श्रीकृष्ण जन्मस्थान और सेक्यूलरों के तीन बादशाह

Publsihed: 16.Oct.2020, 22:06

अजय सेतिया / लम्बे मुकद्दमों के दौरान 1968 में इंदिरा गांधी ने दबाव डाल कर 10 अगस्त 1968 को श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी के बीच समझौता करवा दिया और श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर मस्जिद बनवा दी थी | अस्सी के दशक में जब विश्व हिन्दू परिषद ने आन्दोलन शुरू किया तो उस की मांग थी कि वैसे तो तुर्कों और मुगलों ने देश के हजारों मंदिर तोड़ कर मस्जिदें बनवाई थी , लेकिन अगर मुसलमान श्री रामजन्म भूमि , श्रीकृष्ण जन्मभूमि और बाबा विश्वनाथ मंदिर पर बनी मस्जिदें अपने आप हटा लें , तो हिन्दू समाज बाकी मस्जिदों पर दावा नहीं करेगा | लेकिन मुसलमान नहीं माने तो विश्व हिन्दू परिषद ने सब से पहले श्रीरामजन्मभूमि के लिए आन्दोलन शुरू किया , जिस पर अब सुप्रीमकोर्ट का फैसला आ चुका है , खुदाई के साक्ष्यों के आधार पर साबित हो गया था कि मंदिर तोड़ कर मस्जिद बनाई गई थी |

श्रीकृष्ण जन्मस्थान को मुक्त करवाने के लिए मथुरा की अदालत में मुकद्दमा शुरू हो चुका है , जिसमें 1968 का समझौता रद्द कर के मस्जिद को हटाकर जमीन मंदिर को दिए जाने की मांग की गई है | मथुरा सत्र न्यायालय ने लखनऊ की रंजना अग्निहोत्री समेत 8 लोगों की याचिका पर सुनवाई के बाद 30 सितंबर को यह कहते हुए दावा खारिज कर दिया था कि पर्याप्त आधार नहीं है , लेकिन जिला जज साधना रानी ठाकुर की अदालत ने 16 अक्टूबर को सुनवाई के बाद याचिका मंजूर कर के मस्जिद को नोटिस जारी कर दिया है | अब अगली सुनवाई 18 नवम्बर को होगी | यह मुकद्दमा भी श्रीरामजन्मभूमि की तरह लम्बा चलेगा | लेकिन आज महत्व इस बात का है कि अपन श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर को तोड़े जाने का इतिहास समझ लें | गुजरात के प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर की तरह मथुरा के श्रीकृष्‍ण जन्‍मस्‍थान पर भी आक्रमणकारी महमूद गजनवी, सिकन्दर लोधी और औरंगजेब ने तीन बार हमला कर के तुडवाया और तीनों बार हिन्दुओं ने फिर से मंदिर बनाया |  

मथुरा के मल्लपुरा क्षेत्र के कटरा केशव देव जहां आज श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर है ,पांच हजार साल पहले राजा कंस का कारागार था | इसी कारागार में रोहिणी नक्षत्र में आधी रात को भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था | जनमान्यता के अनुसार सब से पहले भगवान श्री कृष्ण के प्रपोत्र वज्रनाभ ने अपने कुलदेवता की स्मृति में कारागार के पास मंदिर बनवाया था | वहां से मिले शिलालेखों में ब्रह्मी लिपि में इस का जिक्र है | राजा षोडश के राज्यकाल में वसु नामक व्यक्ति ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर , वेदिका और तौरण द्वार फिर से बनवाया | इतिहासकारों के मुताबिक़ 400 ईस्वी में सम्राट चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य ने पुनर्निर्माण करवाया , जिसे आक्रमणकारी महमूद गजनवी ने 1017 में लूटपाट के बाद तोड़ दिया था | खुदाई में मिले शिलालेखों से पता चला कि 1150 ईस्वी में राजा विजयपाल के शासनकाल में जज्ज नाम के एक व्यक्ति ने तीसरी बार श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर बनवाया , इस मंदिर को भी सिकन्दर लोधी ने तोड़ कर नष्ट कर दिया था |

इस के 125 साल बाद जहांगीर के शाशनकाल में ओरछा के राजा वीर सिंह देव बुन्देला ने इसी स्थान पर चौथी बार मन्दिर बनवाया | मंदिर की भव्यता को देख कर औरंगजेब ने 1969 में इसे फिर तुडवाने का हुक्म दिया तो उसे जाटों से मुकाबला करना पड़ा , मंदिर की रक्षा के लिए जाटों ने मुगलों की राजधानी आगरा पर हमला कर दिया था | औरंगजेब जीत गया और मंदिर तुडवा कर इस के एक हिस्से पर ईदगाह का निर्माण करवा दिया |

ब्रिटिश शासनकाल में वर्ष 1815 में नीलामी के दौरान बनारस के राजा पटनीमल ने इस जगह को खरीद लिया था ,
1940 में जब यहां पंडि‍त मदन मोहन मालवीय आए, तो श्रीकृष्ण जन्मस्थान की दुर्दशा देखकर काफी निराश हुए |
मालवीय जी ने बिड़ला को श्रीकृष्ण जन्मभूमि के पुनर्रुद्धार को लेकर एक पत्र लिखा | मालवीय जी की इच्छा का सम्मान करते हुए बिड़ला ने सात फरवरी 1944 को कटरा केशव देव को राजा पटनीमल के तत्कालीन उत्तराधिकारियों से खरीद लिया , जब मुसलमानों को इस बात का पता चला तो उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में रिट  याचिका दाखिल कर दी | हालांकि बिडला जी ने 21 फरवरी 1951 को श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की स्थापना कर दी थी , लेकिन कोर्ट का फैसला 1953 में आया जो हिन्दुओं के पक्ष में था | मुसलमानों ने कोर्ट के फैसले का विरोध किया तो इंदिरा गांधी ने जन्मभूमि का किनारा छोड़ कर बगल की जमीन मुसलमानों को दिलवा दी , जिस पर मुसलमानों ने विदेशी धन से भव्य मस्जिद बनवाई है |  कृष्ण जन्मस्थान मस्जिद की दीवार से सटा हुआ है , पर मजबूरी में बिडला जी उसकी बगल में मंदिर का निर्माण कार्य शुरू करवाया जो फरवरी 1982 में पूरा हुआ | अब श्रीकृष्ण जन्मभूमि को छुपा देनी वाली मंदिर की ही जमीन पर बनी विशाल मस्जिद को तोड़ने के लिए शुरू हुई है कानूनी लड़ाई |

 

 

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