क़ानून में भी प्राईवेसी लीक करने पर सात साल की सजा का प्रावधान है | अपन जानते हैं कि डाटा मार्केट में बिक रहा है | प्राईवेट कम्पनियां खुली हुई हैं | अपन को तो बैंकों से लोन लेने के लिए एक दशक से फोन आ रहे हैं | अपने फोन का डाटा कुनेकशन देने वाली कम्पनी ने ही तो बैंकों को बेचा होगा | पर बड़ा सवाल - प्राईवेसी है क्या | सारे देश के पास मोबाईल फोन हैं ,जिस का डाटा अमेरिका और चीन के पास पहुंच चुका |  जीमेल डाट काम अकाऊँट वाली हर आईडी का डाटा अमेरिका के पास है | अपन किस प्राईवेसी की बात करते हैं | 

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