पल्ले नहीं नहीं दाने ,और अम्मा चली भुनाने 

Publsihed: 17.May.2017, 07:21

कितने ही नाम उछले और गायब हो गए | अब तो भाजपा के बड़े बड़े नेता भी एक दुसरे से पूछते है | नरेंद्र मोदी और अमित शाह के करीबियों को भी कोइ भनक नहीं लग रही | संसद के गलियारों में साल भर पहले से अटकलों का दौर चल रहा है | शुरू में महिला को राष्ट्रपति बनाने की थ्योरी चली | तो सब से पहले आनंदीबेन का नाम उछला | फिर नजमा हेपतुल्ला से ले कर सुमित्रा महाजन तक के नाम उछले | अब झारखंड की गवर्नर द्रोपदी मुर्मू का नाम हवा में है | वह ओड़िसा की आदिवासी हैं | आदिवासी और महिला | सारे दाग धुल जाएंगे | उड़ीसा विधानसभा और 21 लोकसभा सीटें | एक तीर से कई निशाने | वैसे सुषमा स्वराज का नाम भी कम गंभीर नहीं | बीच में पुरुष वर्ग से आडवाणी, जोशी,यशवंत सिन्हा,अरुण जेटली पता नहीं क्या क्या | एक बार तो भाई लोगों ने सरसंघ चालक मोहन भागवत का नाम भी ले लिया था | क्योंकि उपराष्ट्रपति का चुनाव भी 10 अगस्त से पहले होगा | सो सुमित्रा महाजन या नजमा हेपतुल्ला को उप-राष्ट्रपति बनाने की बात भी है | जब से भाजपा ने दिल्ली की तीनों मेयर महिलाएं बना दी हैं | तब से राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति दोनों महिलाएं बनाने की थ्योरी भी है | यों उपराष्ट्रपति के लिए दक्षिण के नाम पर वेकैया | दलित के नाम पर थावरचंद और जटिया | यादव के नाम पर हुकुमदेव नारायण का नाम गलियारों में है | राष्ट्रपति के चुनाव में 10,98,882 वोट होते हैं | तीन-चार महीने पहले जब जमीनी आकलन शुरू हुआ | तो भाजपा काफी पीछे थी | यूपी,उतराखंड के चुनाव नतीजों से भाजपा काफी आगे निकल गयी | फिर भी अपना राष्ट्रपति बनाने की स्थिति में नहीं आई भाजपा | भाजपा को अपना खुद का राष्ट्रपति बनवाने के लिए 25000 वोट कम पड रहे थे | इस आंकड़े ने सोनिया गांधी की आँखों में रौशनी बढ़ा दी | पंजाब की सत्ता ने सोनिया गांधी का हौंसला बढाया | तो सोनिया ने राष्ट्रपति पद के चुनाव में मोदी को पटकनी देने की सोची | नीतीश कुमार जब से बिहार का चुनाव जीते हैं ,तब से मोदी का विकल्प बनने की उधेड़-बुन में हैं | सोनिया ने नीतीश,ममता,येचुरी और शरद पंवार को फोन किया | सोनिया के कहने पर ममता ने केजरीवाल और पटनायक से बात की | नीतीश दो बार दिल्ली आ कर सोनिया से मिले | शरद यादव और डी.राजा भी सोनिया से मिले | मुलायम,लालू,मायावती जरुर पस्त हैं | सोनिया-नीतीश के पिटारे से धडाधड नाम निकलते चले गए | कभी शरद यादव, कभी शरद पवार , कभी मीरा कुमार , कभी उपराष्ट्रपति अंसारी | कभी शिंदे,कभी डा.कर्ण सिंह | फिर प्रणव दा को दोहराने की बात | तो अपन बताते चलें कि डा.राजेन्द्र प्रशाद दो टर्म राष्ट्रपति रह चुके हैं | फिर गांधी के पोते गोपाल कृष्ण गांधी का नाम उछला | गोपाल कृष्ण के मुहं में पानी भी आ गया | पर गांधी का ज़माना लद चुका है | राजमोहन गांधी कितनी बार भद्द पिटवा  चुके हैं | अब गांधी और गांधियों का ज़माना जा रहा है | पर सोनिया को यह बात समझ नहीं आ रही | मंगलवार को भी ममता-सोनिया खिचडी पकाने में लगीं रहीं | एक पुरानी कहावत है , घर में नहीं दाने. अम्मा चली भुनाने | उसे अब इस तरह पढ़ें, पल्ले में नहीं दाने (वोट) , सोनिया चली भुनाने | मोदी दो दिन पहले ही गुगली मार कर सोनिया को चारो खाने चित कर चुके हैं | नाम अभी तय नहीं हुआ | जग्गन मोहन रेडी, केसीआर और अन्नाद्रमुक के वोट मोदी के पिटारे में जुट चुके | भाजपा अब लाख वोट से आगे है | ऐसी भनक लगते ही नीतीश कुमार ने आम सहमति का पैतरा चल दिया | सोनिया-ममता तो अब हारी हुई बाजी लड़ रहे |  

 

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