बिहार में राजनीति की कोविड-वेक्सिन

Publsihed: 22.Oct.2020, 19:07

अजय सेतिया / नीतीश कुमार के पाँव छूने के बाद चिराग पासवान उन पर हमलावर हो गए हैं | ताबड़तोड़ तीन ट्वीट करते हुए उन्होंने लिखा कि पिछले पांच साल में सिर्फ घोटाले हुए हैं | अगर उनकी सरकार बनी तो तुरंत इसकी जांच कराएंगे और घोटाले में दोषी पाए गए लोगों को जेल भेजवाएंगे | वैसे अपना मानना है कि न नौ मन तेल होगा , न राधा नाचेगी | चिराग ने गलत समय पर गलत कदम उठा लिया | राम विलास पासवान बीमार थे और चिराग वैसे ही नादान चंपुओं से घिर गए , जैसे नादान चंपुओं से राहुल गांधी घिरे रहते हैं | इस बार टक्कर कड़ी है , क्योंकि नीतीश के खिलाफ एंटीइन्क्म्बेन्सी के कारण तेजस्वी यादव की रैलियों में उम्मींद से ज्यादा भीड़ उमड रही है | लेकिन एक बात साफ़ कही जा सकती है कि चिराग और राहुल गांधी की पार्टियां नुक्सान में रहेंगी |

भाजपा पांच सीटें छोड़ने को तैयार थी , पिछली बार लोजपा सिर्फ दो जीती थी , पांच का सौदा बुरा नहीं था | वैसे भाजपा के कई नेताओं को टिकट दे कर चिराग ने नीतीश कुमार के लिए दोहरी मुश्किलें खड़ी कर रखी हैं | पहली तो एनडीए से निकलकर जेडीयू उम्मीदवारों के खिलाफ अपने उम्मीदवार खड़े कर दिए हैं,  दूसरा अब उनके शासनकाल को भ्रष्टकाल बताकर जांच की बात कर रहे हैं | इस से तेजस्वी यादव को फायदा हो सकता है | तेजस्वी भी चिराग की तरफ नीतीश को ही निशाना बना रहे हैं | यानी दोनों के निशाने पर फिलहाल मोदी नहीं है | चिराग तो इस उम्मींद से अपने सीने में मोदी को हनुमान की तरह छुपाए घूम रहे कि शायद चुनाव के बाद उन के पिता की जगह पर उन्हें मंत्रिमंडल में जगह का जुगाड़ हो जाए |

वैसे अपना मानना साफ़ है कि चुनाव से पहले चिराग और तेजस्वी का तालमेल बैठ जाता तो मुकाबला कांटे का हो जाता | चुनाव भी युवा बनाम थका हुआ नेतृत्व हो जाता | तेजस्वी वैसे भी इन चुनावों में नीतीश को थका हुआ नेता बता रहे हैं , तो इस के जवाब में नीतीश ने तेजस्वी पर व्यक्तिगत हमला किया है , उन्होंने तेजस्वी से पूछा है कि वह बताएं कि बार बार दिल्ली जा कर किस के यहाँ ठहरते थे | खैर बिहार की दिन प्रतिदिन व्यक्तिगत होती जंग से मोदी बच निकलते लग रहे हैं , क्योंकि उन पर प्रहार नहीं हो रहे हैं | वैसे भाजपा ने एक सेल्फ गोल कर लिया है , जिस कारण देश भर के विपक्षी नेताओं के साथ साथ सोशल मीडिया पर आम आदमी के निशाने पर भी आ गई है |

नीतीश कुमार की एंटीइनकम्बेंसी का सामना कर रही भाजपा ने कोविड वेक्सिन को अपने घोषणापत्र में शामिल कर के चुनावी मुद्दा बना डाला | वादा यह है कि गठबंधन सत्ता में आया तो बिहार में सभी को वेक्सीन का टीका मुफ्त में लगाया जाएगा | क्या भाजपा ने यह कह कर सेल्फ गोल नहीं कर लिया | केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने एक ट्वीट में पूछा है कि बिहार में मुफ्त टीका लगेगा , तो बाकी राज्यों का क्या होगा | खासकर गैर-बीजेपी शासित राज्यों का क्या होगा ? क्या जिन भारतीयों ने बीजेपी को वोट नहीं किया, उन्हें फ्री में कोविड वैक्सीन नहीं मिलेगी ?'

उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि भाजपा अपने फंड से तो वेक्सिन का पैसा देगी नहीं | अगर यह सरकारी खजाने से दिया जाना है , तो सिर्फ बिहार में क्यों | वैसे इस का जवाब केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी चौबे ने दिया है , पता नहीं वह कितना सही है ,उन्होंने कहा कि हर राज्य को कोरोनावायरस वैक्सीन फ्री में मिलेगी | जब सभी राज्यों को केंद्र सरकार वेक्सिन मुफ्त में उपलब्ध करवाएगी , तो फिर यह चुनावी वादा क्या और कैसे हुआ | भाजपा के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय नेदूसरी बात कही है , जो ज्यादा सही लगती है , उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार न्यूनतम कीमत पर सभी राज्यों को टीका उपलब्ध करवाएगी | स्वास्थ्य क्योंकि राज्यों आ विषय है , इसलिए यह राज्यों को तय करना है कि वह मुफ्त में टीका लगाएगी या कुछ कीमत तय करेगी | बिहार में भाजपा ने मुफ्त टीका लगाने का वादा किया है , वैरी सिम्पल |

पर यह इतना सिम्पल है नहीं | बिहार में मुफ्त टीके के वायदे से बाकी राज्यों के भाजपाई मुख्यमंत्रियों के सामने मुसीबत खडी हो गई है | अब सभी भाजपाई मुख्यमंत्रियों को भी तुरंत बयान देना पड़ेगा कि उन के राज्यों में हर नागरिक को सरकार मुफ्त टीका लगाएगी | अगर ऐसा हो जाता है तो विपक्ष खुद कटघरे में होगा | अमरेन्द्र सिंह से ले कर उद्धव ठाकरे तक और ममता बेनर्जी से लेकर अशोक गहलोत तक को अपनी कोविड-वेक्सिन नीति साफ़ करनी होगी |

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