आयोग ने निकाली ईवीएम विरोधी ब्रिगेड की हवा 

Publsihed: 17.Mar.2017, 07:33

गैर कांग्रेस दलों का गठबंधन शुरू हो चुका | गठबंधन का मुद्दा भले ही वोटिंग मशीने बनी हों | पर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी एक मंच पर आ गए हैं | यह एक बड़ी एतिहासिक घटना है | मायावती ने रिजल्ट वाले दिन ही मशीनों पर सवाल उठा दिया था | अखिलेश यादव ने तुरंत  कहा कि अगर यह सवाल उठा है, तो जांच होनी चाहिए |कांग्रेस के अजय माकन ने दिल्ली नगर निगम के चुनाव बेलेट पेपर से करवाने की मांग रख  दी | इधर यानि कांग्रेस ने भी वोटिंग मशीन पर सवाल उठा दिया |  तो केजरीवाल को भी पंजाब की हार की वजह मशीने लगाने लगा  | जैसे ही केजरीवाल ने पंजाब में वोटिंग मशीनों पर सवाल उठाया | कांग्रेस में भगदड मच गई | कांग्रेस को समझ नहीं आ रहा कि वह मशीनों पर सवाल उठाए या न उठाए | पंजाब के नए मुख्यमंत्री अमरेन्द्र सिंह ने केजरीवाल की खिल्ली उडाई है | कांग्रेस के नेता अब कह रहे है ,उन ने मशीनों का विरोध नहीं किया | पर कांग्रेस इस नए गठबंधन का हिस्सा है | कुल मिलाकर सभी दलों का गठबंधन इस बात पर है कि भाजपा कैसे जीती | सपा और बसपा की दलीलें साम्प्रदायिकता पर आधारित हैं | दोनों ने दलील दी है कि जहां 70 फीसदी मुस्लिम वोट हैं ,वहां भाजपा कैसे जीती | मतलब मुसलमानों को यह अधिकार ही नहीं कि वे भाजपा को वोट दें | यह कैसा सेक्यूलरिज्म है | चुनाव से पहले सुप्रीम कोर्ट ने साम्प्रदायिक आधार पर वोट मांगने के खिलाफ चेतावनी दी थी | क्या वह चेतावनी सपा बसपा के लिए नहीं थी | योगेन्द्र यादव शुरू में वोटिंग मशीन विरोधी ब्रिगेड में शामिल हो गए थे | पर गुरूवार को जब चुनाव आयोग का बयान आया | तो योगेन्द्र यादव ने मशीन विरोधी रुख छोड़ दिया | गुरूवार को उनने वोटिंग मशीनों में गड़बड़ी नहीं होने की दलीलें दी |  अपन रिकार्ड के लिए बताते जाएं  | सत्रह साल से इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का इस्तेमाल हो रहा | अब तक 107 विधानसभा चुनावों में और तीन लोकसभा चुनावों में मशीनों का इस्तेमाल हुआ | कई बार मशीनों पर सवाल उठा | 2004 में जब भाजपा हारी थी | तब भाजपा ने भी मशीनों पर शक जताया था | दो बार केस कोर्ट में भी गया | पर कोर्ट ने केस को खारिज किया | हाँ चुनाव आयोग को कुछ एहतिहाती सिफारिशें जरूर की | जिन पर आयोग ने अमल किया | जैसे हाई कोर्ट ने कहा था - कुछ मशीनों के साथ पेपर आडिट ट्रेल लगाए जाएं | ताकि जांच होती रहे कि जो वोट किया गया |  बेसिक तौर पर ईवीएम में दो मशीन होती है, बैलट यूनिट और कंट्रोल यूनिट | इसमें एक तीसरी यूनिट वीवीपीएटी भी जोड़ दिया गया है | जो सात सेकंड के लिए मतदाता को एक पर्ची दिखाता है | जिसमें ये दिखाई देता है कि मतदाता ने अपना वोट किस उम्मीन्दवार को दिया | इस से वोटर को तुरंत प्रूफ मिल जाता है कि उसका वोट सही पड़ा है कि नहीं । इस लिए मशीन की गडबडी पर सवाल उठाना ही बेकार है | इस बार अपन ने भी देहरादून में वोट दिया था | अपन ने वह पेपर ट्रेल खुद देखा था | हाँ , आयोग एक बात कर सकता है | उस पेपर ट्रेल की गिनती और मशीन की गिनती का मिलान किया जाना चाहिए | आयोग का इरादा चरणबद्ध तरीके से पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) को बढाने का है | वैसे तो आयोग ने पहले दिन ही मशीनों में गडबडी को खारिज कर दिया था | पर गुरूवार को आयोग ने कड़े शब्दों में खंडन किया | आरोपों को ‘निराधार’ और ‘काल्पनिक’ बताया । कहा-वोटिंग मशीन (ईवीएम) से छेड़छाड़ की ही नहीं जा सकती | हम हाईकोर्ट को पूरी तरह संतुष्ट कर कर चुके हैं | बाकायदा बयान जारी कर कहा -" “यह पहली बार नहीं है कि इस तरह के आरोप लगे हैं | यह पहली बार नहीं है कि मशीन पर आशंका उठाई गई है । लेकिन आरोप लगाने वाला कोई भी आयोग के सामने आरोप साबित नहीं कर पाया  |  कोई सबूत भी नहीं दे पाया कि  ईवीएम में कैसे जोड़तोड़ या छेड़छाड़ की जा सकती है ।” आयोग ने कहा, “ पांच राज्यों में हुए चुनावों में किसी राजनीतिक दल  ने कोई शिकायत नहीं की | यदि कोई विशेष आरोप ठोस साक्ष्यों के साथ  दिया जाएगा | तो उसे गंभीरता के साथ देखा जाएगा ।” आयोग ने एक तरह से मशीन विरोधी ब्रिगेड पर बिगड़ते हुए कहा, “अभी, आधारहीन, काल्पनिक आरोप लगाए जा रहे हैं । इसे खारिज किया जाना चाहिए ।” वैसे अपन बताते जाएं | यह जो केजरीवाल कह रहे थे कि मशीनों को आन लाईन हैक कर सकते हैं | ईवीएम में इंटरनेट का कोई कनेक्शन ही नहीं होता |  इसलिए इसे ऑनलाइन होकर हैक किया ही नहीं जा सकता ।

 

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