अजय सेतिया / राजीव गांधी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए खुद को हिन्दू साबित करने की जरूरत नहीं पडी | तब भी नहीं, जब उन की रहनुमाई में कांग्रेस ने 401 सीटें जीतीं थी | हालांकि राजीव गांधी के पिता फ़िरोज़ खान पारसी थे | मां इंदिरा गांधी भले ही हिन्दू ब्राह्मण थी | बच्चे का धर्म , जाति वही मानी जाती है, जो पिता की हो | राजीव गांधी हिन्दू नहीं थे , फिर भी उन्हें कोई बाधा नहीं आई | मुसलमान होने के कारण जाकिर हुसैन , फखरुद्दीन और ए.पी.जे.अब्दुल को राष्ट्रपति बनने में बाधा नहीं आई | फिर राहुल गांधी क्यों हीन भावना का शिकार हैं | मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव में उन का सब से ज्यादा जोर खुद को हिन्दू बताने पर रहा | उन्हें ऐसा क्यों लगता है कि वह अपने धर्म के कारण प्रधानमंत्री पद तक नहीं पहुंच सकते | वह अगर प्रधानमंत्री नहीं बन पाएंगे | तो सिर्फ अपनी अपरिपक्वता के कारण | इस देश में शाषक होने के लिए धर्म कभी मायने नहीं रखता | पर शायद कुछ कांग्रेसियों ने उन के दिमाग में उन के अहिंदू होने के नुक्सान का कीड़ा घुसा दिया है | इस लिए वह बार बार जोर दे कर कहने लगे हैं कि वह हिन्दू हैं | वह तो बस अपनी मां के जमाने की मुस्लिम्परस्ती छोड़ दें | हिन्दुओं का विशवास कांग्रेस में फिर जग सकता है |
अविश्वास प्रस्ताव पर हुई बहस में राहुल गांधी के भाषण को अपन ज्यादा महत्व देते हैं | उन ने ताल ठोक कर कहा हुआ था कि अगर उन्हें 15 मिनट बोलने दिया जाए तो भूकम्प आ जाएगा | मोदी सामना नहीं कर पाएंगे | राहुल गांधी ने मोदी को उन के मुकेश अम्बानी के साथ सम्बन्धों को अपने हमले का केंद्र बिंदू बनाया | जियो सिम के विज्ञापन में मोदी के फोटो से लेकर राफेल एयरक्राफ्ट के सौदे में हिस्सेदारी तक को संसद में उछाला | अपने भाषण में जब राहुल गांधी ने राफेल एयरक्राफ्ट सौदे में घोटाले का आरोप लगा रहे थे , तो वह इसी बात पर जोर दे रहे थे कि मोदी आँख नहीं मिला पा रहे | वह देश को बताना चाहते थे कि मोदी सामना नहीं कर पा रहे | मोदी ने भी उम्मींद नहीं की होगी कि जिसे वह पप्पू कहते थे , वह इस तरह घेरेगा | मोदी का चेहरा उतरा हुआ था क्योंकि राहुल ने बिना कोई लिहाज किए कह दिया था – “ मोदी किसी उधोगपति को साथ ले कर फ्रांस जाते हैं और 526 करोड़ रूपए का राफेल विमान 1640 का हो जाता है | सरकारी कम्पनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड की जगह एक निजी कम्पनी साझेदार हो जाती है, जिसे 45000 करोड़ का फायदा पहुंचाया जाता है |“ राहुल गांधी ने सदन में उस कम्पनी का नाम नहीं लिया | न ही उस उद्योगपति का नाम बताया , जो प्रधानमंत्री के साथ फ्रांस गया था | पर अपन बता दें, वह उद्योगपति अम्बानी है और उस की कम्पनी रिलायंस डिफेंस कंपनी है | जिसे राफेल सौदे में एचसीएल की जगह ठेका मिला है | राहुल का हमला मोदी के साथ साथ रक्षामंत्री सीतारमण पर भी था | जिसने गोपनीयता की शर्त का हवाला दे कर सारा खुलासा करने से मना किया था | राहुल ने दो बार दोहरा कर कहा कि फ्रांस के राष्ट्रपति ने उन्हें बताया है कि गोपनीयता की कोई शर्त नहीं | पर जब सीतारमन को जवाब देने का मौक़ा मिला तो उन्होंने सदन में वह शर्त की कापी दिखा दी | यह भी बताया कि शर्त यूपीए जमाने की है और उस पर ए.के.एंटनी के दस्तखत हैं | अब या तो राहुल ने सदन को गुमराह किया | या फ्रांस के राष्ट्रपति ने राहुल को गुमराह किया था |
पर राहुल गांधी अपना खेल खेलने में कामयाब हो गए | अविश्वास प्रस्ताव के कारण उन्हें बेबाक बोलने का मौक़ा मिल गया | भाजपा सांसदों का हंगामा उन की बचाव मुद्रा का एहसास करवा रहा था | गोपनीयता की शर्त से देश को कुछ लेना देना नहीं | देश को इस बात का ठोस जवाब चाहिए कि लडाकू विमान की कीमत 526 करोड़ से 1640 करोड़ रूपए कैसे हुई | राहुल राफेल सौदे पर उसी आक्रमक तेवर में मोदी को घेर रहे हैं | जैसे तेवरों के साथ सोनिया गांधी ने 2004 में कफनचोर कह कर वाजपेयी को घेरा था | ताबूतों की खरीदारी में घोटाले का आरोप वाजपेयी सरकार के लिए घातक साबित हुआ था | हालांकि कोई ताबूत घोटाला हुआ ही नहीं था | बाद में मनमोहन सरकार केस दायर कर के कोर्ट में साबित नहीं कर पाई थी | पर लोगों के जहन में अभी भी ताबूत घोटाला बना हुआ है | उसी लाईन पर चल कर अब राहुल गांधी ने मोदी सरकार के माथे पर राफेक घोटाला चिपका दिया है | राहुल गांधी ने चौतरफा वार किया है | सेनिकों की तारीफ़ कर उन्हें डोकलाम में पीछे हटने की याद दिलाई | किसानों को भड़काया कि उद्योगपतियों के ढाई लाख करोड़ के कर्जे माफ़ हुए , पर उन्हें सिर्फ 10000 करोड़ की न्यूनतम मूल्य की राहत मिली | व्यापारियों को जीएसटी और नोटबंदी याद करवा कर भड़काया | नौजवानों को बेरोजगारी के आंकड़े सुना कर भड़काया | और हिन्दुओं को आश्वस्त किया कि वह अपनी मां की तरह मुस्लिमपरस्ती नहीं करेंगे | भाषण के बाद मोदी के गले लग कर राहुल ने कहा यही हिंदुत्व है | जो उस ने भाजपा और आरएसएस से सीख लिया है | पर यह हिंदुत्व नहीं अपरिपक्वता है । जिस का जिक्र अपन ने शुरू में किया था। उनका कोई भाषण बिना अपरिपक्वता का सबूत छोड़े और बिना विवाद के बचता नहीं | सदन में गले मिलना परम्परा के खिलाफ था , तो स्पीकर ने एतराज भी जता दिया | अपनी सीट पर आ कर जिस तरह राहुल ने अपने किसी साथी को आँख मार कर बात की | उस का भी विवाद खडा हो गया |
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