“माब” शांत होगी तभी “लिंचिंग” बंद होगी

Publsihed: 24.Jul.2018, 18:14

अजय सेतिया / समूचे विपक्ष ने एकजुट हो कर भीड़ की हिंसा को मुद्दा बनाया है | हिंसक भीड़ हत्याओं पर उतारू है | कभी गौरक्षा के नाम पर, तो कभी बच्चे चोरी के नाम पर | जिसे अब हिन्दी अंगरेजी वाले सब माब लिंचिंग कह रहे हैं | इसी हत्यारी भीड़ के मुद्दे पर मंगलवार को भाजपा संसद में घिरी हुई थी | मायावती ने भी संसद से बाहर माब लिंचिंग का मुद्दा उठाया | मायावती असल में राहुल गांधी की रहनुमाई में चुनाव लड़ने के कांग्रेसी बयान से भड़की हुई थी | पर वह इस मुद्दे पर प्रेस कांफ्रेंस बुला कर विपक्षी गठबंधन में दरार नहीं दिखाना चाहती | पर मायावती की चुप्पी साधने की आदत भी नहीं है | इसलिए राजस्थान के अलवर में हुई मॉब लिंचिंग को मुद्दा बना कर प्रेस कांफ्रेंस बुलाई | जहां अपना लिखित बयान पढ़ते हुए राहुल के नेतृत्व पर सवाल उठाया | साथ में गठबंधन में शामिल होने की शर्त रख दी | शर्त यह है कि बसपा को राजस्थान, मध्य प्रदेश और छतीसगढ़ में भी हिस्सा चाहिए | इन तीनों राज्यों में कांग्रेस की भाजपा से सीधी लड़ाई है | यानि यूपी में कांग्रेस को 10 चाहिए तो इन तीनों राज्यों में बसपा को 10 सीटें दे |

पर अपन बात कर रहे थे हत्यारी भीड़ यानि माब लिंचिंग की | माब लिंचिंग की ताज़ा घटना शुक्रवार को राजस्थान के अलवर में हुई | जब यादवों  ने गाय ले जाते हुए रकबर खान को पीट पीट कर अधमरा कर दिया | बाद में पुलिस ने उसे अस्पताल पहुँचाने में कोताही की , जिस पर उस की पुलिस थाणे में मौत हो गई | गौरक्षा के मुद्दे पर अलवर में यह दूसरी माब लिंचिंग है | इस से पहले 2017 में भी पहलू खान की माब लिंचिंग हुई थी | लोकसभा में विपक्ष के नेता बनने से रह गए मलिकार्जुन खडगे ने मुद्दा उठाया | जिस पर गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने जवाब दिया | जवाब वही था , जो मंगलवार को अखबारों में छपा हुआ था | सरकार माब लिंचिंग के खिलाफ क़ानून बनाने को राजी हो गई है | यह राय सुप्रीमकोर्ट ने दी थी | जिस पर पहले सरकार आनाकानी कर रही थी | सरकार पर हमलावर मलिकार्जुन खडगे का कहना था कि जब अख़लाक़ की लिंचिंग हुई , तभी क़ानून क्यों नहीं बनाया | सुप्रीमकोर्ट ने कहा, तब बना रहे हो | पर खड्गे से पूछा जा सकता है कि 1984 में जब सिखों की माब लिंचिंग हुई , तब राजीव गांधी ने क्यों नहीं बनाया | प्रणब मुखर्जी को पार्टी से निकाल कर उसी माब के बूते राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने थे | राजनाथ सिंह ने जब उस माब लिंचिंग का जिक्र किया तो मलिकार्जुन खडगे का चेहरा लटक गया |

वैसे क़ानून बनाने से माब लिंचिंग नहीं रुकेगी | माब लिंचिंग तब रुकेगी, जब माब का गुस्सा शांत हो | गुस्सा शांत तब होगा , जब हम एक दूसरे की भावना का सम्मान करना सीखें | हिन्दू गाय को माता समान पूजते हैं , तो मुसलमानों को गौ हत्या बंद करनी चाहिए | स्वामी दयानंद ने सब से पहले 1882 में गौरक्षणी सभा बना कर गौहत्या के खिलाफ आन्दोलन शुरू किया था | पर अंग्रेज मुसलमानों को गौ हत्या के लिए भडकाते रहे | क्योंकि उन्हें खुद को गौमांस चाहिए था | बहादुर शाह जफर ने अंग्रेजों की चाल और हिंदूओ की भावना समझी थी | इस लिए उन ने गौहत्या पर प्रतिबंध लगा दिया था | गौहत्या करने वाले को फांसी की सजा का फरमान जारी किया |  

पर आजाद भारत की पहली नेहरु सरकार ने गौहत्या पर रोक नहीं लगाई | 1966 में देश भर में गौरक्षा आन्दोलन शुरू हुआ था | भारत साधू समाज, आर्य समाज, सनातन धर्म, जैन धर्म सब आन्दोलन में कूदे | सात नवम्बर 1966 को संसद के बाहर बड़ा प्रदर्शन हुआ | देश भर से लाखों लोग आए थे | चारों शंकराचार्य , सभी धर्म संगठनों के पदाधिकारी ,  स्वामी कृपात्री , जैन मुनी सुशील कुमार सब संसद के बाहर सडक पर थे | कुछ उतेजित साधू संसद परिसर में घुस गए थे | उन दिनों संसद परिसर खुला होता था | डीटीसी की बसें भी परिसर के अंदर से गुजरती थी | पर साधुओं के परिसर में आने से भडकी इंदिरा गांधी ने गोलियां चलवा दी | जिस में अनेकों गौभक्त हिन्दू मारे गए | संसद के बाहर की सडक खून से लथपथ हो गई थी | आप बहादुर शाह जफ्फर और नेहरु- इंदिरा में फर्क समझ सकते हैं | इंदिरा गांधी की भड़काई हुई “माब” अब तक सडकों पर है | वह क़ानून से नहीं , क़ानून के पालन से शांत होगी | सरकारें खुद वहां वहां गौ तस्करी रोके, जहां जहां गौहत्या पर रोक है |

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