अजय सेतिया / अगर सत्रावसान न हुआ होता , तो सोनिया गांधी और राहुल गांधी मानसून सत्र में हिस्सा ले सकते थे , जो सत्र शुरू होते ही विदेश चले गए थे और सत्र समाप्ति वाले दिन भारत लौट कर आए | इस बीच संसद सत्र के दौरान कृषि सम्बन्धी तीन बिलों पर कांग्रेस और भाजपा में इतना बड़ा विवाद हुआ कि संसदीय मर्यादाएं तार तार हो गईं | राहुल गांधी की कमी को पूरा करते हुए उन की बड़ी बहन प्रियंका वाड्रा ने इस मसले पर ट्विट किया कि अगर ये बिल किसान हितैषी हैं तो एम्एसपी का जिक्र बिल में क्यों नहीं है ? बिल में क्यों नहीं लिखा है कि सरकार पूरी तरह से किसानों का संरक्षण करेगी ? सरकार ने किसान हितैषी मंडियों का नेटवर्क बढ़ाने की बात बिल में क्यों नहीं लिखी है ?
अगर यही बात उन के छोटे भाई राहुल ने सदन में कही होती तो वह एक बार फिर हंसी का पात्र बनते क्योंकि नरेंद्र मोदी जरुर उन के ज्ञान की खिल्ली उड़ाते | उन्होंने जो तीन सवाल उठाए हैं , इस तरह के तीनों जवाब अब तक भारत में बने किसी क़ानून में नहीं लिखे गए | गुरूवार को सुबह लोकसभा टीवी पर अपन “नमस्ते भारत” कार्यक्रम में थे तो हमारे कार्यक्रम के बीच ही कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का एक इंटरव्यू प्रसारित हुआ | तोमर ने कांग्रेस को जवाब देते हुए कहा कि एम्एसपी की प्रणाली पच्चास साल से देश में है , क्या कांग्रेस बताएगी कि 50 साल से इसे क़ानून में शामिल क्यों नही किया गया |
असल में इसी तरह की उल जलूल बातें कर के किसानों को भड़काने और गुमराह करने की कोशिश की जाती है . हालांकि मोदी ने जो किया यह सब कांग्रेस के घोषणापत्र में भी था | बजट सत्र में पास हुए नागरिकता संशोधन क़ानून के बारे में भी इसी तरह की उल जलूल बातें कर के मुसलमानों को उग्र विरोध प्रदर्शन करने और बाद में हिंसा के लिए भी भडकाया गया था | मुसलमानों को झूठी बातें कह कर भड़काए जाने का जिक्र दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में भी आ गया है , जिस में कांग्रेस के सलमान खुर्शीद के अलावा मार्क्सवादी सीता राम येचुरी , सीपीआई एम्एल की कविता कृष्णन , अनार्की गेंग के प्रमुख प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव, जेएनयू – जामिया के कम्युनिस्ट छात्र नेताओं का नाम है |
राहुल गांधी आख़िरी दिन बुधवार को सदन में आते तो उल जलूल बातों का पिटारा फिर खुलता क्योंकि आखिरी दिन राफेल विमानों की खरीद पर कैग की रिपोर्ट रखी गई थी | जिस पर सदन के भीतर और बाहर राहुल गांधी बड़े घोटाले की बात करते रहे थे | राहुल गांधी ने सदन में कहा था कि यूपीए सरकार जिस राफेल विमान को 526.1 करोड़ में रूपये खरीद रही थी , मोदी ने उसे 1570.8 करोड़ रूपये में खरीदा | राहुल ने 2019 का चुनाव राफेल के नाम पर ही लड़ा और खुद को देश का चौकीदार बताने वाले मोदी को “चोकीदार चोर ” कहा था | कैग रिपोर्ट में कीमतों में किसी तरह के घोटाले का कोई जिक्र नहीं है क्योंकि सरकार ने कैग को बता दिया था कि खरीदे गए विमान दूर तक मार करने वाले और दुश्मन के वार को आसमान में ही नाकाम कर देने वाले हथियारों से लैस हैं , जिन की कीमत इस में जुडी हुई है | यह बात देश की जनता के दिमाग में तो उस समय ही पड़ी हुई थी , जब राहुल गांधी आरोप लगा रहे थे |
राहुल गांधी का दूसरा बड़ा आरोप यह था कि मोदी ने सौदा करते समय भारत में विमान बनाने के लिए “एचएएल” को मिलने वाला काम अनिल अम्बानी को दिला कर उसे 1,30,000 करोड़ रुपये का फायदा पहुंचाया | हालांकि असल में 36 राफेल विमानों का सौदा सिर्फ 58,000 करोड़ का था और राहुल गांधी के मुताबिक़ अनिल अम्बानी को इस सौदे से 1,30,000 करोड़ का फायदा हुआ था | स्वाभाविक है कैग की रिपोर्ट में राहुल गांधी के इस बेतुके आरोप का जिक्र न होने पर उन की खिल्ली उडती |
हाँ रिपोर्ट में आफसेट पालिसी के तहत डीआरडीओ को हल्के लड़ाकू विमान कावेरी का इंजन विकसित करने लिए मिलने वाली तकनीकी सहायता अभी तक नही मिलने का जिक्र है | कैग ने रक्षा मंत्रालय से कहा है कि वह ऑफसेट का लाभ उठाने में आने वाली समस्याओं का समाधान निकाले | हालांकि दसॉ एविएशन ने कहा है कि कोरोनावायरस के चलते यह प्रक्रिया धीमी पड़ी है , लेकिन वह अपना वायदा निभाएगी | खैर बात राहुल गांधी की , जिन की कैग की रिपोर्ट पर खिल्ली जरुर उडनी थी | पर कांग्रेस ने अपनी तोपों का मुहं मोडते हुए डीआरडीओ का मुद्दा ही पकड़ लिया है और पी.चिदम्बरम से ले कर सुरजेवाला तक ने मोदी पर ट्विटों के गोले दागे हैं |
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