जांच हो , पर चारों जजों की लोया में क्यों दिलचस्पी

Publsihed: 16.Jan.2018, 08:00

अजय सेतिया / ऐसा लगता है वकीलों ने जजों का झगड़ा निपटा दिया है | बार काउन्सिल आफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने सोमवार को कहा मामला सुलटा लिया गया है | उन ने सुप्रीमकोर्ट के कम से कम 15 जजों से मुलाक़ात की है | चारों जजों में से दो को तो एहसास हो गया था कि जस्टिस चलामेश्वर ने उन्हें गुमराह किया | चार जजों की प्रेस कांफ्रेंस ने भारत की प्रतिष्ठा को नुक्सान पहुंचाया है | अपना तो मत रहा है कि चारों जजों को लम्बी छुट्टी पर भेजना चाहिए | राष्ट्रपति को पहल कर के चारों को तलब करना चाहिए | उन्हें चीफ जस्टिस बनने से भी वाचित किया जाना चाहिए | जांच होनी चाहिए कि प्रेस कांफ्रेंस से पहले जस्टिस चेलामेशवर की किसी नेता से बात हुई थी क्या | या किसी एनजीओ वाले से बात हुई थी क्या | अपनी नजर में एक ही महत्वपूर्ण बात सामने आई हैं | वह है जस्टिस चेलामेशवर की चीफ जस्टिस बनने की इच्छा | पर वह बन नहीं सकते क्योंकि वह चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा से पहले ही रिटायर हो जाएंगे | यह तभी हो सकता है जब किसी तरफ जस्टिस मिश्रा रास्ते से हटें | अपनी आशंका यह है कि जस्टिस चेलामेशवर की इसी कमजोरी का मोदी विरोधियों ने फायदा उठाया | मोदी विरोधी सुप्रीमकोर्ट में लम्बित दो मुद्दों पर निगाह रखे हुए हैं | पहला- रामजन्मभूमि विवाद और दूसरा जज लोया की मौत की जांच | जस्टिस मिश्रा रास्ते से हट जाएं, तो सुनवाई भी लोकसभा चुनावों तक टलवाई जा सकेगी | जस्टिस मिश्रा को रास्ते से हटाने के लिए मेडिकल कालेजों को ले कर एक पीआईएल दाखिल की गई थी | पीआईएल जाने माने मोदी विरोधी वकील प्रशांत भूषण ने दाखिल की | पीआईएल चीफ जस्टिस की अदालत नम्बर एक में दाखिल होनी चाहिए थी | पर पीआईएल जस्टिस चेलामेश्वर की अदालत नम्बर दो में दाखिल की गई | जहां जस्टिस चेलामेश्वर को उकसा कर कहा गया था कि इस केस में जस्टिस मिश्रा भी शामिल हैं | जस्टिस चेलामेश्वर ने अपने अधिकारों का उलंघन कर बैंच गठित कर दी | हालांकि यह केस पहले से एक बैंच सुन रही थी | चीफ जस्टिस मिश्रा ने जस्टिस चेलामेश्वर को लिखित में दिया था कि वह बैंच न बनाएं | बाद में चीफ जस्टिस ने जस्टिस चेलामेशावर की बनाई बैंच भंग कर दी | जिस पर प्रशांत भूषण ने जस्टिस चेलामेश्वर को भड़काया | उन के सामने सीबीआई के जज  बी. एच. लोया की मौत का मामला भी रखा गया | जिस की पीआईएल राहुल गांधी के रिश्तेदार पूनावाला ने दाखिल की है | चीफ जस्टिस मिश्रा ने इस पीआईएल को जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस एम. सनतानागौदार की बेंच को सौंपा है | जस्टिस चेलामेश्वर को भडकाया गया कि केस बड़ा है, पर छोटी बैंच को सौंपा गया | अगर यह केस उन की अदालत में आ जाए , तो अमित शाह उन की मुठ्ठी में आ जाएंगे | अमित शाह उन की मुठ्ठी में आ गए, तो मोदी उन की मुठ्ठी में होंगे | वरना क्या कारण था कि चारों जजों ने जज लोया की मौत को टकराव का बड़ा मुद्दा बताया | यही तो वह मुद्दा है , जिस पर जजों ने चीफ जस्टिस पर मनमानी बैंच को केस देने की बात उठाई | क्या यह इतनी बड़ी बात थी कि लोकतंत्र को खतरे में बताया जाता | उन का कहना था कि चीफ जस्टिस बड़े बड़े केस छोटी बेंचों को भेज देते हैं | वे चीफ जस्टिस को अपनी चिठ्ठी में कहते हैं -" आप सभी बराबर के जजों में सिर्फ पहले जज हैं |" कितनी हैरानी की बात है कि चारों जज चीफ जस्टिस को तो सिर्फ बराबर में प्रथम मानते हैं | पर अपने बाकी 21 सहयोगी जजों को अपने बराबर नहीं मानते | जहां तक बैंचों की प्राथमिकता का सवाल है तो जरा पुराना रिकार्ड देख लें | राजीव गांधी हत्याकांड की सुनवाई कोर्ट नम्बर आठ ने की थी | बोफोर्स घोटाले की सुनवाई कोर्ट नम्बर आठ ने की थी | बेस्ट बेकरी केस की सुनवाई कोर्ट नम्बर 11 ने की थी | सजायाफ्ता सांसदों विधायकों की सदस्यता खत्म करने का फैसला अदालत नम्बर 9 ने किया था | सोहराबुद्दीन केस की सुनवाई अदालत नम्बर 11 ने की थी | जज लोया का मामला भी सोहराबुद्दीन केस से ही जुडा है | कोयला घोटाले की सुनवाई अदालत नम्बर सात में हुई थी | और भी ऐसे दर्जनों उदाहरण है | इस लिए चारों जजों की मांग में कोई कानूनी नुक्ता नहीं | सिवा इस के कि भारत तोड़ो गैंग और पुरस्कार वापसी गैंग सक्रिय है | और इन दोनों गैंगों के समर्थकों ने बिना इतिहास जाने बावेला खड़ा किया | अपन मानते हैं कि जज लोया की मौत पर सवाल उठा है तो निष्पक्ष जांच होनी ही चाहिए | अपन जज लोया के 21 वर्षीय बेटे अनुज लोया के उस बयान को ज्यादा महत्व नहीं देते | जिस में उन ने कहा है कि उन के पिता की हार्ट अटैक से मौत हुई है | जस्टिस लोया पब्लिक सर्वेंट थे, अगर उन की मौत पर सवाल उठे हैं , तो जांच होनी चाहिए | हालांकि सोमवार को अपन को सुनवाई होती नहीं दिखती | हो सकता है बैंच के जज छुट्टी पर चले जाएं | न ही चीफ जस्टिस बैंच बदलेंगे, न ही इस की जरूरत है | चारों जजों के दबाव में आने की कोई जरूरत नहीं | जिस देश के सामने उन ने अपनी बात रखी थी | वह देश सोशल मीडिया पर खुल कर उन के खिलाफ बोल रहा है | इन चारों जजों ने सुप्रीमकोर्ट की साख घटा दी | ऐसे पहले कोई जजों और कोर्ट के खिलाफ नहीं लिखता था | कंटेम्प्ट आफ कोर्ट का डर सताता था | पर चारों जजों ने आम जनता का मुहं खुलवा दिया | अब तो चारों जज खुद कटघरे में हैं | जस्टिस चेम्लेश्वर को बताना चाहिए कि उन्हें जस्टिस लोया के केस में दिलचस्पी क्यों है | 

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