फिल्म पद्मावत का विरोध क्यों होना चाहिए

Publsihed: 23.Jan.2018, 17:55

अपन फ़िल्म पद्मावत के उग्र विरोध के खिलाफ नहीं हैं | पद्मावती को पद्मावत कर के प्रसून जोशी खुद को धोखा दे सकते हैं | देश की हिन्दू जनता को नहीं | जिन के घर की हजारों औरतों ने विदेशी मुस्लिम हमलावरों के हाथों अपनी इज्जत बचाने के लिए जौहर किया | फिल्म में सभी किरदारों के नाम वही हैं | जो इतिहास में लिखे हैं | खिलजी भी है, पद्मावती भी है | फिल्म सेंसर बोर्ड और सुप्रीमकोर्ट हिन्दुओं को अपमानित करने की कोशिश कर रहे हैं | लगता है अंग्रेजों के हाथ से निकल कर भारत फिर मुगलों के चंगुल में फंस गया है | अंग्रेजों ने भारत का बंटवारा किया तो उसे कांग्रेस के नेताओं ने माना था | मुसलमानों को पाकिस्तान नाम से देश दे दिया गया | पर कांग्रेस ने हिन्दुओं का देश नहीं बनने दिया | उस पर हिन्दुओं को एतराज भी नहीं था | हिन्दुओं को आज भी एतराज नहीं | हिन्दू तो सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया,सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुख भागभवेत " में विशवास रखते हैं | सो हिन्दू अपने संस्कारों से ही सेक्यूलर हैं | पर भारत के टुकड़े कर के दो मुस्लिम देश बना लेने के बावजूद मुस्लिम भारत में अपना पहला हक मानते हैं | नेहरूवादी भी बचे खुचे भारत पर हिन्दुओं का नहीं , अलबता मुसलमानों का पहला हक मानते हैं | सेक्यूलरिज्म के नाम पर हिन्दुओं को अपमानित होना पड़ रहा है | सेक्यूलरिज्म की यह बीमारी तब से ज्यादा पनपी है | जब से इंदिरा गांधी ने इसे संविधान में जोड़ दिया था | वामपंथियों ने हिन्दुओं को अपमानित करने में अहम भूमिका निभाई है | मुस्लिम इतिहास को सही मानना और हिन्दुओं के इतिहास को मनघडंत मानना | वामपंथी इतिहासकारों के लिखे इतिहास को अंतिम सत्य मान कर फिल्म बनाना | और अगर किसी ने विदेशी मुस्लिम आतंक पर फिल्म बना भी दी तो साम्प्रदायिक तनाव के नाम पर बैन करना | पर अगर हिन्दुओं की भावनाए आहत करने वाली फिल्म बने | तो सारे वामपंथी ,नेहरूवादी एकजुट हो जाते हैं | उन में वामपंथी पत्रकारों की जमात भी जुड़ गई है | इस लिए अगर अपन लिखते हैं कि भारत अंग्रेजों के हाथ से निकल कर मुगलों के हाथ में पहुंच गया | तो गलत कहाँ हैं | हिन्दू तो अभी भी गुलाम हैं | सेक्यूलरिज्म के नाम पर मुस्लिम मानसिकता वाले सेंसर बोर्ड के गुलाम | सेक्यूलरिज्म के नाम पर मुस्लिम मानसिकता वाले सुप्रीमकोर्ट के गुलाम | इस लिए अपन उसी तरह के उग्र विरोध के हिमायती हैं | जैसे देश की आज़ादी के लिए हुआ था | लो अपन सेक्यूलरिज्म के नाम पर हो रही मुस्लिम परस्ती के सबूत दे देते हैं | बाईस साल की उम्र में  अनुराग कश्यप नें एक फिल्म बनायी थी ब्लैक फ्राईडे | फिल्म बंबई बम धमाकों के असल किरदारों पर थी | जिनके किरदार दाऊद, याकूब और डी कंपनी थे। लास एंजिल्स में फिल्म को ग्रांड ज्यूरी प्राईज दिया गया | हुसैन जैदी (जो कि खुद मुस्लिम हैं)  ने तीन साल दिन रात एक कर के रिसर्च की थी। पर बांबे हाईकोर्ट ने 2004 में फिल्म बैन कर दी | कारण ? एक समुदाय की भावनाओं को ठेस। सेक्यूलरिज्म की सब से बड़ी बीमारी यह पैदा हुई | आतंकवादियों को आतंकवादी कहना भावनाओं को ठेस पहुंचाता है, क्यों??  