अजय सेतिया / अगर आप किसी पर कीचड़ फेंकेंगे, तो उस के कुछ छींटे आप पर भी पड़ेंगे| राहुल गांधी के साथ वही हो रहा है, वह अंगरेजी के वामपथी “हिन्दू” अखबार की मुहीम और राम पुनियानी जैसे मुगलों के समर्थक और हिन्दुओं के कट्टर विरोधियों की बातों में आ कर हिन्दुओं के नायक वीर सावरकर पर बार बार कीचड़ फैंक कर रहे| लेकिन इस बार उन की खुद की झकाझक सफेद विदेशी टी-शर्ट पर कीचड़ के इतने दाग लग गए हैं, कि कोई वाशिंग मशीन उनके काम नहीं आ रही| वीर सावरकर के पत्र की जैसी भाषा राहुल गांधी ने मीडिया को दिखाई है, हू-ब-हू वैसी ही भाषा वाली महात्मा गांधी की ब्रिटिश सरकार को लिखी गई दो चिठियाँ मार्केट में आ गई है| महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीस ने महात्मा गांधी की वह चिठ्ठी ट्विटर पर पोस्ट कर दी है, जिस में महात्मा गांधी ने अंत में लिखा था- “ मैं आपकी शाही महारानी के वफादार नौकर बने रहने की भीख माँगता हूँ|” - इस के बाद महात्मा गांधी के दस्तखत हैं| असल में ब्रिटिश राज में चिठ्ठियों की भाषा ऐसी ही होती थी, ऐसे जवाहर लाल नेहरू के भी अनेक पत्र मौजूद हैं, जिन में महारानी की चाटुकारिता वाली भाषा का इस्तेमाल किया गया था| जब आप एक उंगली किसी की तरफ उठाते हो, तो तीन उंगलियाँ आप की तरफ उठती हैं, इसलिए शीशे के घरों में रहने वालों को दूसरे के घरों में पत्थर नहीं फेंकने चाहिए|
अब वीर सावरकर के पोते रंजीत सावरकर ने राहुल गांधी के खिलाफ एफआईआर तो दर्ज करवाई ही है, उन्होंने राहुल गांधी के परिवार पर ऐसा कीचड़ उछाल दिया है कि राहुल गांधी तो क्या सारी कांग्रेस तिलमिला उठेगी| रंजीत सावरकर ने कहा है कि जवाहर लाल नेहरू ने एडविना माऊंटबटन के हनी ट्रेप में फंस कर देश के दो टुकड़े करवा दिए| उन्होंने नेहरू और एडविना के पत्रव्यवहार को ब्रिटिश सरकार से मंगवा कर सार्वजनिक करने की मांग की है| इतना ही नहीं उन्होंने यह तक आरोप लगाया है कि नेहरू 12 साल तक भारत के क्रांतिकारियों के खिलाफ गुप्त सूचनाए दे कर अंग्रेजों की दलाली करते रहे| वामपंथियों के बहकावे में आ कर राहुल गांधी जिस क्रांतिकारी वीर सावरकर पर कीचड़ उछाल रहे हैं, उस के दाग अब खुद उन की टी-शर्ट पर दिखाई दे रहे हैं|
राहुल गांधी बार बार वीर सावरकर के माफीनामे की चिठ्ठियों का भी जिक्र कर रहे हैं| जबकि पटियाला जेल से रिहाई के लिए जवाहर लाल नेहरु ने भी लिखित माफानामा दिया था, और वह भी गिरफ्तारी के 24 घंटे के भीतर| वामपंथी अखबार “हिन्दू” गूगल पर विज्ञापन दे कर वीर सावरकर विरोधी लेखों को प्रचारित कर रहा है, लेकिन वामपंथियों के सब से बड़े नेता अमृत डांगे के माफीनामे को वह छुपा जाता है| जबकि यह वीर सावरकर की तो यह रणनीति थी कि 50 साल तक जेल में सड़ने की बजाए , बेहतर हैं एक बार जेल से बाहर निकला जाए, बाद में देखते हैं कि क्या होता है| वीर सावरकर की इस रणनीति को अंग्रेज भी समझते थे, इसलिए वे दस साल तक उन की हर चिठ्ठी को ठुकराते रहे| राहुल गांधी वामपंथी सहयोगियों के बहकावे में आ कर बार बार वीर सावरकर पर कीचड़ फेंक रहे हैं, जबकि एतिहासिक तथ्यों वाली कोई किताब पढने की कोशिश ही नहीं क्र रहे|
