अब सवाल है उपराष्ट्रपति कौन होगा 

Publsihed: 22.Jun.2017, 23:17

अपन को कोई शक ही नहीं था कि मीरा कुमार विपक्ष की उम्मीन्दवार होंगी | विपक्ष के पास और कोई चारा ही नहीं था | नीतीश कुमार के खिसक जाने के बाद मायावती को साथ बनाए रखना जरुरी था | मायावती ने कह दिया था कि दलित उम्मीन्दवार हुआ | तो वह विपक्ष के साथ रहेंगी | वरना भाजपा के उम्मीन्दवार कोविंद का समर्थन करेंगी | सो मीरा कुमार ही मजबूरी थी | अब दलित पुरुष बनाम दलित महिला हो गया | वैसे कोई लड़ाई है नहीं | कोविंद को दो-तिहाई वोट मिलेंगे | मीरा कुमार को एक-तिहाई | वैसे अपन विश्लेषण करें, तो विपक्ष लेफ्ट ने लड़ाई को कमजोर किया | सोनिया गांधी ने मीरा कुमार का नाम बहुत पहले सुझाया था | अगर विपक्ष अपना उम्मीन्दवार घोषित कर देता | तो नीतीश कुमार का भागना मुश्किल होता | विपक्षी एकता बेहतर मजबूत होती | कई और गैर एनडीए दल भी विपक्ष के साथ आ मिलते | फिर देरी क्यों हुई ?  विपक्ष के बाकी नेता कहते हैं कांग्रेस ने प्रोसेस में बहुत देर लगा दी | पहले सोनिया ने बैठक की | फिर दस मेंम्बरी कमेटी बना दी | फिर उस की बैठक हुई | पर नाम कोई तय नहीं हुआ | दूसरी ओर कांग्रेसियों का कहना है कि वामपंथियों ने फच्चर फंसाया था | सोनिया गांधी ने मीरा कुमार का नाम बीस -पच्चीस दिन पहले सुझाया था | करुनानीधी के जन्मदिन पर जिस दिन सब लोग चेन्नई में जुटे थे | उस दिन सीपीएम ने गोपाल कृष्ण गांधी का नाम आगे कर दिया | सीपीएम की दलील थी कि गांधी के आने से सेक्यूलर-साम्प्रदायिक लड़ाई बनेगी | विपक्ष ने इसी कन्फ्यूजन में बीजेपी का उम्मीन्दवार देखने का फैसला किया | पर अब कोविंद के होते हुए साम्प्रदायिक-सेक्यूलर की लड़ाई नहीं बनती | ऐसे में मायावती को साथ रखने में ही भलाई है | चलते चलते बिहार की बात का लें | लालू यादव ने गुरूवार को वही खुलासा कर दिया जो अपन ने 20 जून को लिखा था | लालू बोले- नीतीश कुमार ने मुझे कहा था  कि वह कोविंद का समर्थन करेंगे | मैंने उन्हें कहा था कि वह यह गलती न करें | यों अब कांग्रेस और राजद ने नीतीश को दुबारा विचार करने को कहा है | लालू और गुलामनबी पटना जा कर नीतीश से मिलेंगे | कांग्रेस और राजद नीतीश सरकार में सांझेदार हैं | दोनों समर्थन वापस ले लें, तो सरकार गिर जाएगी | पर नीतीश को पता है,वे ऐसा नहीं करेंगे | वे सत्ता से बाहर क्यों होना चाहेंगे | नीतीश को तो फौरन बीजेपी का समर्थन मिल जाएगा | मीरा जीत रहीं होती, तो नीतीश क्या, उद्धव ठाकरे भी आ जाते | खैर राष्ट्रपति तो तय हो गया | अब सवाल है कि उपराष्ट्रपति कौन होगा | जब वाजपेयी प्रधानमंत्री थे | तब अब्दुल कलाम राष्ट्रपति बनाए गए | वह दक्षिण भारत से थे | भैरों सिंह शेखावत उपराष्ट्रपति बनाए गए | वह उत्तर -पश्चिम भारत से थे | रामनाथ कोविंद के नाम की तो कोई भविष्यवाणी नहीं कर पाया था | अब लोगों की कोशिश है उप-राष्ट्रपति का नाम सही निकल आए | सो वाजपेयी वाले फार्मूले पर अटकलें लग रही हैं | कोविंद क्योंकि उत्तर भारत से हैं, इस लिए उप-राष्ट्रपति दक्षिण से होगा | सो केरल, आंध्र और तमिलनाडू की तरफ ध्यान जा रहा है | अटकल है कि वेंकैया नायडू कोशिश में हैं | राष्ट्रपति के वक्त भी उन का नाम चला था | तो उनने कहा था -" मैं ऊषा का पति ही बना रहूँगा |" वेंकैया को पता है कि नाम चला नहीं , कि नाम कटा नहीं | देखा आप ने, जिस जिस का नाम चला , सब कट गए | वैसे यह उत्तर-दक्षिण वाला फार्मूला अपन नहीं मानते | अगर बैलेंस बना कर चलना जरुरी होता | तो राष्ट्रपति , प्रधानमंत्री और गृहमंत्री एक ही प्रदेश से न होते | दूसरा फार्मूला यह है कि दलित राष्ट्रपति हो रहा है | तो उप-राष्ट्रपति ऊंची जाति का होगा | तो मुरली मनोहर जोशी और सुमित्रा महाजन का नाम ध्यान में आता है | या दलित राष्ट्रपति हो रहा है, तो उप-राष्ट्रपति मुस्लिम हो जाए | तो नजमा हेपतुल्ला का नाम ध्यान में आता है | उप-राष्ट्रपति राज्यसभा का अध्यक्ष भी होता है | तो संसदीय काम-काज का अनुभवी हो,तो अच्छा रहे | वैसे वेंकैया,जोशी,सुमित्रा, नजमा चारों मंजे हुए हैं | बाकी मोदी जानें, या अमित शाह | उन के पास स्पष्ट बहुमत है | उपराष्ट्रपति के 793 में से 401 वोट एनडीए के पास हैं | 

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