कश्मीर भी देख सकेगा हिन्दू सीएम

Publsihed: 21.Dec.2021, 19:46

अजय सेतिया / जम्मू कश्मीर के विभाजन और केंद्र शासित राज्य बनाए जाने के बाद अब मोदी सरकार ने विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन की प्रक्रिया शुरू कर के फारूख अब्दुल्ला परिवार और मुफ्ती परिवार के जले पर नमक छिडक दिया है | हालांकि जम्मू कश्मीर की सीटें  83 बढा कर 90 करने का प्रस्ताव उस बिल में ही था ,जो विभाजन के समय संसद से पास हुआ था | सरकार ने अपना इरादा तभी साफ़ कर दिया था कि जम्मू में 6 और कश्मीर घाटी में सिर्फ एक सीट बढ़ेगी | अब परिसीमन आयोग की और से जम्मू संभाग में कठुआ, सांबा, उधमपुर, रियासी, राजोरी और किश्तवाड़ जिलों में एक-एक विधानसभा सीट और कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में एक सीट बढ़ाने का प्रस्ताव है | पहले की तरह 24 सीटें पीओके के लिए सुरक्षित रहेंगी |

 

केंद्र और जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने साफ़ साफ़ कहा है कि चुनाव परिसीमन के बाद ही होंगे | सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश रंजना देसाई की अध्यक्षता वाले परिसीमन आयोग का कार्यकाल 6 मार्च 2022 तक है | आयोग का कार्यकाल न बढा तो 6 मार्च को रिपोर्ट आ जाएगी  । अब जब परिसीमन आयोग की बैठकें शुरू हुई हैं , तो कश्मीर के दो बड़े मुस्लिम पारिवारिक राजनीतिक दलों अब्दुला परिवार की नेशनल कांफ्रेंस और मुफ्ती परिवार की पीडीपी ने सडकों पर आ कर विरोध का बिगुल बजा दिया है | वे नहीं चाहते कि नए परिसीमन के आधार पर चुनाव हों , क्योंकि मौजूदा स्थिति इन दोनों मुस्लिम दलों के पक्ष में है, जो परिसीमन के बाद बदल जाएगी |

 

इन दोनों दलों के गुप्कार एलांस ने पहली जनवरी 2022 को  विरोध में घाटी बंद का एलान किया है | गुप्कार एलांस में शामिल कांग्रेस अभी फूंक फूंक कर कदम रख रही है , कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री गुलामनबी आज़ाद हालांकि अब कांग्रेस के बागी नेता माने जाते हैं , लेकिन उन्होंने घाटी की सिर्फ एक सीट बढाने और जम्मू की छह सीटें बढाने का विरोध नहीं किया | उन के विरोध की वजह दूसरी है , उन्होंने कहा कि जम्मू क्षेत्र के तीन रीजन हैं , अगर यहाँ छह सीटें बढनी हैं तो तीनों क्षेत्रों की दो-दो सीटें बढनी चाहिए | असल में वह चाहते हैं कि जम्मू के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों को भी दो सीटें मिलनी चाहिए , लेकिन इन सभी मुस्लिम नेताओं को दर्द यह है कि मोदी सरकार परिसीमन इस तरह कर रही है , जिस से जम्मू कश्मीर में हिन्दू मुख्यमंत्री बन सके | जम्मू मोटे तौर पर हिन्दू बहुल क्षेत्र है , जहां पिछले चुनाव में भाजपा को 25 सीटें मिलीं थी, जबकि  कश्मीर में वह एक भी सीट नहीं जीत सकी थी । अब परिसीमन और आरक्षित सीटों का फार्मूला इस तरह है कि भाजपा 40 - 45 सीटों तक पहुंच कर हिन्दू मुख्यमंत्री बनवा सके | जम्मू कश्मीर का आखीरी हिन्दू मुख्यमंत्री मैहर चंद महाजन थे , जो 15 अक्टूबर 1947 से 5 मार्च 1948 तक मुख्यमंत्री थे |

 

परिसीमन आयोग ने अनुसूचित जनजाति के लिए 9 और अनुसूचित जाति के लिए 7 सीटें आरक्षित करने का प्रस्ताव दिया है | पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को 25, पीडीपी को 28 , नेशनल कॉन्फ्रेंस को 15 और कांग्रेस को 12 सीटें मिलीं थीं | अब परिसीमन के बाद भाजपा को बूस्ट मिल सकता है । मुस्लिम कश्मीरी दलों का मानना है कि जम्मू में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आबादी पर फोकस बढ़ाकर भाजपा आने वाले चुनाव में 45 सीटों का आंकड़ा पार करना चाहती है | मुस्लिम दल  आरक्षण का विरोध तो नहीं कर पा रहे , लेकिन इस आधार पर विरोध कर रहे हैं कि जम्मू कश्मीर का परिसीमन उस समय किया जाए , जब सारे देश में परिसीमन हो | संसद से पारित प्रस्ताव के अनुसार देश में 2026 तक परिसीमन पर रोक लगी हुई है |

 

जम्मू कश्मीर का क्योंकि बंटवारा हुआ है और केंद्र शासित राज्य बना , इसलिए सरकार  संसद से ही जम्मू कश्मीर के परिसीमन का प्रस्ताव पास करवा चुकी है | मुस्लिम दलों का तर्क है की परिसीमन अगर करना भी है , तो 2011 की जनगणना के आधार पर हो | 2011 की जनगणना के मुताबिक कश्मीर की  68 लाख 88 हजार 475 जनसंख्या है, जबकि जम्मू की आबादी 53 लाख 78 हजार 538 हैं  | परिसीमन से जम्मू की 42 प्रतिशत आबादी को 43 और कश्मीर की 52 आबादी को 47 सीटें मिलेंगी | मुस्लिम दल इसी से परेशान हैं | भाजपा का तर्क यह है कि सिर्फ आबादी नहीं क्षेत्रफल भी देखा जाना चाहिए | जम्मू 26 हजार 293 वर्ग किलोमीटर में फैला है, जबकि कश्मीर का क्षेत्रफल सिर्फ 15 हजार 948 वर्ग किलोमीटर है |

 

 

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