रविशंकर प्रशाद ने रखा दुखती रग पर हाथ 

Publsihed: 22.Apr.2017, 23:48

रविशंकर प्रशाद ने शुक्रवार को दुखती रग पर हाथ रख दिया | वह सच बोल रहे थे | बिलकुल वैसा ही सच ,जैसा सुप्रीमकोर्ट का बाबरी पर फैसला आने पर उमा भारती ने बोला था | उमा भारती का निशाना वामपंथी नेता और प्रिंट मीडिया के वामपंथी पत्रकार थे | उमा भारती ने विजुअल मीडिया का आभार जताया | उन ने कहा --"आज तो आप लाईव दिखा कर हमारी बात जनता तक पहुंचा देते हो | 1992 में तो सब कुछ एक तरफा ही हो रहा था |" हाँ , यही सच है | एक तरफा बातें ही जनता तक पहुंचाई जाती थी | सारा माहौल वही बनता था , जो वामपंथी तय करते थे | कांग्रेस के हिन्दू भी वामपंथियों से दब चुके थे | अपन तो हमेशा कहते-लिखते रहे , एक जमाने में कांग्रेस में सभी वर्गों के दबाव ग्रुप हुआ करते थे | कांग्रेस में मुसलमानों की बात रखने वाले थे,तो हिन्दुओं की बात रखने वाले भी थे | इंदिरा गांधी जब सोवियत संघ के नजदीक आ गई | तब से कांग्रेस ने बोद्धिकता का सारा ठेका वामपंथियों को दे दिया | कांग्रेस तभी से बोद्धिक दिवालिएपन का शिकार है | वामपंथियों ने कांग्रेस को ऐसी मुसलिमपंथी सीखा दी कि हिन्दू कांग्रेस से दूर होते गए | वैसे तो वामपंथी किसी धर्म को नहीं मानते  | पर,  भारत में वह मुसलमानों के मन में हिन्दुओं के प्रति नफ़रत पडा करते  हैं | आज़ादी के पहले से ही उन्होंने हिन्दुओं के खिलाफ अभियान चलाया हुआ है | जब गांधी और कांग्रेस बंटवारे के खिलाफ थी , तब वामपंथी बटवारे के हक में हो गए थे | जब बंटवारा हुआ, तो वामपंथियों ने अपने कुछ मुसलिम नेताओं को पाकिस्तान भेजा था |  मकसद था-पाकिस्तान में वामपंथी दल खडा करना | पर कुछ साल में ही पाकिस्तान शरियत पर आधारित इस्लामी देश होने लगा | वामपंथियों को पार्टी चलाना मुश्किल हो गया, तो वे जान बचा कर भारत लौट आए | उन में से एक का दामाद आज कांग्रेस का सांसद है | पर अपन बात कर रहे थे वामपंथियों के हिन्दू विरोधी एजेंडे की | आरएसएस क्योंकि हिन्दुओं की बात करता था | इसलिए संघ वामपंथियों के निशाने पर रहा | वामपंथी मुसलमानों के मन में आरएसएस के प्रति नफ़रत पैदा करते रहे | वह नफ़रत हिन्दुओं के खिलाफ पैदा होती रही | वामपंथियों ने लम्बी रणनीति के तहत ही अपने काडर को मीडिया में भेजना शुरू किया | सत्तर के दशक तक कांग्रेस भी सही रास्ते पर थी और देश की पत्रकारिता भी | इंदिरा गांधी जब दूसरी बार सत्ता में आई, तो सोवियत संघ का प्रभाव बढ़ चुका था | तभी पत्रकारिता में भी थोक के भाव वामपंथी घुसेड़े गए | बाबरी ढांचे के वक्त विजुअल मीडिया थोड़ा बहुत ही था | प्रिंट में भरे पड़े वामपंथियों ने बाबरी ढाँचे को बाबरी मस्जिद कह कर प्रचारित किया | दुनिया भर में फैलाया गया कि हिन्दुओं ने मुसलमानों की ऐतिहासिक मस्जिद गिरा दी | नरसिंह राव वामपंथियों की बात नहीं सुनते थे | इस लिए वामपंथी मीडिया ने उन्हें भी बदनाम किया | उमा भारती ने उसी समय के मीडिया का उल्लेख किया था | शुक्रवार को रविशंकर प्रशाद ने उसी बात को आगे बढाया | उन ने वामपंथियों और वामपंथी मीडिया की दुखती रग पर हाथ रख दिया | वह बोले--" वामपंथी और कुछ पत्रकार नरेंद्र मोदी और भाजपा के खिलाफ नफरत फैलाते हैं |" उन से सवाल किया गया था --" मोदी सरकार के विकास का भारत की विविधता और संस्कृति पर क्या असर पड रहा है ?" आप समझ सकते हैं कि सवाल क्या था | सवाल मुसलमानों को विकास से अलग थलग किए जाने के नए वामपंथी एजेंडे से जुडा था | रविशंकर प्रशाद ने कहा--" हम भारत की विविधता का सम्मान करते हैं,  इसे देखने के दो तरीके हैं | मैं आप से स्पष्टता से बात करता हूँ | लम्बे समय से हमारे खिलाफ मुहिम चलाई जा रही है | लेकिन आज हम यंहा पहुंचे हैं, तो जनता के आशीर्वाद से पंहुचे हैं | हमारी 13 राज्यों में सरकारें हैं , केंद्र में सरकार है | क्या हम ने किसी मुस्लिम को प्रताड़ित किया |  किसी मुस्लिम को सरकारी नौकरी निकाला क्या | यह सच है कि मुसलमान हमें वोट नहीं देते , लेकिन हमने उन्हें उन का हक़ दिया या नहीं |" रविशंकर प्रशाद ने जलपाईगुद्दी के करीम-उल-हक का जिक्र भी किया | करीम ने अपनी मोटरसाईकिल को एम्बुलेस बना कर अब तक 2000 जाने बचाई हैं | मोदी ने खुद उसे पदमश्री देने का फैसला किया | पर रविशंकर ने वामपंथियों की दुखती राग पर हाथ रख दिया था | सो मीडिया के सारे वामपंथी सोशल मीडिया और चेनलों पर पिल पड़े | सब से पहले असादुदीन ओवैसी को भड़का कर बयान दिलाया | फिर क्या था, मुसलमानों को बेबात भड़काने की होड़ लग गई | वामपंथी, कांग्रेसी, जनता दलीए सब के बयान आने लगे | रविशंकर प्रशाद ने कोई अनर्गल बात नहीं कही | जो बोला, सौ टके सच था | सीताराम येचुरी , सलमान खुर्शीद , पवन वर्मा और पता नहीं कौन कौन लगे मुसलमानों को भड़काने | यही है स्यूडो सेक्यूलरिज्म | सब कुछ गंवाने के बाद भी इन्हें समझ नहीं आ रहा |  इन की इन्हीं हरकतों से आज इन की यह हालत है | चलते चले एक चुहलबाजी | बरखा शुक्ला सिंह ने राहुल गांधी को बुरा भला कहा | इस पर कांग्रेस ने उन्हें छह साल के लिए कांग्रेस से निकाल दिया | जब एक पत्रकार ने उन्हें बताया, तो वह बोली-" छह साल तक कांग्रेस रहेगी क्या |"

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