संसद सत्र और लोकतंत्र के प्रति आस्था 

Publsihed: 25.Nov.2017, 01:00

अजय सेतिया / कांग्रेस ने खफा हो कर राष्ट्रपति को शिकायत भेज दी | शिकायत है कि संसद का शीत सत्र क्यों नहीं बुलाया गया | इस पेचीदा सवाल पर मोदी सरकार के मंत्री भी बेजुबान हुए पड़े हैं | संसद का शीतकालीन सत्र आम तौर पर नवंबर के तीसरे हफ्ते में शुरू होता था | दिसंबर के तीसरे हफ्ते क्रिसमस तक चलता था | आज़ादी के बाद के पहले तीन दशक तक संसद साल में सवा दिन तक चलती थी | संसद में जब भुत हंगामें होने लगे | संसद का काम भी हंगामें में प्रभावित होने लगा तो नरसिम्हा राव ने 1993 में कमेटी सिस्टम लागू किया | इस के बावजूद संसद की गरिमा को बरकरार रखा गया | पर हंगामों के कारण सत्र सिकुड़ता गया तो  2001 में वाजपेयी ने इसे गंभीरता से लिया | वाजपेयी संसद की गरिमा और महत्व को सर्वोच्च रखते थे | उन ने स्पीकरों की एक बड़ी कांफ्रेंस बुलवाई | जिस में तय करवाया कि संसद का सत्र कम से कम 110 हुआ करे | विधानसभाएं भी कम से कम 60 दिन चला करें | पर अपन देख रहे हैं कई विधानसभाएं तो साल में दस दिन भी नहीं चलती | संसद कम से कम सौ दिन चला करती थी और हर सत्र कम से कम 30 दिन का हुआ करता था | पर मनमोहन सिंह के वक्त 2011 में जब भ्रष्टाचार की परतें उधड रहीं थी | तब 2011 में संसद साल में सिर्फ 73 दिन चली थी | कई कारणों से संसद सत्र की तारीखें इधर उधर होती रही हैं | खासकर तब जब कई राज्यों में एक साथ विधानसभाओं के चुनाव हो रहे हों | पर एक विधान सभा चुनाव के लिए पहली बार हो रहा है | जब संसद सत्र एक महीना लेट हो गया | एक मंत्री की यह दलील कुतर्क थी कि सत्र की तारीखें कार्य मंत्रणा समिति तय करती है | यह बयान मंत्री के संसदीय ज्ञान का भी खुलासा करता है | संसद सत्र की तारीखों का फैसला संसदीय मामलों की केबिनेट कमेटी करती है | जो शुक्रवार को राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई और 15 दिसम्बर से शीत सत्र का फैसला हुआ | जिसे राष्ट्रपति  को भेजा गया है | सोनिया गांधी ने कांग्रेस वर्किंग कमेटी में जोरदार प्रहार किया था | जब उन ने कहा-" अपने अहंकार में भारत के संसदीय लोकतंत्र पर काली परछाई डाल दी है | " इस के बाद ही खुद लुंज पुंज पडी कांग्रेस राष्ट्रपति के दरवाजे पर पहुंची | तब तक बहुत देर हो चुकी थी | मोदी सरकार ने 15 दिसम्बर से संसद का सत्र बुलाने का फैसला कर लिया था | वैसे सोनिया के भाषण तक सरकार के मंत्री कुछ कहने की हालत में नहीं थे | कुछ तो मान कर चल रहे थे शायद शीत सत्र न हो , हो तो पांच-सात दिन का होगा | पर सोनिया गांधी के प्रहारों से सरकार में हल चल हुई | फौरन 15 दिसम्बर से सत्र का फैसला हुआ | पर सीसीपीए की मीटिंग से पहले कांग्रेस राष्ट्रपति को गुहार लगा आई | राजनीति में इसी का महत्व होता है कि पहले किस ने चोट की | इस शीत सत्र के मामले में कांग्रेस ने चोट की | अपन मजबूर हैं कि अपन उस भाजपा सांसद का नाम नहीं बता सकते | बेचारे उस सांसद का टिकट कट जाएगा | उस भाजपा सांसद ने कहा -" संसद के सेंट्रल हाल में घुसते समय घुटनों के बल बैठना | संसद की दहलीज चूमना ससंद के प्रति आस्था नहीं होता | संसद के प्रति आस्था संसद का सत्र और बोलने की आज़ादी से होती है |" यह बात उस सांसद ने कम से कम आधा दर्जन नेताओं के सामने कही थी | उन का कहना था कि गुजरात खिसक रहा है, सारे मंत्री वहां लगा दिए हैं | इस लिए संसद का सत्र नहीं हो रहा | जबकि पहले कभी एक विधानसभा चुनाव के लिए संसद की इस तरह अनदेखी नहीं हुई थी | खैर अब संसद सत्र तय हो चुका है | पन्द्रह दिसम्बर से पांच जनवरी तक सत्र चलेगा | अपन को एक बात समझ नहीं आ रही | अब बजट सत्र कब से शुरू होगा | पिछले साल से मोदी  सरकार ने जनवरी से बजट सत्र की शुरुआत की थी | संसदीय मंत्री अनंत कुमार ने जब संसद सत्र का खुलासा किया | तो तीखे सवालों का सामना करना पडा | अनंत कुमार ने सफाई दी -" कांग्रेस ने भी 2011 में संसद के सत्र आयोजित करने में देरी की थी | यह परंपरा रही है | ऐसा कई बार हो चुका है जब चुनाव प्रचार के दौरान संसद के सत्र पुनर्निर्धारित किए गए हैं |’’ पर अपन याद करवा दें सत्र के दौरान भी चुनाव होते रहे हैं | 2014 में तब मोदी सरकार ही थी |  24 नवम्बर को  शीतकालीन सत्र शुरू हुआ था | उसके अगले दिन 25 नवम्बर को  जम्मू कश्मीर और झारखंड में चुनाव की प्रक्रिया शुरू हुई थी |  23 दिसंबर को जिस दिन सत्र खत्म हुआ उससे तीन दिन पहले 20 दिसंबर को पूरी हुई |  यानी पूरे सत्र के दौरान दो राज्यों में चुनाव प्रचार और मतदान हुआ |  लेकिन सत्र के शिड्यूल में बदलाव नहीं किया गया | पिछले साल भी संसद के बजट सत्र के दौरान पांच राज्यों के चुनाव थे | 2016 में संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण 25 अप्रैल से 13 मई के बीच था | उस दौरान पश्चिम बंगाल में चार अप्रैल से लेकर पांच मई तक चुनाव हुआ | तीन राज्यों केरल, तमिलनाडु और पुड्डुचेरी में 16 मई को वोट डाले गए | इस साल फरवरी, मार्च में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और गोवा विधानसभा के चुनाव हुआ | उस समय संसद का बजट सत्र चल रहा था |  

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