अजय सेतिया / अपन ने 16 और 18 जून यानि शनि और सोम को कश्मीर पर जो लिखा | उस का लब्बोलुबाब यह था कि संघ मोदी की कश्मीर निति से खफा है | राजनाथ सिंह के घर हुई संघ से जुड़े संगठनों की बैठक ने युद्धविराम खत्म करवाया | तो सूरजकुंड में हुई तीन दिन की बैठक ने महबूबा सराकार गिरवाई | युद्धविराम से भाजपा के काडर और संघ का गुस्सा नाक तक आ गया था | मोदी के पास कोई चारा ही नहीं बचा था | महबूबा मुफ्ती खुलेआम पाक परस्तों को हवा दे रही थी | कठुआ काण्ड ने महबूबा की हिन्दू विरोधी मानसिकता उजागर कर दी थी | हिन्दुओं को बलात्कार के झूठे केस में फंसा कर पूरी दुनिया में बदनाम किया गया | भाजपा चाह कर भी सीबीआई की जांच का आदेश नहीं करवा पाई | अपन को लगता था मोदी इसी मुद्दे पर समर्थन वापस लेंगे | पर उलटे मोदी ने सीबीआई जांच की मांग करने वाले मंत्रियों को हटा दिया था | इस से देश भर के मोदी समर्थकों का गुस्सा भडका हुआ था | ऊपर से महबूबा के कहने में आ कर रमजान में युद्धविराम करवा दिया | इसी पर उन्हें कहा गया कि वह अपने मन की सुना करें | किसी महबूबा मुफ्ती के मन की न सुना करें | राजनाथ सिंह के घर पर 9 और 11 जून को दो मीटिंगे हुई थीं | मीटिंग में सरसंघ कार्यवाह भैय्या जी जोशी और सहसर कार्यवाह कृष्ण गोपाल खुद मौजूद थे | दोनों मीटिंगों में सब ने कश्मीर पर चिंता जाहिर की | मीटिंग में मौजूद एक सज्जन ने अपन को बताया था –“युद्धविराम आगे नहीं बढेगा |” फिर 15,16,17 की सूरजकुंड बैठक में संघ ने अमित शाह को बुला कर काडर का फीडबैक समझाया | मोदी के साथ हुई संघ-भाजपा बैठक में भी कश्मीर नीति पर सवाल उठाए गए | दो टूक बता दिया गया कि काडर और संघ की कश्मीर और रामजन्मभूमि पर क्या अपेक्षाएं हैं |
कश्मीर में संघ को आतंकवाद काबू पाने और कश्मीरी पंडितों के फिर से बसने की उम्मींद थी | चार साल एक भी कश्मीरी घाटी नहीं लौटा | महबूबा मुफ्ती ने हिन्दू बस्तियां बसाने की योजना ही ठुकरा दी थी | उलटे जम्मू में भी भाजपा-पीडीपी राज में ही रोहिंग्या मुस्लिम बसाए गए | संघ और भाजपा काडर तो 370 और 35 ए हटाने की उम्मींद लगाए बैठा था | पर जब पीआईएल के माध्यम से 35ए का केस सुप्रीमकोर्ट में आया | तो महबूबा मुफ्ती के दबाव में मोदी सरकार का रूख ही बदल गया | केंद्र सरकार ने 35ए के खिलाफ काऊँटर एफिडेविट ही दाखिल नहीं किया | अलबता वही स्टेंड ले लिया ,जो महबूबा सरकार का था | महबूबा सरकार का स्टेंड था कि 35ए की समीक्षा ही नहीं हो सकती | यह मामला अभी भी सुप्रीमकोर्ट में पेंडिंग है | अगले महीने सुनवाई हो सकती है | अपन बता दें 35ए से ही जम्मू कश्मीर विधानसभा को नागरिकता तय करने का अधिकार मिला | इसी अधिकार से शेख अब्दुल्ला ने तीन बड़ी बातें तय करवा दी थीं | एक तो यह कि बाहर से आए लोगों को जम्मू कश्मीर की नागरिकता नहीं मिलेगी | दूसरा यह कि बाहर के लोग प्रापर्टी नहीं खरीद सकते | न ही बाहर के लोगों को स्थाई नौकरी मिल सकती है | तीसरा यह कि कश्मीर की कोई लडकी किसी गैर कश्मीरी से शादी करेगी तो उसे प्रापर्टी का हक नहीं मिलेगा | इसी के कारण पाक के कब्जे वाले कश्मीर से आ कर बसे लोगों को आज तक विधानसभा में वोट का हक भी नहीं मिला | चलते चलते अपन 35ए की हेराफेरी भी बताते जाएं | संविधान लागू होने के चार साल बाद पिछले दरवाजे से संविधान में जोड़ दिया गया | संसद से मंजूरी तक नहीं ली गई | 1952 में नेहरु और शेख अब्दुला में कश्मीर पर एक समझौता हुआ | इस समझाते में कश्मीर में नागरिकता को स्टेट सब्जेक्ट मान लिया गया | नेहरु ने चुपके से अपने मंत्रिमंडल से पास करवा कर राष्ट्रपति को भेज दिया | राष्ट्रपति डा.