झुग्गी झौपडी वाला दलित राष्ट्रपति 

Publsihed: 20.Jul.2017, 21:00

राहुल गांधी ने कई दलितों के घर खाना खाया और एक बार तो रात भी बिताई | वे सब गरीब दलित थे | झुग्गी झौपडी वाले दलित | एक दलित ने तो राहुल को डिनर करवाने के लिए दस किलो आटा उधार लिया था | ये कहानिया दलित प्रेम दिखाने के लिए इस्तेमाल की जाती हैं | उन का उल्लेख संसद के भाषणों में भी किया जाता है | पर जब राष्ट्रपति पद पर दलित उतारने की मजबूरी आई | तो जन्म से ही इलीट क्लास की दलित दिखाई दी | जिस ने ब्राह्मण से शादी की थी और  आईऍफ़एस अधिकारी के नाते ऐशो-आराम की जिन्दगी बिताई | जबकि नरेंद्र मोदी ने बारीश में टपकती छत वाली झुग्गी में बचपन बिताने वाला उम्मीन्दवार चुना | अब एक चाय वाला प्रधानमंत्री है , तो 25 जुलाई से झुग्गी वाला राष्ट्रपति होगा | गुरूवार को देश भर में नतीजे का इन्तजार था | इन्तजार सिर्फ यह था कि रामनाथ कोविंद को दो-तिहाई वोट मिलेंगे या नहीं | अपन राष्ट्रपति चुनाव की चर्चा में तीन से चार बजे तक लोकसभा टीवी पर थे | चार बजे सांसद और पत्रकार बदले जाने थे | जब चार बजे अपन को रिप्लेस करने कोई नहीं आया | तो अपन को कुछ देर और बैठने को कहा गया | सवा चार बजे| दो मिनट का ब्रेक चल रहा था | तभी ओम बिडला ने स्टूडियो में प्रवेश किया | वह अपने साथ वोटों का पूरा हिसाब किताब ले आए थे | रामनाथ कोविंद के राष्ट्रपति चुने जाने की वह पहली खबर थी | जो मीडिया से पहले एक नेता के माध्यम से पहुंची | लोकसभा टीवी का स्टूडियो संसद की लाईब्रेरी में है | वोटों की गिनती पच्चास कदम पर संसद की मेन बिल्डिंग हो रही थी | वह दो मिनट में खबर लेकर लाईब्रेरी में आ गए थे | सांसदों -विधायकों के कुल वोटों की वेल्यू  10,98,903 वोट थी | पर तीन सांसदों और 26 विधायकों ने वोट नहीं डाला | सांसदों के 771 वोट थे , जिन में से 768 ने वोट किया | विधायकों के 4109 वोट थे, जिन में से 4083 ने वोट डाला | इन पोल हुए 4851 वोटों की कीमत 10,90,300 वोट थी |  पहले अपन चुनाव से पहले का आकलन बता दें  | 62 फीसदी यानि 682677 वोट एनडीए उम्मीन्दवार को मिलने तय माने जा रहे थे | पर कोविंद को मिले है 702044 वोट | यानि कोविंद को 19367 ज्यादा मिले | मीरा कुमार के 376261 वोट पक्के माने गए थे | पर मीरा कुमार को 367314 वोट मिले,  8947 वोट कम | कोविंद और मीरा कुमार को शर्तिया मिलने वाले वोटों के अलावा भी 39965 बकाया थे | पर सवाल है कि क्या कोविंद को ,जो 19367 वोट ज्यादा मिले, क्या वे बकाया 39965 वोटों में से मिले | यह कहना इतना आसान नहीं होगा | पहले अपन सांसदों का हिसाब लें | सांसदों के 771 वोट थे , जिन में से 768 ने वोट किया | कोविंद को 522 वोट मिलने थे, 522 ही मिले | मीरा कुमार को 235 मिलने थे , पर मिले 225 वोट |  अगर खराब होने वाले 21 वोटों में से कुछ एनडीए के वोट भी खराब हुए हों  |  तो जरुर कांग्रेस खेमे से क्रास वोटिंग हुई | अपन सांसदों की बात छोड़ भी दें, तो अपने पास चार राज्यों से पक्की जानकारी है | यूपी,बिहार,गुजरात और त्रिपुरा से कोविंद के पक्ष में क्रास वोटिंग हुई है | यूपी से सपा, बिहार से राजद, गुजरात से कांग्रेस और त्रिपुरा से तृणमूल कांग्रेस से क्रास वोटिंग हुई | दलित के मुकाबले दलित को उतार कर भी विपक्ष अपना घर सुरक्षित नहीं रख सका | बिहार की बेटी के नाम पर भी नीतीश कुमार को डगमगा नहीं सके | लालू अपना घर सुरक्षित नहीं रख पाए | त्रिपुरा के तृणमूल विधायकों ने ममता को दो-टूक कह दिया -"लेफ्ट के साथ वोट नहीं करेंगे |" ममता ने एक सूबा ही अपने हाथ से गवां दिया | बंगाल में अब कांग्रेस के नुकसान की बारी है | बंगाल की कांग्रेस हाईकमान के कहने पर ममता का साथ देने को तैयार नहीं | बंगाल की कांग्रेस एक बार फिर टूटेगी | गुजरात की कांग्रेस भी टूट के कगार पर है | शंकर सिंह वाघेला कभी भी राहुल गांधी को टाटा-बाय-बाय कह सकते हैं | उन्हीं के ख़ास विधायकों ने कोविंद को वोट किया होगा | हिमाचल और गुजरात के चुनाव सर पर हैं | हिमाचल में भाजपा लौट रही है | गुजरात में कांग्रेस कुछ ज्यादा ही उम्मींद पाले हुए है | पिछले दिनों किसी नगरपालिका में कांग्रेस को बहुमत आ गया था | कांग्रेस उसे ही विधानसभा में जीत का संकेत मां रही है | अब कौन समझाए कि मोदी के पीएम रहते कांग्रेस को गुजरात में कौन जीतने देगा | मोदी का धुर विरोधी वाघेला तो भाजपा में वापसी की तैयारी में है | वाघेला ने अमित शाह से मुलाकातें शुरू कर दी है | मायावती पर चुनाव का असर अपन ने देख ही लिया | उस के दलित वोट तो पहले ही खिसक चुके थे | रही-सही कसार कोविंद पुरी कर देंगे | सो मायावती ने राज्यसभा से इस्तीफे का डाव चल दिया | उसे यूपी से दुबारा राज्यसभा में आना नहीं था | इतने विधायक ही नहीं , जो राज्यसभा में भेज सकें | अब विपक्ष मजबूरी में किसी और राज्य से लाएगा | शायद लालू यादव के कोटे से बिहार से | ताकि 2019 में यादव,दलित,मुस्लिम के वोट जुड़ें |  

 

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