सर्वसम्मति से नहीं चुना जाएगा राष्ट्रपति 

Publsihed: 17.Jun.2017, 00:30

अपन मीडिया वाले तो महीनों पहले से राष्ट्रपति के लिए नाम फैंक रहे हैं | आडवाणी-जोशी के अलावा भी दर्जन भर नाम फैंक चुके | सुषमा स्वराज, सुमित्रा महाजन, द्रोपदी मुर्मू , थावर चंद गहलोत, करिया मुंडा | अब तो ई श्रीधरन और रजनीकांत का नाम भी फैंक दिया | भाई लोगों ने सरसंघ चालाक मोहन भागवत तक का नाम फैंका | पर शुक्रवार को मोदी-अमित शाह के दूत सोनिया गांधी से मिले | तो उन के पास सोनिया को बताने के लिए नाम नहीं था | अमित शाह ने 12 जून को राजनाथ सिंह,वेंकैया और अरुण जेटली को विपक्ष से बातचीत का दूत बनाया था | अब दूत बिना सन्देश के कैसे मिल सकते हैं | इस लिए तीनों ने अमित शाह और मोदी से मुलाक़ात की | पर पीएम ने उन के सामने कोई नाम नहीं रखा | झूठ-मूठ में ही कुछ नाम बता देते | अपन लोग जो नाम महीने भर से फैंक रहे थे , वही सब फैंक देते | ताकि राजनाथ सिंह और वेंकैया नायडू की किरकिरी न होती | पर उन्हें हुकुम बजाना था, सो वे शुक्रवार को पहले दस, जनपथ जा कर सोनिया गांधी से मिले | फिर अजय भवन जा कर सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी से मिले | जब राजनाथ और वेंकैया दस जनपथ पहुंचे तो गुलाम नबी आज़ाद और मल्लिकार्जुन खड्गे भी मौजूद थे | खडगे लोकसभा में और आज़ाद राज्यसभा में कांग्रेस के नेता हैं | सोनिया गांधी ने दोनों को बुला रखा था | पाँचों की मीटिंग कोई 30 मिनट चली | बाद में आज़ाद ने बताया - "भाजपा नेताओं के पास कोई नाम नहीं था | वे हम से नाम पूछ रहे थे | पर उन दोनों ने बिना कोई नाम बताए ही राष्ट्रपति के चुनाव में सहयोग माँगा है | वे आम सहमती चाहते हैं | पर आम सहमती तो किसी नाम पर ही होगी ना | वे हमें कोई नाम बताते, तो हम उस पर कांग्रेस में सलाह मशविरा करते | फिर बाकी विपक्षी दलों से सलाह करते | जब कोई नाम ही सामने नहीं है , तो क्या विचार विमर्श करें और क्या सहयोग करें |" मतलब साफ़ है | सोनिया गांधी के यहाँ से कौरा जवाब मिल गया है | जवाब यह है कि जब तक वे नाम नहीं बताएंगे , तब तक सहमति की बात नहीं हो सकती | असल में बुधवार को पहले से भनक थी कि मोदी अपने दूतों को बिना नाम के ही भेजेंगे | इतना तो मोदी की शैली सब को समझ आने लगी है | इस लिए बुधवार को संसद भवन में गुलामनबी के चैंबर में विपक्ष की कोर कमेटी बैठी थी | इस बैठक में तय हो गया था कि मोदी के दूतों को बैरंग लौटाया जाए | विपक्ष अपनी रणनीति एनडीए का नाम सामने आने के बाद ही बनाएगा | सो जो बात सोनिया गांधी के घर हुई ,हू-ब-हू वही बात सीता राम येचुरी के साथ हुई | येचुरी ने भी मीटिंग के बाद करीब करीब वही बातें दोहराई | जो सोनिया के घर मीटिंग के बाद गुलाम नबी ने बताईं थी | अलबत्ता येचुरी ने मजाक उड़ाते हुए कहा कि यह मंत्रियों की पीआर एक्सरसाईज थी | वे बिना कोई नाम लिए आए थे | बिना नाम क्या बात होगी | येचुरी ने एक संकेत दे दिया है | संकेत यह है कि हारें या जीतें चुनाव होगा | सर्वसम्मति से राष्ट्रपति नहीं चुना जाएगा | उन ने जब यह कह दिया कि नीलम संजीवा रेड्डी को छोड़ कोई राष्ट्रपति सर्वसम्मति से नहीं चुना गया | तो अब बाकी क्या बचा है | अपन ने तो 26 मई को ही लिख दिया था -"आत्मविश्वास के लिए राष्ट्रपति का चुनाव लडेगा विपक्ष |" जिस में अपन ने लिखा था -"विपक्ष का साझा उम्मीन्द्वार मोदी पर मानसिक दबाव बनाएगा | वोटों में से अगर 60 प्रतिशत वोट एनडीए के उम्मीन्दवार को मिले | बाकी 40 प्रतिशत वोट विपक्ष के उम्मीन्दवार को मिले | तो यह जो मोदी के पक्ष में एकतरफा माहौल बना पडा है | उसे चोट पहुंचेगी | लुंज-पुंज पडी विपक्षी पार्टियों में माहौल बनेगा कि 60-40 का अंतर है | जो बहुत ज्यादा भी नहीं कहा जा सकता | इस लिए अपन ने कहा कि विपक्ष चुनाव जरूर लडेगा | अपना आत्मविश्वास जगाने के लिए चुनाव लडेगा विपक्ष |" सीता राम येचुरी ने 2014 का चुनाव नतीजा याद दिलाया | उनने कहा एनडीए को  सिर्फ 38.5 फीसदी वोट मिले थे | बाकी 61.5 फीसदी वोट एनडीए के खिलाफ पड़े थे  | इस लिए राष्ट्रपति वह होगा, जिसे विपक्ष तय करेगा | वैसे इस कुतर्क पर अपन को कुछ नहीं कहना | पर एक बात तय है कि वामपंथी सर्वसम्मत्ति नहीं बनने देंगे | लालू और येचुरी ने सेक्युलर राष्ट्रपति का नया शिगूफा छेड दिया है | उधर बीजेपी में शत्रुघ्न सिन्हा ने आडवाणी को राष्ट्रपति बनवाने की मुहिम छेड़ी हुई है | मुरली मनोहर नागपुर चक्कर लगा रहे हैं | अब जाते -जाते बता दें -मोहन भागवत की राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से मुलाक़ात हुई है | वेंकैया नायडू ने चद्रबाबू नायडू और शरद पवार से बात की है | उद्धव ठाकरे से बात करने अमित शाह खुद मुम्बई गए हैं | शिवसेना एनडीए में हो कर भी राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए को गच्चा देती रही है | 

 

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