हेमंत करकरे की कहानी के परखचे उड़ने लगे 

Publsihed: 21.Aug.2017, 16:12

हमारी सेना का एक कर्नल पिछले आठ सालों से जेल काट रहा था | यूपीए सरकार ने उन्हें 2008 में गिफ्तार करवाया था | यूपीए सरकार उन दिनों पाकिस्तान से रिश्ते सुधार रही थी | मनमोहन सिंह ने पाकिस्तान को भी आतंकवाद से प्रभावित देश बता दिया था | बलूचिस्तान के आतंकवाद को कश्मीर के आतंकवाद से जोड़ दिया था | इस लिए भारत की आतंकवादी वारदातों में हिन्दुओं को फंसाने की साजिश रची गई | अजमेर शरीफ, समझौता एक्सप्रेस, मक्का मस्जिद , मालेगांव जैसी वारदातों में हिन्दुओं को फंसाया गया | गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे और पी.चिदम्बरम ने खुलेआम हिन्दू आतंकवाद की थ्योरी पेश की | अपन ने 26 जुलाई के अपने कालम में लिखा था -" हिन्दू आतंकवाद की झूठी कहानियों के उड़े परखचे |" तब साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को जमानत मिल गई थी | और असीमा नन्द भी बरी हो गए थे | अपन ने तब कर्नल पुरोहित के खिलाफ रची झूठी कहानी भी लिखी थी | जिन्हें मालेगांव विस्फोट में फंसाया गया था | असल में पहले मालेगांव विस्फोट में 13 मुस्लिम पकडे गए थे | इन में से एक पाकिस्तानी भी था | महाराष्ट्र की एटीएस ने 2006 में सभी के खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल कर दी थी | पर 2008 में सब कुछ बदल गया | तब हेमंत करकरे को एटीएस का चीफ बनाया गया था | एटीएस ने विस्फोट के पीछे हिन्दू आतंकवाद की कहानी खडी की | अगला कदम इस हिन्दू आतंक को साबित करना था | इसे ले.कर्नल पुरोहित के जरिए साबित किया जा सकता था |  अपने काम-काज के दौरान कर्नल पुरोहित का संपर्क हिन्दू संगठनों से भी था | इसी रणनीति के तहत उन्हें चुना गया | पहली नवम्बर 2008 को एटीएस ने लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित को गिरफ्तार कर लिया | कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह कबूल कर चुके हैं कि उनकी करकरे से रोज बात होती थी | पी.चिदंबरम और शिंदे के अलावा दिग्विजय सिंह भी हिन्दू आतंकवाद की थ्योरी पेल रहे थे | कर्नल पुरोहित की गिरफ्तारी की अपनी अलग कहानी है | जिस में सेना के अफसरों की आपसी प्रतिद्वंदिता का भी खुलासा होगा | इस बाबत कर्नल पुरोहित ने 31 मई 2014 को नरेंद्र मोदी को चिठ्ठी में लिखा है | किस तरह पुलिस की मौजूदगी में सेना के एक अफसर ने उन की पिटाई की थी | जो पूरी तरह गैरकानूनी और पुलिस से मिलीभक्त थी | कर्नल पुर्रोहित की गिरफ्तारी के बाद सेना ने अपनी जांच की | जिस में पाया गया कि कर्नल पुरोहित के खिलाफ लगाया गया आरोप झूठा है | इसलिए सेना ने कर्नल पुरोहित को न तो निलंबित किया, न उन का वेतन रोका | अब ख़बरें आ रही हैं कि सेना कर्नल पुरोहित को तुरंत किसी पद पर पोस्ट करेगी | दरअसल, पुरोहित को अपने गुप्त आपरेशन के दौरान कुछ राजनीतिज्ञों के राज़ मिल गए थे |  पुरोहित सेना के खुफिया विभाग में एक मिशन के तहत काम कर रहे थे | अपने मिशन के तहत उन ने कई धार्मिक संगठनों में पैठ बना ली थी । वहां से मिलने वाली सूचना वह लगातार मिशन मुख्यालय पुणे को भेज रहे थे । इसी दौरान उन्हें जाली नोटों के व्यापार के कुछ राज़ मिले | अगर ये राज सार्वजनिक हो जाते तो कई नेताओं का राजनीतिक जीवन बर्बाद हो जाता | क्योंकि मामला सीधा देशद्रोह का बनता | इससे बचने का एक ही रास्ता था | वह यह कि ले.कर्नल पुरोहित को बीच से हटाया जाए | तभी मालेगांव ब्लास्ट हुआ था | कांग्रेस ने हिन्दू आतंकवाद की थ्योरी रख ही दी थी | तो क्या हेमंत करकरे ने नकली नोटों के कारोबारियों से मिल कर कर्नल पुरोहित को ब्लास्ट में फंसाया था | पर 2011 में जांच एनआईए ने संभाल ली | एनआईए को एटीएस की सारी कहानी झूठी लगी | इस लिए साध्वी प्रज्ञा के बारे में एनआईए ने अदालत में  कहा कि कोई सबूत नहीं है | खुद सुप्रीमकोर्ट ने 15 अप्रेल 2015 को कहा था कि किसी के खिलाफ पुख्ता सबूत पुख्ता नहीं है | अदालत ने कहा था कि जमानत पर विचार होना चाहिए | पर कर्नल पुरोहित को इस के बाद भी जमानत मिलने में सवा दो साल लग गए | उस के लिए भी उन्हें सुप्रीमकोर्ट के दरवाजे पर आना पडा | वह भी तब जब उनके खिलाफ मुख्य गवाह कैप्टन नितिन दात्रे जोशी न सिर्फ मुकर गया | अलबत्ता मानवाधिकार आयोग को पुलिस के खिलाफ शिकायत भी की | इस शिकायत में कैप्टन  जोशी ने लिखा कि करकरे की एटीएस ने डरा धमका कर बयान दिलवाया | उसे थाने में बुला कर कहा गया कि उस ने पुरोहित के खिलाफ बयान न दिया तो उसे भी फंसा देंगे | यह देश के इतिहास का सब से बड़ा शर्मनाक केस है | जिस में चुनी हुई सरकार ने देश के बहुसंख्यक  हिन्दुओं के खिलाफ साजिश रची | और देशद्रोहियों के बचाव के लिए रची गई साजिश में एक देशभक्त सैनिक को मोहरा बनाया गया | ‘रॉ’ के पूर्व अधिकारी आरएसएन. सिंह ने अपनी पुस्तक में लिखा  हैं - ‘ यूपीए शासनकाल में धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण करने के लिए एक व्यूह रचना की गई | ऐसा करने के पीछे एक ही वजह थी- ‘वोट बैंक की राजनीति  |’ उसी के तहत ‘जेहादी आतंक’ की तर्ज पर ‘हिन्दू आतंक’ का तानाबाना बुना गया’ | 

 

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