राजेन्द्र प्रशाद ने अपने आदेश से इसे संविधान की धारा 35ए के रूप में जोड़ दिया | यह संविधान में बड़ा संशोधन था | जो दोनों सदनों में दो तिहाई से पास होना चाहिए था | पर संसद को तो बताया ही नहीं गया | अब इसी पर सुप्रीमकोर्ट में सुनवाई हो रही है | देखते हैं कि अब मोदी सरकार का रुख क्या होगा | मोदी सरकार ने संघ और काडर की भावनाएं समझी तो सुप्रीमकोर्ट का फैसला अहम हो जाएगा | लोकसभा चुनावो से पहले 35ए खत्म हो सकती है | फिर 370 की कोई अहमियत ही नहीं होगी | चलते चलते 370 का भी बताते जाएं | बाबा साहेब आम्बेडकर के विरोध के बावजूद नेहरू ने इसे संविधान में जुड़वाया | नेहरु की मौत के बाद 1966 में प्रकाश वीर शास्त्री इसे खत्म करने के लिए बिल लेकर आए | बिल का डा. लोहिया समेत सब ने समर्थन किया | क्योंकि यह प्राईवेट मेंबर बिल था ,सो इस सहमति से वापिस हुआ कि सरकार बिल लाएगी | फिर इंदिरा युग आ गया ,तो सेक्यूलरिज्म ने मुद्दे को हिन्दू-मुस्लिम बना दिया | भाजपा के कोर मुद्दों में 370 की समाप्ति भी शामिल है | और संघ ने मोदी को कोर मुद्दे और काडर की भावनाएं याद करवाई हैं |
कई मुद्दे जुड़ गए थे | खरी खरी बातें हो गई थी | इस के बाद महबूबा सरकार गिराने के सिवा कोई चारा ही नहीं बचा था | सो जिस राम माधव ने सरकार बनाने की व्यूह रचना की थी | उन्हीं राम माधव ने मंगलवार को महबूबा सरकार का फातिया उलाल करने का एलान किया | भाजपा पीडीपी में बार बार दरारें उभरती रही | पहले हुर्रियत के मुद्दे पर दरार उभरी | महबूबा बार बार हुर्रियत को महत्व दे रही थी | तो हुर्रियत को बीच में लाने पर मोदी ने पाक से बात ही बंद कर दी थी | बुरहान वानी के मुठभेड़ में मारे जाने पर भी गठबंधन में बड़ी दरार आई | पीडीपी ने खुलेआम बुरहान वानी का समर्थन किया | संसद में भी सवाल उठाया था | गठबंधन के खिलाफ लोगों का गुस्सा भी बढ़ता जा रहा था | रमजान में सैनिक औरंगजेब और सम्पादक शुजात बुखारी की हत्याओं ने हालात और बिगाड़ दिए | राम माधव ने समर्थन वापसी का एलान करते हुए इन दोनों हत्याओं का जिक्र किया | उनने कहा कि मानवाधिकार सुरक्षित रहे नहीं और अभिव्यक्ति की आज़ादी को ख़तरा पैदा हो गया है | संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार कमेटी ने हाल ही में यही सवाल उठाया था | वही सवाल अब महबूबा के खिलाफ चला गया | वैसे ये दोनों जुमले वामपंथियों के हैं | खैर महबूबा सरकार गिर चुकी है | इस्तीफा भी हो चुका है | अब गवर्नर राज के सिवा चारा नहीं | तीसरे बड़े दल नेशनल कांफ्रेंस ने सरकार बनाने की कोशिशों से इनकार कर दिया है | नेकां के चीफ उमर अब्दुल्ला ने गवर्नर एन.एन वोरा को मिलकर बता दिया कि चुनाव करवाए जाएं | यानि अब लोकसभा चुनाव तक कश्मीर में गवर्नर रूल होगा | पर गवर्नर एन.एन.वोरा का भी दूसरा कार्यकाल 25 जून को खत्म हो जाएगा | वैसे भी कश्मीर के लिए दो साल से नया गवर्नर खोज रहे हैं | अब निगाह इस पर है कि गवर्नर कौन होगा |
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