अजय सेतिया / प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वैसे तो राजनीति के घाघ हैं | पर 72 घंटे बाद भी उन्हें राहुल गांधी का एजेंडा समझ नहीं आया | लोकसभा के अविश्वास मत में राहुल गांधी का भाषण चहुमुखी हमले लिए हुए था | अगर मोदी को पता था कि सारा देश लाईव देख रहा है, तो यह राहुल गांधी को भी पता था | राहुल गांधी की तैयारी बड़ी जोरदार थी | उन्होंने अपने भाषण में किसानों , बेरोजगार युवाओं , जीएसटी से परेशान व्यापारियों को एड्रेस किया | वह तो वोट बैंक की सीधी राजनीति थी | पर जो वोट बैंक की टेढ़ी राजनीति थी, वह थी राफेल जेट विमानों में भ्रष्टाचार का मुद्दा | वह बड़े सोच समझ कर बनाई गई रणनीति थी | भले ही सदन में निर्मला सीतारमन और मोदी ने राहुल पटकनी दे दी | दो घंटों के भीतर फ्रांस से भी राहुल के बयान का खंडन मेनेज कर लिया | जिस से सदन में राहुल गांधी का चेहरा उड़ गया था | पर कांग्रेस का इरादा राफेल जेट सौदे को बोफोर्स से भी बड़ा घोटाला बना देने का है | इस लिए मोदी और सीतारामन दोनों के खिलाफ सदन को गुमराह करने का नोटिस दिया जा रहा है |
यूपीए काल के रक्षामंत्री एंटनी ने सोमवार को मोर्चा खोला | निर्मला सीतारमन पर देश को गुमराह करने का आरोप लगाया | उन्होंने कहा कि 2008 में राफेल से कोई समझौता ही नहीं हुआ था | तो गोपनीयता की शर्त कहाँ से आई | कांग्रेस राफेल मामले पर छोड़ने वाली नहीं है | जहां मोदी अपने भाषणों में गले पडना बता कर राहुल की खिल्ली उड़ा रहे हैं | वहां कांग्रेस राफेल को मोदी के गले का फंदा बनाने की रणनीति बना रही है | अब राहुल गांधी के भाषण के अन्य पह्लूयों को समझ लें | राहुल गांधी ने तीन बड़ी बातें की हैं | पहली बात तो उन ने यह की कि खुद को अपनी मां सोनिया गांधी से अलग किया | जिन के इशारे पर यूपीए सरकार पूरी तरह मुस्लिम परस्त हो गई थी | अपनी मां के धर्म ईसाईत से अलग हट कर उन सदन में खुद को शिव भक्त हिन्दू कहा | सोनिया गांधी के जमाने में कांग्रेस ने हिंदूओ को आतंकवादी ठहराना शुरू कर दिया था | राहुल ने संकेत दिया की उन की रहनुमाई में कांग्रेस मुस्लिम और ईसाई परस्ती नहीं करेगी |
दूसरी बात उन ने यह कही कि उन के मन में मोदी के प्रति नफरत नहीं है | हालांकि सब जानते हैं कि 2002 से ले कर 2014 तक नफरत की खेती ही हो रही थी | कभी मोदी को जहर की खेती करने वाला बताया गया | तो कभी मौत का सौदागर | राहुल गांधी को समझ आ गया कि उन सब बातों का मोदी को फायदा हुआ | मोदी ने उन बातों को हिन्दू वोट बैंक एकजुट करने के लिए भुनाया | इस लिए उन ने अब रणनीति यह बनाई है कि वह उदारवादी हिन्दू बन जाएं | इसी रणनीति के तहत वह अपना भाषण खत्म होने के बाद मोदी के गले लगने गए थे | उन्हें बताया गया था कि मोदी अपनी सीट से उठ कर उन्हें गले नहीं लगाएंगे | इसलिए एक सुझाव यह था कि वह हाथ मिला कर लौट आएं | पर मोदी के नहीं उठने को भी फायदे का सौदा माना गया | इस से मोदी को घमंडी साबित किया जा सकेगा | यह अनुमान इस लिए था क्योकि मोदी ने चार साल में अपनी छवि घमंडी की ही बनाई है | सब कुछ लिखी गई स्क्रिप्ट के अनुसार ही हुआ |
अब कांग्रेस ने बड़े पैमाने पर अभियान शुरू कर दिया है | कांग्रेस ने देश भर में मोदी से गले मिलते राहुल के पोस्टर लगाना शुरू कर दिया है | जिन पर लिखा है, आप नफरत करो , हम प्यार से जीतेंगे | अपन को याद है कि राहुल गांधी ने यह नई राजनीति गुजरात से शुरू की थी | वही अब आगे बढ़ रही है | मोदी के खिलाफ जहर उगलने वाले मणि शंकर अय्यर को इसी नई रणनीति में सस्पेंड किया था | इसी रणनीति में भारत को हिन्दू पाकिस्तान कहने वाले शशि थरूर को धमका दिया गया है | मनी शंकर अय्यर को निकाले जाने का कोई मलाल नहीं | उन की स्वामी भक्ति में कोई कमी नहीं आई | लोकसभा के प्रकरण पर उन ने एक लेख लिखा है | जिस में कहा गया है कि वाजपेयी और आडवाणी भी संघ के प्रचारक थे | पर वे सभ्य राजनीतिज्ञ थे , क्योंकि उन दोनों ने नेहरू के जमाने सभ्यता सीखी थी | पर मोदी अक्खड़ और असभ्य हैं, इस लिए गले मिलने को गले पड़ा बता रहे हैं |
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