स्पीकर चला पाएँगे क्या लोकसभा

Publsihed: 19.Jul.2021, 17:16

अजय सेतिया / जब से कोविड शुरू हुआ है, संसद ढंग से नहीं चल रही | पिछले साल शीत सत्र तो हुआ ही नहीं था | बाकी सारे सत्र भी आधे अधूरे हुए | वैसे सरकार ने तो राहत महसूस की है | कोविड के बहाने उसे विपक्ष के हमलों से निजात मिली थी | पर इस बार का सत्र सरकार पर बहुत भारी पड़ने वाला है | विपक्षके साथ मीडिया भी हमलावर होगा | कोविड के बहाने संसद भवन परिसर में मीडिया की एंट्री पर अंकुश लगा है | लोकतांत्रिक इतिहास में यह पहली बार हुआ है , जब संसद में मीडिया पर पाबंदियां लगी हैं | मीडिया की संस्थाएं संसद पर प्रदर्शन की तैयारी में हैं | पहले प्रधानमंत्री नेहरु और पहले स्पीकर मावलंकर ने मीडिया को लोकतंत्र की प्राणवायु माना था | मीडिया जनता और संसद में कड़ी का काम करता है | तभी संसद भवन परिसर में पत्रकारों का प्रवेश जनप्रतिनिधियों जैसा रखा गया था |

माना कि लोकसभा स्पीकर का ज्यादा संसदीय अनुभव नहीं | प्रधानमंत्री और गृहमंत्री का भी ज्यादा संसदीय अनुभव नहीं | पर संसदीय परंपराओं को जानना , समझना मुश्किल नहीं | छह छह ,सात सात बार जीतते रहे सांसदों को परंपराओं की जानकारी है | बीस बीस ,तीस तीस साल से संसद कवर कर रहे पत्रकारों को संसदीय परंपराओं की जानकारी है | पर वे कुंठित होने के सिवा कर भी क्या सकते हैं | प्रधानमंत्री , गृहमंत्री और स्पीकर उन से दूरी बनाए हुए हैं | मोदी , अमित शाह अपनी लोकप्रियता के बूते इन पदों पर पहुंचे हैं | वे लोकतंत्र को अपने ढंग से परिभाषित कर रहे हैं |

अपन मीडिया के मुद्दे पर कुछ नए खुलासे बाद में करेंगे | पहले संसद के मानसून सत्र की चर्चा कर लें | एक कहावत हैं , पूत कपूत के पाँव पालने में ही पहचाने जाते हैं | विपक्ष ने पहले ही दिन प्रधानमंत्री मोदी को तारे दिखा दिए | मोदी को बोलने तक नहीं दिया | शशि थरूर की टिप्पणी से तो मोदी तिलमिला गए होंगे | दोनों सदनों में जम कर हंगामा हुआ और वह अपने नए मंत्रियों का परिचय तक नहीं करवा पाए | मोदी ने यह कह कर हमला बोला की महिलाओं, दलितों, पिछड़ों को मंत्री बनाना विपक्ष को पच नहीं रहा | परक्या विपक्ष ने इस लिए हंगामा किया | नहीं , विपक्ष के हंगामें की वजह कोविड मिस मेनेजमेंट ,बढती बेरोजगारी , महंगाई से मध्यम वर्ग का जीना हराम होना ,किसानों का आन्दोलन , पेट्रोलियम पदार्थों की बढती कीमतें, संसद के भीतर मीडिया पर अंकुश और बाहर जासूसी हैं | 

पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की रिकार्ड जीत से विपक्ष उत्साहित है | भले ही तृणमूल की यह जीत कांग्रेस और कम्युनिस्टों की हार की कीमत पर हुई | पर कांग्रेस, कम्युनिस्टों ने संसद में तृणमूल को गले लगा लिया है | विपक्ष की रणनीति मीटिंग में आम आदमी पार्टी और शिव सेना भी शामिल हुए | चार राज्यों में सत्तारूढ़ बीजेडी , द्रमुक , वाईएसआर कांग्रेस, टीआरएसने दूरी बनाए रखी | सपा बसपा भले नहीं आए | पर विपक्ष को पहली बार मीडिया के बड़े वर्ग का साथ मिल रहा है | इस्राईल के जासूसी उपकरण पेगासस से जासूसी के भंडाफोड़ ने विपक्ष को सरकार पर हमले का नया हथियार दिया है | खुलासा हुआ है कि इस उपकरण के जरिए सरकार मंत्रियों , सांसदों , जजों और एक संवैधानिक पद पर आसीन के साथ साथ पत्रकारों की भी जासूसी करवा रही है | उपकरण बनाने वाली कम्पनी एनएसओ ने कहा है की वह सिर्फ सरकारों को उपकरण बेचती है | 

अगर भारत में इस उपकरण से जासूसी हो रही है तो साफ़ है कि किसी सरकारी एजेंसी ने उपकरण खरीदे हैं | जिन की जासूसी हुई , उन में 40पत्रकार हैं | पहले मंत्रालयों में पत्रकारों का प्रवेश बंद हुआ था | अब दो साल से पत्रकारों का संसद में प्रवेश सीमित है | बीस बीस साल संसद कवर करने वाले पत्रकारों को नेहरु के जमाने से लंबी विशिष्ट सेवाओं के लिए संसदऔर सेंट्रल हाल का पास मिलता रहा था | मोदी सरकार का इरादा उसे खत्म करने का है | लोकसभा स्पीकर तो सरकार को पूरा सहयोग दे रहे हैं | परसंसदीय परंपराओं के अनुभवी राज्यसभा के सभापति वेंकैयानायडू सहमत नहीं | मोदी उन के रिटायर होने का इंतजार कर रहे हैं | फिलहाल कोविड केबहाने एलएंडडी पास धारक वरिष्ठ पत्रकारों का प्रवेश बंद कर रखा है | मीडिया पर अंकुश के खिलाफ पत्रकारों की चार बड़ी संस्थाएं खुल कर सामने आ गई हैं | लोकसभा स्पीकर को प्रेस कांफ्रेंस में सवालों का सामना करना पड़ा | वह जवाब नहीं दे पाए | क्योंकि फैसला वह खुद नहीं ले रहे | परसंसद में लोकतंत्र के चौथे खंभे पर अंकुश का कलंक तो उन्हीं पर लगेगा | 

 

आपकी प्रतिक्रिया