अजय सेतिया /अपन इस समय उस नैनीताल में हैं , जहां मंगलवार को लगातार बारिश का तीसरा दिन था | बारिश से चप्पे चप्पे पर बड़े पैमाने पर भूस्खलन हो रहा है | पता था कि सत्तताल से भीमताल तक जाना मुश्किल होगा | यह सिर्फ सात किलोमीटर का रास्ता है | फिर भी अपनी काटेज से इसलिए निकले कि हार्ट की एक दवा खत्म हो गई थी | पर आधे किलोमीटर के बाद ही वापिस लौटना पड़ा क्योंकि भूस्खलन से रास्ता बंद हो चुका था | पर शाम तक जेसीबी से रास्ता खोला जा चुका था | जैसे ही रास्ते खुलने की खबर मिली अपन दुबारा चल पड़े | पर उस के बाद जो देखने को मिला भयावह था | भीमताल से पहले ही सडक पर भारी मलबे का सामना करना पड़ा | थोड़ा आगे बढ़े तो एक कार मलबे के नीचे दब कर चिपकी हुई थी | जेसीबी के जरिए मलबा हटाया जा रहा था और कार सवार की लाश निकाली जा रही थी | उत्तराखंड में अपन ऐसी स्थिति दो बार पहले भी देख चुके हैं | पहले 1998 में उस समय श्रीनगर के पास ठहरे हुए थे | जब रात को भूकंप आ गया था | फिर 2013 की केदारनाथ त्रासदी के समय तो उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष के नाते रिपोर्ट भी तैयार की थी | जिसे विधानसभा में रखा गया था | इस रिपोर्ट में आपदा से प्रभावित बच्चों का आंकडा था | इस रिपोर्ट पर विधानसभा में हंगामा हो गया था | क्योंकि सरकार आंकड़े छुपाना चाहती थी | यह उत्तराखंड के इतिहास की सब से बड़ी त्रासदी थी , जिस में तीन हजार के करीब लोग मारे गए थे |
हालांकि इस बार भी खबर तो उत्तराखंड के गढवाल क्षेत्र से भी भयानक है । चमौली ज़िले में बादल फटने से 24 के मरने की खबर है | पर कुमाऊँ क्षेत्र में ज्यादा बाढ़ , भूस्खलन की खबर आ रही है | पिछले तीन दिन की आपदा की तुलना 2013 से तो नहीं कर सकते | तब ज्यादा प्रभावित गढवाल था | हालांकि कुमाऊँ का पिथौरागढ़ भी प्रभावित हुआ था | पर इस अनवरत रिकॉर्ड बारिश ने भी पूरे कुमाऊँ को हिला कर रख दिया है | कई इलाकों को भयावह बाढ़ का कहर झेलना पड़ा है | जब अपन यह कालम लिख रहे थे , तब तक 22 लोगों के मारे जाने की खबर आ चुकी थी | यह तादाद दुगनी या तिगुनी भी हो सकती है | मौसम विभाग के मुताबिक 18 अक्टूबर से 19 अक्टूबर के बीच कुमाऊं क्षेत्र में इतिहास की सबसे ज्यादा बारिश रिकॉर्ड की गयी है | पंतनगर में 18 अक्टूबर से 19 अक्टूबर के बीच 403.2 मिलीमीटर बारिश हुई जो अब तक का रिकॉर्ड है | इससे पहले 31 साल पहले पंतनगर में सबसे ज्यादा 228 एमएम बारिश 10 जुलाई, 1990 को हुई थी | मुक्तेश्वर में भी 18 अक्टूबर से 19 अक्टूबर के बीच 340.8 एमएम बारिश रिकॉर्ड की गयी | इससे पहले 107 साल पहले 18 सितम्बर ,1914 को सबसे ज्यादा 254.5 एमएम बारिश हुई थी. |
कुमाऊँ के चम्पावत ज़िले में जलस्तर के बढ़ने से एक निर्माणाधीन ब्रिज बह गया | कुमाऊँ को दिल्ली से जोड़ने वाली रेललाईन काठगोदाम में टूट गई है | फिलहाल यह उत्तराखंड का आख़िरी स्टेशन है | हल्द्वानी का गोला पुल टूट गया | सडकें तो कुमाऊँ के हर जिले में टूटी पड़ी हैं | जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क के पास नैनीताल में एक हाथी बाढ़ में फंस गया | जिस का वीडियो मंगलवार को वायरल हुआ | मुक्तेश्वर और नैनीताल के खैरना इलाके में घर ढह जाने से 7 लोगों की मौत हुई है | नैनीताल कस्बे की नैनी झील का पानी इतना बढ़ गया कि मौल रोड भी झील का हिस्सा बन गया | ऊपर घरों में भी पानी पहुंच गया | प्रधानमंत्री मोदी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से बात की तो धामी ने उन्हें सारी स्थिति से अवगत करवाया | गृहमंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी चिंतित थे | इन दोनों ने भी धामी से स्थिति की खबर ली | धामी की तारीफ़ करनी पड़ेगी | अब तक मुख्यमंत्री हेलीकाप्टर से स्थिति का हवाई सर्वेक्षण किया करते थे | धामी ने तीन हेलीकाप्टरों को बचाव कार्यों में लगा दिया | पुष्कर धामी ने उम्मींद जताई है कि सरकार आपदा के संकट से पार पा लेगी | आर्मी बुला ली गई है | एनडीआरऍफ़ की 10 टीमें स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर राहत और बचाव में जुटी हैं | नैनीताल, रानीखेत, अल्मोड़ा से हल्द्वानी और काठगोदाम तक के रास्ते बंद हो गए हैं | हालांकि बारिश का येलो अलर्ट जारी था ,पर मंगलवार शाम को बादल छंट गए थे , बारिश थम गई थी | आसमान में तारे दिखने लगे थे | ईश्वर की कृपा रहेगी तो मंगल की रात से संकट टल चुका होगा |
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