क्या तिब्बत पर मुलायम की सलाह मानेंगे मोदी 

Publsihed: 19.Jul.2017, 22:45

डोकलाम विवाद को लेकर चीन के बयान बहुत हमलावर हैं | चीन का विदेश विभाग विदेशी राजदूतों को बुला कर ब्रीफ कर रहा है | युद्धाभ्यास के वीडियो रीलिज कर रहा है | 1962 याद करा कर भारत को धमकी दे रहा है | और इस सब से ज्यादा तो चीन का मीडिया बोल रहा है | चीनी मीडिया ने कहा है कि यद्ध हो सकता है , चीन को तैयार रहना चाहिए | ग्लोबल टाईम्स जो कम्युनिस्ट पार्टी का अखबार है, चीनी सरकार से भी ज्यादा धमकिया दे रहा है | कम्युनिस्ट पार्टी आफ चाईना का यह अखबार लिखता है -"चीन के भीतर आवाजें उठ रही हैं कि भारतीय सैनिकों को तुरंत खदेड़ा जाना चाहिए | जबकि भारतीय जनता का विचार चीन के साथ युद्ध का है |" जैसे अपने यहाँ अंगरेजी के दो-तीन न्यूज चेनलों में हर रोज रात को एक घंटे के लिए भारत-पाक युद्ध होता है | कुछ वैसे ही चीनी मीडिया ने भारत के खिलाफ यद्ध छेड़ रखा है | यह बताना जरुरी है कि चीन का मीडिया भारत की तरह आज़ाद नहीं | चीन का करीब करीब सारा मीडिया भारत के आकाशवाणी-दूरदर्शन की तरह ही है | चीनी मीडिया को देखो, तो ऐसा लगता है युद्ध होने ही वाला है | वैसे अपना मीडिया चीनी मीडिया के एक दम उलट है | चीनी मीडिया भारत को धमकी दे रहा है | पर भारत का मीडिया भारत की जनता को डरा रहा है कि यद्ध हुआ तो भारत तबाह हो जाएगा | भारत को चीन के मुकाबले कमजोर बताया जा रहा है | भारत का ज्यादातर मीडिया हर रोज ग्लोबल टाईम्स को पढ़ कर खबर बना रहा है | इस की वजह भारतीय मीडिया में कम्युनिस्टों की घुसपैठ है | भारत की माकपा भी कह रही है कि भारत ने चीन-भूटान में अपनी टांग क्यों अडाई | भारत के कम्युनिस्ट जैसे 1962 में वहीं के साथ थे, वैसे अब भी हैं | जब से कांग्रेस की कम्युनिस्टों से फिर दोस्ती हुई है | तब से राहुल गांधी भी सपरिवार चीन दूतावास चाइनिस फ़ूड खाने खूब जा रहे हैं | सीमा के तनाव पर ट्विट कर मोदी से सवाल भी पूछ रहे हैं | मोदी ने कोई जवाब नहीं दिया | पर विदेश सचिव एस जयशंकर ने एक संसदीय समिति के सामने जरुर बताया कि -"टकराव को लेकर चीन की आक्रामकता और बयानबाजी कुछ ज्यादा ही है | पर स्थिति इतनी भी खराब भी नहीं है, जैसा कि बताई जा रही है | हम उनसे राजनयिक तरीके से बात करना जारी रखेंगे | सीमा को लेकर भारत और चीन ने अपनी-अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी  है | चीन उस का गलत मतलब निकाल रहा है | ब्रिटिश राज के दौरान 1895 में हुए एंग्लो-चीनी समझौते से अब तक भारत के रुख में कोई बदलाव नहीं आया | " यह बात सही है कि जितना हल्ला चीन कर रहा है , अपन उतने ही चुप हैं | चीन ने ऐसा सोचा नहीं था कि भारत भूटान-चीन के विवाद वाले क्षेत्र में घुस आएगा | इस लिए चीन की बौखलाहट कुछ ज्यादा है | वह सिक्किम सीमा से 700 किलोमीटर दूर हुए अपने अभ्यास को सीमा पर अभ्यास बता रहा है | ऊपर से हिन्द महासागर में अमेरिका, जापान और भारत की नौसेना ने युद्धभ्यास ने चीन की हवा सरका दी है | यह समंदर में चीन की दादागिरी को चुनौती है | दक्षिण चाइना सी के बाद हिंद महासागर में चीन अपना दखल बढ़ाने की कोशिश में है |  ऐसे में मालाबार युद्ध अभ्यास की अहमियत और बढ़ गई है | संसद शुरू होने से पहले सरकार ने विपक्ष के नेताओं को हालात बता दी थे | शुरू में विपक्ष हमलावर थी | पर लगता है अब चुप्पी का मन बनाया है | इस के बावजूद गुरूवार को मुलायम सिंह  संसद में बोले | चीन पर मुलायम के बोलने का मतलब होता है | चीन पर मुलायम की समझ औसत भारतीय नेताओं से बेहतर है | वैसे भी कांग्रेस ने जब से उन के बेटे को बरगलाया है | तब से उन का संसद में खा गया एक एक शब्द महत्वपूर्ण हो गया है | वह राष्ट्रपति -उपराष्ट्रपति चुनाव में ही भाजपा के साथ नहीं आए | चीन के मुद्दे पर भी एनडीए के साथ खड़े दिखे | अलबता तिब्बत पर उन का स्टैंड बहुतेरे भाजपाईयों से मेल खाता है | जो न तब एनडीए के स्टैंड से सहमत थे, न आज हैं | जब अटल बिहारी वाजपेयी ने तिब्बत पर घुटने टेक दी थे | मुलायम ने कहा-" चीन भारत पर हमले की तैयारी कर चुका है | हमारे विरोध के बाद भी तिब्बत चीन के हाथों सौंप दिया गया | अगर चीन अब हमला करेगा तो तिब्बत के रास्ते ही करेगा | चीन और पाकिस्तान हमें कश्मीर के मुद्दे पर घेरने की कोशिश कर रहा है | इस लिए अपना स्टैंड बदल कर हमें तिब्बत की आजादी का मुद्दा उठाना चाहिए |"  इसके साथ ही कम्युनिस्टों को नंगा करते हुए पूर्व रक्षा मंत्री मुलायम सिंह यादव ने कहा कि भूटान की रक्षा करना हमारी जिम्मदारी है | हालांकि उन ने सरकार से भी पूछा कि वह बताए हमारी क्या तैयारी है | 

 

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