जेपीसी की जांच खोल सकती है कई राज़

Publsihed: 16.Feb.2018, 21:10

अजय सेतिया / भले ही नरेंद्र मोदी का कोई हाथ न हो | पर कलंक तो नरेंद्र मोदी सरकार पर ही लगेगा | नीरव मोदी का 11,360 करोड़ का बैंक घोटाला 2 जी से कम नहीं | आजाद भारत का सब से बड़ा बैंक घोटाला उन्हीं के राज में हुआ है | भाजपा के सारे नेता कह रहे हैं कि घोटाला 2011 से शुरू हुआ था | ऐसे तो लालू यादव भी कह सकते हैं कि चारा घोटाला जगन्नाथ मिश्र के समय शुरू हुआ था | हर्षद मेहता ने 700 का करोड़ का घोटाला किया था | तो कलंक नरसिंह राव के माथे पर लगा था | नरसिंह राव ने खुद को पाक साफ़ साबित करने के लिए जेपीसी बनाई थी | क्या नरेंद्र मोदी भी जेपीसी बनाएंगे | उन ने तो न खाऊंगा , न खाने दूंगा की कसम खाई हुई है | अपन मानते हैं कि कम से कम वह तो जुमला नहीं है | वैसे भी नरेंद्र मोदी को अपनी छवि की नरसिंह राव से ज्यादा चिंता होगी | कांग्रेस का यह आरोप कोई कम गंभीर नहीं कि घोटाले की शिकायत तो 2016 में हो गई थी | पर अब यह बात भी सामने आ गई है कि बैंको में हो रहे घोटाले का राज तो 2013 में ही खुल गया था | जब दूबे नाम के इलाहाबाद बैंक के डायरेक्टर ने 1500 करोड़ रूपए के लोंन पर ऐतराज किया था | तब पी.चिदम्बरम के वित्त सचिव ने उन्हें बुलाकर इस्तीफा लिखवा लिया था | दूबे को बताया गया था कि ऊपर से आदेश है कि आप इस्तीफा दे दें | हालांकि दूबे ने यह नहीं बताया कि वह ऊपर वाला कौन था | पी.चिदम्बरम, मनमोहन सिंह या सोनिया गांधी | तो अपन को लगता है कि जेपीसी बनेगी तो प्याज के छिलके उतरेंगे और बहुत मज़ा आएगा | कईयों के मुखौटे उतर जाएंगे | वैसे कुछ लोगो का मानना है कि जेपीसी का कोई फायदा नहीं होता | सांसद कुछ दिन भत्ते ले लेते हैं , खा पी लेते हैं , निकलता निकलाता कुछ नहीं | चाहे वह हर्षद मेहता का घोटाला हो, या बोफोर्स घोटाला | किसी जेपीसी से कुछ नहीं निकला | दोनों जेपीसी ने लीपापोती कर के नरसिंह राव और राजीव गांधी को बरी कर दिया था | पर अपन मानते हैं जेपीसी के सामने बहुत कुछ खुलेगा | सीबीआई की जुगाडू जांच से तो जेपीसी की जांच सौ दर्जे अच्छी है | पारदर्शिता से ख़बरें तो बाहर आएंगी | पता चलेगा कि किस का कितना हाथ था | चिदम्बरम ने घोटाला करवाया | तो अरुण जेटली कैसे सोए रहे | या सारा सिस्टम ही खराब था और मोदी सरकार सिस्टम को ठीक नहीं कर सकी | जिसे ठीक करने का वादा कर के वह सत्ता में आई थी | मोदी को अपने को और अपने वित्त मंत्री को पाक-साफ़ साबित करने के लिए कुछ तो करना होगा | और जेपीसी ही सब से बढ़िया रास्ता है | वही लोकसभा चुनाव से पहले रिपोर्ट दे सकती है | अब एक साल ही तो बचा है | ललित मोदी का आईपीएल घोटाला सिर्फ 275 करोड़ रू का था | विजय माल्या भी सिर्फ सात हजार करोड़ रू लेकर भागे हैं | अब नीरव मोदी के सामने तो ललित मोदी और विजय माल्य के घोटालों को सिर्फ ही कहना पडेगा | यह तो बड़ी अजीब बात हो रही है कि कई मीडिया घराने घोटाले में यूपीए की जड़ें खोज रहे हैं | यह काम तो जेपीसी को करना चाहिए | इतने बड़े घोटाले की गंभीर ख़बरों के बीच कुछ लोग कुछ फुलझड़ियाँ छोड़ रहे हैं | एक फुलझड़ी यह छूटी है कि 2013 में नीरव मोदी ने इम्पीरियल होटल में हीरों की ज्यूलरी की नुमाईश लगाई थी | राहुल गांधी उस नुमाईश को देखने गए थे | सवाल उठाया गया है कि जब राहुल गांधी की शादी ही नहीं हुई तो वह ज्यूलरी किस के लिए देखने गए थे | क्या गजब की पत्रकारिता हो रही है | पर कांग्रेस ने ‘छोटा मोदी’ का जुमला बोल कर सीधा नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है | इस का मतलब यह है कि 11 हजार करोड़ वाला यह तो छोटा मोदी है | बड़े मोदी की बात ही कुछ और है | ठीक इसी तरह हर्षद मेहता के शेयर बाज़ार घोटाले के समय प्रधानमंत्री आवास पर सूटकेस पहुंचाने की बात उछली थी | जिसे नरसिंह राव ने कभी साबित नहीं होना दिया | तब भाजपा ने नरसिंह राव को निपटाया था | तो अब कांग्रेस नीरव मोदी के बहाने नरेंद्र मोदी को निपटाने की रणनीति बना रही है | कांग्रेस घोटाले करवाने में माहिर थी | तो भाजपा के सिर घोटालेबाजों को भगाने का ठीकरा फूट रहा है | सवाल उठ रहे हैं कि नरेंद्र मोदी की विदेश यात्राओं में बड़े बड़े धन्ना सेठों को तो ले जाया गया | पर मीडिया को हवाई जहाज से निकाल बाहर किया गया | साढ़े तीन साल तक यह हवा बनी रही कि मोदी ने पत्रकारों की मुफ्तखोरी बंद की | वे नेहरू के समय से प्रधानमंत्री के साथ विदेश यात्राएं कर रहे थे | दिल्ली के मीडिया से खार खाए बैठे मोदी ने उन को विदेश यात्राओं में साथ ले जाना बंद कर दिया | पर अब जब से मोदी की डावोस यात्रा के वक्त का छोटे मोदी के साथ फोटो सामने आया है | हालांकि वह फोटो 2016 का बताया गया है | पर उस से क्या फर्क पड़ता है , 2016 हो या 2018 हो | पर इस फोटो के सामने आने के बाद से पत्रकारों को विदेश नहीं ले जाने के दूसरे मतलब निकाले जा रहे हैं | इस का मतलब अब पारदर्शिता से लगाया जा रहा है | पर अब जो सुगबुगाहट शुरू हुई है, वो और खतरनाक है | वह सुगबुगाहट यह है कि सरकारी बैंकों के घोटाले के नाम पर बैंको का निजीकरण कर दिया जाएगा |

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