टॉम हैंक्स के पूरे फिल्मी करियर में दो फिल्में सबसे यादगार हैं | उनके बेमिसाल अभिनय की प्रतिमा। सेविंग प्राइवेट रेयान और द विंची कोड | पर क्या आप को याद है 2006 में " द विंची कोड " पर भारत के चार राज्यों नागालैंड, पंजाब, तमिलनाडु और गोवा में बैंन लगा दिया गया। कारण बताया गया यह पिक्चर ईसाईयों की भावनाओं को ठेस पंहुचाती है। यह तो आधिकारिक बैन था | सरकार ने पायरेटेड सीडी भी ब्लाक कर दी थी | एक फिल्म बनी थी 2005 में सिन्स, बैन कर दी गयी। कारण था फिल्म में एक इसाई पादरी महिलाओं का शोषण करता दिखाया गया था। इस से भी भावनाओं को काफी ठेस पहुंची। आप कभी गूगल पर सर्च करना, बेस्ट सांग्स आफ किशोर कुमार | जिस में आप को गाना मिलेगा - "तेरे बिना जिंदगी से कोई, शिकवा, तो नंही |" संजीव कुमार और किशोर दा के कैरियर की माईलस्टोन " आंधी" मूवी को कांग्रेस सरकार ने बैन कर दिया था। यह गाना पूरे देश ने तय तारीख से 26 हफ्ते बाद सुना | पिछले सोनिया-मनमोहन राज की घटना बताते हैं | याद है 2013 में आयी पिक्चर "विश्वरूपम" | कोर्ट और सेंसर बोर्ड ने रिलीज की अनुमति दे दी थी। पर जयललिता सरकार ने इसे मुस्लिम विरोधी मानते हुए तमिलनाडु में बैन कर दिया था। हालांकि "विश्वरूपम" की कहानी का भारत से कुछ लेना देना नहीं था | सारी दुनिया अफगानिस्तान में तालिबान के अमानवीय अत्याचारों के खिलाफ थी | तालिबान के खिलाफ दुनिया भर के देशों ने अफगानिस्तान पर हमला किया | पर तालिबान पर बनी फिल्म तमिलनाडू में बैन हो गई | इस फिल्म को बनाने में मशहूर अभिनेता  कमल हसन ने अपना घर तक गिरवी रखा था। मूल फिल्म चूंकि तमिल में थी, तो भावनाओं को दुखाने की महंगी कीमत चुकानी पड़ी। कमल हासन तो तब सार्वजनिक रुप से भारत छोडने तक की घोषणा कर चुके थे। तस्लीमा नसरीन पर आज भी बांग्लादेश में बैन है। कारण उन्होंने बांग्लादेश में हिंदुओं के शोषण पर एक किताब लिखी थी "लज्जा" | मुस्लिम देश बांग्लादेश तो छोडिए | वामपंथियों ने तसलीमा नसरीन  को अपने राज वाले पश्चिम बंगाल से निकाल बाहर किया था | तसलीमा नसरीन पर आज भी बंगाल में प्रवेश करने पर पाबंदी है | सलमान रुश्दी की किताब स्टेनिक वर्सेस  (शैतानी आयतें ) ने दुनिया भर में हंगामा मचाया। इस किताब को इस्लाम बिरोधी बता कर राजीव गांधी की कांग्रेस सरकार भारत में बैन कर दिया था। क्योंकि भारत के मुस्लिम क्त्तार्प्न्थियों ने किताब का विरोध किया था | भारत के सारे सेक्यूलर इन सब घटनाओं पर चुप्पी साध कर क्यों बैठे थे , क्योंकि हिन्दुओं की भावनाए आहत नहीं हुई थी | 

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