मंदिर पर मस्जिद,या मस्जिद पर मंदिर 

Publsihed: 19.Apr.2017, 23:50

सुप्रीम कोर्ट भी हद करती है | कभी कहती है आपसी बातचीत से राम जन्मभूमि का हल निकाल लो | कभी कहती है ढांचा टूटने की साजिश का पता लगाओ | कोर्ट विवाद की जड़ में नहीं जाती | हिन्दू मानते हैं वहां पहले रामजन्म भूमि मंदिर था | मीर बाकी ने मंदिर तोड़ कर बाबरी मस्जिद बनाई | अपन ने भी उस ढाँचे को देखा था | अन्दर रखे राम लाला के दर्शन किए थे | वह ढांचा मस्जिद जैसा लगता ही नहीं था | संसद की एक कमेटी भी अयोध्या गई थी | एक कम्युनिस्ट सांसद ने राम लाला के दर्शन करने के बाद पूछा था -" वह मस्जिद कहाँ है | " अपन बात कर रहे थे विवाद की जड़ की | तो विवाद की जड़ है कि बाबरी मस्जिद बनी कैसे थी | रिकार्ड बताता है कि मीर बाकी ने 1528 में यह ढांचा खडा करवाया था | जांच तो यह करवानी थी कि वहां पहले राम मंदिर था या नहीं | यह ढांचा मन्दिर तोड़ कर बना था या खाली पडी जमीन पर | वैसे यह पता लगाने के लिए खुदाई हुई थी | खुदाई में कुछ सबूत मिले थे | सुप्रीम कोर्ट खुदाई के बाद बनी पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट पर फैसला करता |  तो मुकद्दमा इतना लंबा क्यों चलता | सुब्रहमन्यम स्वामी तो खुदाई के सबूतों पर उम्मींद लगाए बैठे थे | पर सुप्रीम कोर्ट  बुधवार को 1992 पर आ कर अटक गई |  मूल मुद्दा ढांचा टूटने से पहले 1528 में ढांचा बनने का है | जबकि अब  लखनऊ की कोर्ट यह तय करेगी कि ढांचा साजिश से टूटा या भीड़ ने अचानक तोड़ दिया था | उत्तरप्रदेश हाईकोर्ट मूल मुद्दे पर गई थी | हाईकोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग से जीपीआर सर्वेक्षण कराया था |  यह काम  टोजो विकास इंटरनेशनल नाम की कंपनी ने किया | फरवरी 2003 में आई रिपोर्ट में कहा गया कि वहां जमीन के अंदर कुछ इमारतों के 184 भग्नावशेष हैं | अदालत ने मार्च 2003 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को खुदाई कर खोजबीन के आदेश दिए | यह खुदाई 12 मार्च से 7 अगस्त 2003 तक हुई | खुदाई दोनों पक्षों के प्रतिनिधियों, वकीलों की मौजूदगी में हुई |  एएसआई की टीम में भी दोनों समुदायों के कुल 14 पुरातत्व विशेषज्ञ शामिल थे | यह खुदाई  सिविल प्रोसीजर कोड के तहत हुई | यानि खुदाई के नतीजे सबूत माने जाएंगे |  खुदाई की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी भी हुई  |  फैजाबाद में तैनात दो जज प्रेक्षक के तौर पर खुद मौजूद रहे |  एएसआई ने दो जिल्दों में डिटेल रिपोर्ट, फोटोग्राफ, नक़्शे और स्केच अदालत में पेश किए | सबूत कह रहे थे कि वहां मंदिर रहा होगा | रिपोर्ट जैसे ही पेश हुई सुन्नी वक्फ बोर्ड ने 20 बिंदुओं पर अपनी आपत्ति दर्ज की | सुन्नी बोर्ड ने कहा कि रिपोर्ट को सबूत न माना जाए | हालांकि निर्मोही अखाड़ा ने पूरब की ओर कुछ और खुदाई चाही थी | जिसे अदालत ने ठुकरा दिया था | फरवरी 2005 में जस्टिस एस आर आलम, जस्टिस खेम करन और जस्टिस भंवर सिंह ने सर्वसम्मति फैसला दिया | अदालत ने कहा कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत यह एक सबूत माना जाएगा | खुदाई में 13वीं शताब्दी तक के अवशेष मिले हैं | कुषाण और शुंग काल से लेकर गुप्त काल और प्रारंभिक मध्य युग तक के अवशेष हैं | निचोड़ यह है कि खुदाई में मिले अवशेष पहले भी वहां मंदिर होने का सबूत है | खुद्दाई में एक दैवीय युगल की मूर्ती मिली है | जो किसी मस्जिद में होना तो असंभव है | ईंटों का गोलाकार मंदिर और पचास खम्भे मिले थे  | गोलाकार मंदिर सातवीं से दशवीं शताब्दी के बीच का माना गया | दैवीय युगल की तुलना शिव-पार्वती से की गई |  गोलाकर मंदिर की तुलना शिव मंदिर से की गई | रिपोर्ट के मुताबिक़ भग्नावशेष के ऊपर वह विवादित ढांचा 16वीं शताब्दी में बना | रिपोर्ट में दर्जनों और सबूत हैं, जिन का अपन यहाँ क्या जिक्र करें | अदालत की बहस में तो कहा गया कि वे बौद्ध एवं जैन मंदिर के अवशेष हो सकते हैं | अब दूसरा पक्ष भी है | सेक्यूलर जमात के एक पुरातत्वविद, इतिहासकार और सोशल एक्टिविस्ट थे डॉ. सूरजभान | वह कांग्रेस विचारधारा के नजदीक थे | इसलिए वह इंडियन हिस्ट्री कांग्रेस, अर्कियोलोजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया के केन्द्रीय सलाहकार मंडल में भी थे | अयोध्या मामले में वह लखनऊ की अदालत में बतौर विशेषज्ञ गवाह के तौर पर पेश होते रहे | वह सारे भग्नावशेषो को मस्जिद के अवशेष बताते रहे । उन ने अदालत में कहा कि वहां सल्तनत काल से भी मस्जिद थी  |  मीर बाकी ने उसे तोड़ कर यह ढांचा बनवाया | उन के मुताबिक़ सल्तनत काल में तो भव्य मस्जिद थी | जिसे तोड़ कर मीर बाकी ने तीन गुम्बद वाली दो कमरों की मस्जिद बनवाई थी | हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने उन्हें इतिहासकार मानने से ही इनकार कर दिया था | अब फिर वही मूल सवाल | अदालत मूल सवाल तय कर देती तो मूल समस्या हल होती | मुस्लिम पक्ष कह चुका है कि अगर मंदिर साबित हो जाए तो वे मुकद्दमा वापस ले लेंगे |  देश चाहता है कि अब यह विवाद खत्म हो | आपसी बातचीत से हो, अदालत से हो, या क़ानून बना कर हो | इस बार भले चुनाव में मंदिर मुद्दा नहीं था | फिर भी हिन्दू जनमानस ने राम जन्मभूमि मंदिर की उम्मींद पाल रखी है | सुप्रीम कोर्ट का ताज़ा आदेश हिन्दू जनमानस की उम्मींदों पर पानी फेरने वाला है | भले ही लाल कृष्ण आडवाणी-मुरली मनोहर जोशी  राजनीतिक तौर पर बर्फ में लगे हुए हैं | जिन्ना को सेक्यूलर कहने के बाद भले ही आडवाणी हिन्दू जनमानस के हीरो नहीं रहे | फिर भी रामजन्मभूमि आन्दोलन में आडवाणी की भूमिका को कौन नकारेगा | अदालत के इस फैसले से हिन्दू जनमानस आहत हुआ है | आडवाणी के राजनीतिक बनवास का शायद किसी को मलाल न हो | यूपीए सरकार में साजिश का मुकद्दमा खत्म हुआ था |  बीजेपी राज में खुल जाना किसे पचेगा | अब इस में साजिश है या नहीं अपन नहीं जानते | लालू यादव ने राम रथ ले कर निकले आडवाणी को गिरफ्तार किया था | वह मौक़ा नहीं चूके | उन ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को राष्ट्रपति पद की दौड़ से जोड़ दिया | आडवाणी के साथ ही साजिश में फंसे विनय कटियार ने सीबीआई की साजिश कहा है | वह बोले सीबीआई की साजिश कहाँ से रची गई , यह वह वक्त आने पर बताएंगे | | उमा भारती मौक़ा नहीं चुकी, उन ने फ़ौरन अयोध्या कूच शूरू कर दिया | योगी आदित्य नाथ की सरकार उन्हें क्यों रोकेगी | विनय कटियार, उमा भारती, साध्वी ऋतम्भरा ने मंदिर वहीं बनाएंगे का नारा लगा दिया है | भले ही आडवाणी-जोशी अभी कुछ नहीं बोले,पर उन ने बैठ कर रणनीति तो बनाई  | कोई माने न माने मोदी सरकार का इम्तिहान शुरू हो गया है | इसी लिए बुधवार को पहली बार बीजेपी हाईकमान और मोदी सरकार सर से सर जोड़ कर बैठी | 

 

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