चर्चित लेखक विक्रम संपत ने अपनी किताब , “सावरकर- एक भूले बिसरे अतीत की गूंज” मे लिखा है कि -17 जनवरी 1920 को ब्रिटिश सरकार ने अंडमान जेल से रिहा किए जाने वाले कुछ राजनीतिक कैदियों की सूची जारी की थी, जिस में अंडमान निकोबार जेल में बंद वीर सावरकर और उन के भाई का नाम नहीं था| इस पर वीर सावरकर के भाई नारायण राव ने 18 जनवरी 1920 को महात्मा गांधी को एक चिठ्ठी लिखी, जिस में उन्होंने अपने भाइयों की रिहाई कराने के संबंध में गांधी जी से सलाह और मदद मांगी थी| गांधी जी ने उस चिठ्ठी का जवाब 25 जनवरी 1920 को दिया था, वह जवाब ही राहुल गांधी पढ़ लें, तो उन्हें उन सभी सवालों का जवाब मिल जाएगा, जिन्हें वह उठा रहे हैं| उस चिठ्ठी में गांधी जी ने लिखा था- “आपको सलाह देना कठिन लग रहा है, फिर भी मेरी राय है कि आप एक संक्षिप्त याचिका तैयार कराएं, जिसमें मामले से जुड़े तथ्यों का जिक्र हो कि आपके भाइयों द्वारा किया गया अपराध पूरी तरह राजनीतिक था| जैसा कि मैंने आपसे पिछले एक पत्र में कहा था, मैं इस मामले को अपने स्तर पर भी उठा रहा हूं|” गांधी की इस चिठ्ठी से साफ़ जाहिर है कि आख़िरी चिठ्ठी गांधी के कहने पर लिखी गई थी, गांधी ने खुद ब्रिटिश सरकार से बात की थी, उसी के बाद 1921 में वीर सावरकर को अंडमान निकोबार जेल से पुणे की जेल में भेजा गया|
किसी को जा कर राहुल गांधी को बताना चाहिए कि ठीक उन्हीं दिनों महात्मा गांधी ने खुद 1920-21 में ‘यंग इंडिया’ में वीर सावरकर के पक्ष में लेख लिखे थे, जिसमें गांधी ने खुद लिखा है कि सावरकर को चाहिए कि वे अपनी मुक्ति के लिए सरकार को याचिका भेजें, इसमें कुछ भी बुरा नहीं है, क्योंकि स्वतंत्रता व्यक्ति का प्राकृतिक अधिकार है|
खुद महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू , इंदिरा गांधी और राजीव गांधी हिन्दू और मराठा नायक वीर सावरकर के खिलाफ बोलने से बचते रहे हैं| लेकिन राहुल गांधी जब से भारतीय राजनीति में प्रकट हुए है, तब से लगातार समय समय पर कुछ अतंराल के बाद सावरकर पर अनर्गल आरोप लगाते रहते हैं| हिन्दू विरोधी ताकतें, उनके अज्ञान का फायदा उठा कर उनके दिमाग में नफरत के बीज बोते रहते हैं, हैरानी यह है कि कांग्रेस के नेता भी उन्हें इतिहास की सही जानकारी देने की कोशिश नहीं करते, इसलिए पूरी कांग्रेस की छवि हिन्दू विरोधी होने की बन गई| एक परिवार की चाटुकारिता का यह सब से बड़ा प्रमाण है कि सारी कांग्रेस मौन है| राहुल गांधी की और से सावरकर की ताजा आलोचना पर उद्धव ठाकरे असहज हैं, राजनीतिक गठबंधन के स्वार्थ में वह सिर्फ इतना ही कह पा रहे हैं कि वह राहुल गांधी से सहमत नहीं है, लेकिन विधानसभा चुनावों के समय जब राहुल गांधी ने वीर सावरकार पर इसी तरह की बयाम्न्बाजी की थी , तो इन्ही उद्धव ठाकरे ने कहा था कि राहुल गांधी को जूतों से मारना चाहिए| अब मजबूरी इतनी है कि उद्धव ठाकरे के करीबी शिवसेना सांसद संजय राउत लाचारी में कहते है कि राहुल गांधी को कौन समझाए| समस्या यही है कि किसी कांग्रेसी की भी हिम्मत नहीं हो रही कि वह राहुल गांधी को इतिहास का सच बताए कि वीर सावरकर की आज़ादी के आन्दोलन में कैसी कितनी भूमिका थी|
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