तो क्या संघ मोदी से खफा होना शुरू हो गया है

Publsihed: 02.Oct.2017, 22:29

 अजय सेतिया / आरएसएस को लेकर अपने पास कई खबरें थीं | पर जब तक पुष्टि न हो , लिखना ठीक नहीं होता | अपन सुनी-सुनाई अनाप-शनाप लिखने से परहेज करते हैं | सो इस मामले में भी परहेज ही रखा | पर जब एस. गुरुमूर्ति का बयान आया , तो अपनी ख़बरों की पुष्टि होने लगी | गुरुमूर्ति ने जरुर संघ नेतृत्व को मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों के नतीजों से अवगत करवाया होगा | संघ की सहमति ले कर ही जुबान खोली होगी | पर गुरुमूर्ति के बयान से पहले अपने पास मथुरा की खबर थी | बैठक पहली सितम्बर से तीन सितम्बर तक हुई थी | सालाना समन्वय बैठक में संघ के सभी संगठनों के प्रमुख हिस्सा लेते हैं | जिस में सेवा भारती, बनवासी कल्याण आश्रम, सेवा भारती ,विहिप, एबीवीपी, किसान संघ, भारतीय मजदूर संघ , स्वदेशी जागरण मंच शामिल हैं | फीड बैक लेने का यह संघ का सब से बड़ा मंच है | अमित शाह और राजनाथ सिंह पहले दिन ही मौजूद थे | अगले दिन योगी और नीतिन गडकरी मौजूद थे | पर जब अरुण जेटली को भी बुलाए जाने की खबर आई , अपने कान तभी खड़े हुए थे | फिर एक सूत्र ने अपन को बताया कि सरसंघ चालक ने नोटबंदी और जीएसटी पर टिप्पणी की थी | उन का कहना था कि दोनों कदम बिना तैयारी के उठाए गए | जिस से समाज में नाराजगी है | जीएसटी टेक्स प्रणाली को आसान बनाने के लिए लाया गया था | पर जीएसटी ने कर प्रणाली को पहले से भी ज्यादा उलझा दिया है |  छोटे और मझोले व्यापार एक तरह से ठप्प हो गये हैं | वैसे जीएसटी लागू करने के बाद नोटबंदी का फैसला लेना चाहिए था | पर नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी करते समय किसी से सलाह नहीं की थी | अरुण जेटली ने अपनी सफाई में क्या कहा होगा , यह जाहिर नहीं हुआ | सार्वजनिक तौर पर संघ की नाराजगी के कोई सन्देश नहीं थे | पर इस बैठक के बाद सुब्रहमन्यम स्वामी ने अरुण जेटली पर हमले शुरू कर दिए  | सवा साल पहले भी वह अरुण जेटली पर हमले किया करते थे | जेटली जब एक विदेश दौरे पर थे | तब टीवी पर उन का फोटो टाई लगाए हुआ आया था |  स्वामी ने ट्विटर में कह दिया था कि  विदेश दौरे पर मंत्रियों को टाई सूट नहीं पहनना चाहिए | टाई में वे वेटर लगते हैं | स्वामी ने एक बार यहाँ तक कह दिया था कि अरुण जेटली इकनामिक्स की कोई समझ नहीं | उसे इतनी ही समझ है कि उसे रसीदी टिकट के पीछे लिखा जा सकता है | स्वामी तब आर्थिक नीतियों को ले कर आए दिन  जेटली और रघुराम राजन पर हमला कर रहे थे | पर जून 2016 में जब मोदी ने सार्वजनिक तौर पर नाराजगी जताई थी | तो स्वामी ने जेटली पर टिप्पणियाँ बंद कर दीं थी | तब से स्वामी खुलेआम अरुण जेटली के खिलाफ नहीं बोलते थे | पर जैसे ही मथुरा की खबर लीक हुई स्वामी ने जेटली पर हमले फिर तेज कर दिए | यह एक पुख्ता संकेत था कि मथुरा की बैठक में नोटबंदी और जीएसटी पर चिंता हुई है | फिर एस गुरुमूर्ति ने भी कहा कि अर्थव्यवस्था डूब रही है |  व्यापारी नोटबंदी और जीएसटी से  मिला सदमा बर्दाश्त नहीं कर पा रहा है | गुरुमूर्ति पहले नोटबंदी और जीएसटी के समर्थक थे | साफ़ संकेत थे कि मथुरा की बैठक में फीड बैक के आधार पर संघ की राय बदली है | वह नरेंद्र मोदी की कारगुजारी से खुश नहीं है | गौरक्षकों को ले कर एक वक्त संघ के अधिकारी नरेंद्र मोदी की राय से सहमत हो गए थे | मोदी ने सेक्यूलर मीडिया के दबाव में गौरक्षकों को असमाजिक तत्व बताना शुरू कर दिया था | पर फीडबैक के बाद संघ की राय बदली | सरसंघ चालक मोहन भागवत के विजय दशमी भाषण से उन्हें झटका लगा होगा | जो समझते हैं कि संघ में सूचना के बाद सोचना नहीं होता | मथुरा बैठक में संघ नेतृत्व की तीन मूद्दों पर राय बदली | तीनों मुद्दों पर मोहन भागवत ने देश के सामने राय रखी है | आर्थिक नीति और गौरक्षकों पर सरकार की नीतियों को आईना दिखाया गया है | मोदी सरकार की कश्मीर नीति पर भी संघ की नाराजगी है | आतंकवादियों का खात्मा किए जाने के अभियान पर तो संघ सहमत है | पर अनुच्छेद 35ए पर सरकार के ढील-मुल रवैये से संघ खुश नहीं | यह अनुच्छेद जवाहर लाल नेहरु ने संविधान में राष्ट्रपति के आदेश से जुडवा दिया था | संसद को बताया तक नहीं गया | संसद से मंजूरी लेना तो दूर की बात | अनुच्छेद में कहा गया है कि गैर कश्मीरियों को कश्मीर में नौकरी और जमीन लेने का हक नहीं | इसी अनुच्छेद के तहत शाषण ने गैर कश्मीरियों से शादी करने वाली महिलाओं को भी प्रापर्टी के हक से महरूम कर रखा था | यह मामला अब सुप्रीमकोर्ट में है | जहां मोदी सरकार ने  ढील-मुल  रवैया अपना रखा है | फारूख और महबूबा मुफ्ती 35ए पर एकजुट हो गए हैं | मोदी और राजनाथ सिंह ने पहले तो महिलाओं को बराबरी के हक की दुहाई दी | पर बाद में दोनों के दबाव में मोदी-राजनाथ ने कहा यथास्थिति बनी रहेगी | मोहन भागवत ने इस मुद्दे पर भी अपनी राय साफ़ कर दी है | यानि कश्मीर, गौरक्षा और आर्थिक मुद्दों पर संघ मोदी सरकार से खफा हो गया है | मुद्दे और भी हैं, जैसे जनभावनाओं के विपरीत चीन से बढ़ता व्यापार | तो क्या यह मोदी के लिए खतरे की घंटी है | संघ के इसी तरह के मतभेद वाजपेयी सरकार से भी हुए थे | फिर हवा और शाईनिंग इंडिया के बावजूद 2004 में भाजपा हार गई थी | आज फिर हवा भी है, शाईनिंग इंडिया भी है | पर संघ खफा है | इसलिए मोदी ने संघ से बात करने के लिए सात मंत्रियों को लगाया है | पर इनमें न राजनाथ सिंह हैं, न नितिन गडकरी हैं, न सुषमा स्वराज, न अरुण जेटली | 

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