अजय सेतिया / जब से सुप्रीमकोर्ट ने अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि हिन्दुओं को सौपते हुए भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बनाने की इजाजत दी है , तब से तथाकथित सेक्यूलर बुद्धिजीवियों और कांग्रेस , कम्यूनिस्ट, तृणमूल कांग्रेस , एनसीपी के बड़े नेताओं के पेट में दर्द हो रहा है | इस से पहले जब अदालत में केस चल रहा था तब आरएसएस के “मंदिर वहीं बनाएंगे” वाले नारे की खिल्ली उड़ाते हुए कहते थे कि मंदिर वहीं बनाएंगे , लेकिन तारीख नहीं बताएंगे | अब जब राम जन्मभूमि न्यास ने शिलान्यास के लिए 5 अगस्त की तारीख तय कर दी है , तो इन सेक्यूलर हिन्दुओं के पेट में मरोड़ शुरू हो गए हैं | इन के सेक्यूलर होने की पोल खुल रही है , देश के बड़े नेता शरद पवार ने भगवान श्रीराम की खिल्ली उड़ाते हुए कहा कि रामजन्मभूमि मंदिर बनने से कोरोना की बीमारी खत्म नहीं होगी |
लगभग ऐसी ही प्रतिक्रिया कांग्रेस और वामपंथी दलों के नेता भी दबी जुबान से दे रहे हैं | शरद पवार का हिन्दू विरोधी होना बार बार सामने आता रहा है , शरद पवार के दबाव में ही 16 अप्रेल को महाराष्ट्र के पालघर में दो साधुओं की हत्या के मामले को उद्धव ठाकरे ने गलतफहमी में हुई हत्या बता दिया था , पवार की पार्टी के गृहमंत्री ने पहले हत्या के मामले को दबाने की कोशिश की थी , लेकिन जब सोशल मीडिया पर हत्या का वीडियो जारी हो गया तो अब तक जांच को भटकाने की कोशिश चल रही है और उद्धव ठाकरे सत्ता के लालच में शरद पवार के इशारे पर साधुओं की हत्या को गम्भीरता से नहीं ले रहे | असल में शरद पवार को यह भी डॉ है कि उन के समर्थन से मुख्यमंत्री बने उद्धव ठाकरे 5 अगस्त को मंदिर शिलान्यास कार्यक्रम में शामिल हो कर उन की किरकिरी कराएंगे , इस लिए उन्होंने भगवान श्रीराम का अपमान करने के साथ साथ उद्धव ठाकरे की भी खिल्ली उडाई है |
शरद पवार का हिन्दू विरोधी और मुस्लिम तुष्टिकरं वाला चेहरा पहली बार उजागर नहीं हुआ है | जब वह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे तब 12 मार्च 1993 को मुंबई को दहलाने वाले 12 सीरियल बम धमाके हुए थे , सभी बम धमाके हिन्दू बहुल इलाकों में हुए , जिन में 300 से ज्यादा लोग मारे गए थे , लेकिन तब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री होते हुए पवार ने 13वें धमाके की झूठी कहानी गढ़ी | उन्होंने दूरदर्शन से सम्बोधित करते हुए कहा कि एक धमाका मस्जिद बंदर में भी हुआ है । पवार ने मुस्लिमों को पीड़ित की तरह पेश करने के लिए मस्जिद में विस्फोट की कहानी गढ़ी थी ।
हमले के 22 साल बाद 2015 में पवार ने पुणे में आयोजित मराठी साहित्यिक सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए स्वीकार किया था कि उन्होंने जान-बूझकर एक अतिरिक्त बम ब्लास्ट की कहानी गढ़ी ताकि मुस्लिमों को पीड़ित दिखा कर सांप्रदायिक तनाव से बचा जाए क्योंकि ‘पाकिस्तान ऐसा ही चाहता था’। उन्होंने कहा कि उन्हें भी यह पता था कि ये सभी धमाके हिन्दू बहुल क्षेत्रों में हुए थे ।
इसी साल फरवरी में भगवान श्री विठ्ठल के भक्तों की प्रमुख संस्था राष्ट्रीय वारकरी परिषद ने शरद पवार पर हिंदू विरोधी होने का आरोप लगाते हुए उनका बहिष्कार करने का फैसला किया था । और यह भी फैसला किया था कि पवार को वारकरी समुदाय के किसी भी कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं किया जाएगा |
राष्ट्रीय वारकरी परिषद के वक्ते महाराज का कहना था कि पवार कभी रामायण पर कटाक्ष करते हुए कहते हैं कि रामायण की आवश्यकता नहीं है। पांडुरंग की पूजा में गैरहाजिर रहते है, जबकि पवार नास्तिक मंडली को समर्थन देते हैं। वारकरी परिषद का मुंबई, पुणे, मराठवाड़ी और विदर्भ में वारकरी सन्गठन का खासा प्रभाव है | वक्ते महाराज को 2018 में महाराष्ट्र सरकार ने ज्ञानबा तुकाराम पुरस्कार से सम्मानित किया था।
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