अजय सेतिया / राकेश टिकैत पश्चिम उत्तर प्रदेश की जाट राजनीति और किसान राजनीति में इतने महत्वपूर्ण हो गए हैं कि चौधरी चरण सिंह का स्थान हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं | सिर्फ पश्चिम उत्तर प्रदेश की जाट राजनीति के बूते चौधरी चरण सिंह यूपी के मुख्यमंत्री , और बाद में देश के प्रधानमंत्री पद तक पहुंचे थे | राकेश टिकैत की महत्वाकांक्षा भी यूपी की सत्ता तक पहुंचने की है , समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उन्हें उप-मुख्यमंत्री बनाने की पेशकश भी कर दी है | लेकिन सवाल है कि क्या राकेश टिकैत ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश और खासकर जाटों में चौधरी चरण सिंह का वारिस होने की हैसियत बना ली है |
किसान आन्दोलन से पहले राकेश टिकैत पश्चिम उत्तर प्रदेश तो छोडिए अपनी जाट बिरादरी में भी लोकप्रिय नहीं थे , वह पिछ्ला विधानसभा चुनाव बुरी तरह हारे थे | लेकिन कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब से शुरू हुए किसान आंदोलन में कूद कर राकेश टिकैत ने आन्दोलन की बागडौर संभालने में देर नहीं की | गणतन्त्र दिवस के मौके पर आन्दोलनकारियों की ओर से लालकिले पर खालिस्तान का झंडा लहराए जाने के बाद किसान आन्दोलन खत्म करने की घोषणा कर दी गई थी , लेकिन राकेश टिकैत के आंसुओं ने आन्दोलन को न सिर्फ फिर से खड़ा कर दिया , बल्कि आन्दोलन की सारी बागडौर उन के हाथ में आ गई | जबकि खालिस्तान विवाद के कारण पंजाब के किसान पृष्ठभूमि में चले गए | किसान आन्दोलन को एक साल तक चलाए रखने का श्रेय सिर्फ राकेश टिकैत को जाता है | उन की सब से बड़ी उपलब्धि यह है कि उन्होंने पश्चिम उत्तर प्रदेश के राजनीतिक समीकरण बदल दिए हैं | मुजफ्फरनगर दंगों के कारण पिछले चुनावों में जाट और मुस्लिम आमने सामने थे , जिस का भाजपा को फायदा हुआ था , लेकिन किसान आन्दोलन में राकेश टिकैत मुसलमानों को अपने साथ लाने में कामयाब रहे |
जाट-मुस्लिम-यादव समीकरण बनते देख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी झुके और तीनों कृषि क़ानून वापिस लेने पड़े | मोदी के झुकने का एक कारण यह भी है कि टिकैत की अगुआई में सारे जाट अगर सपा के साथ चले गए तो भाजपा को पश्चिम उत्तर प्रदेश में लेने के देने पड़ जाएंगे | आन्दोलन के दौरान राकेश टिकैत की लोकप्रियता इतनी बढी है कि आंदोलन खत्म होते ही उन की सियासी पारी की संभावनाओं ने जोर पकड़ लिया है । समाजवादी पार्टी के मुखिया और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उन्हें न सिर्फ चुनाव लड़ने का न्योता दिया है , बल्कि उप मुख्यमंत्री पद की पेशकश देने के संकेत भी दे दिए हैं | अखिलेश यादव ने एक समाचार चैनल से बात करते हुए कहा कि अभी हमारी कोई बातचीत नहीं हुई है , लेकिन हमारे संबंध और बातचीत का सिलसिला पहले भी था और आगे भी रहेगा | भाजपा से सत्ता छिनने के लिए अखिलेश यादव बसपा और कांग्रेस को छोड़ कर हर छोटे दल और प्रभावशाली जातीय नेता को साधने के लिए उप-मुख्यमंत्री पद की पेशकश कर रहे हैं |
हालांकि फिलहाल टिकैत ने अखिलेश यादव के चुनाव लड़ने की पेशकश पर कोई जवाब देने की बजाए चुनाव नहीं लड़ने की बात कही है , लेकिन उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि आचार संहिता लागू होने दीजिए , उस के बाद फैसला करेंगे , यानि उन्होंने चुनाव लड़ने का विकल्प खुला रखा है | क्योंकि अंदरखाते उनकी जयंत चौधरी के माध्यम से अखिलेश यादव से बातचीत हो रही है , हाल ही में मिशन 2022 को लेकर मेरठ में हुई अखिलेश यादव और चौधरी चरण सिंह के पोते जयंत चौधरी की साझा रैली के पोस्टरों में राकेश टिकैत के फोटो भी लगाए गए थे | हालांकि बाद में राकेश टिकैत ने सफाई दी थी कि उन से बिना पूछे उन का फोटो पोस्टर में इस्तेमाल किया गया | इस घटना से साफ़ है कि टिकैत राजनीतिक सौदेबाजी की बातचीत पूरी होने तक खंडन करते रहेंगे |
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