आतंकियों से युद्धविराम गलत फैसला था 

Publsihed: 15.Jun.2018, 21:04

अजय सेतिया / रमजान का महीना का खत्म हुआ | कायदे से अर्ध्सेनिक बलों का युद्धविराम शनिवार आधी रात से खत्म हो जाना चाहिए | इस के लिए सरकारी फरमान की भी कोई जरुरत नहीं | युद्धविराम सिर्फ रमजान महीने के लिए हुआ था | जिस का पाकिस्तान और उस के आतंकवादियों ने जम कर फायदा उठाया | युद्धविराम खत्म करने के एलान की भी जरूरत नहीं | वैसे युद्धविराम किया जाना एक गलत कदम था | वाजपेयी के शासन काल में रमजान के महीने में पहले गोली नहीं चलाने का एलान किया गया था | युद्धविराम नहीं कहा गया था | अफगानिस्तान की बात अलग है | जहां सरकार और तालिबान दोनों तरफ से युद्धविराम का एलान हुआ | तालीबान वहां सत्ता में रह चुके हैं, जिन्हें अमेरिका ने आकर खदेड़ा था |

युद्धविराम दो सेनाओं के बीच होता है | विद्रोहियों और देश द्रोहियों के साथ कभी युद्धविराम नहीं होता | युद्धविराम कर के मोदी सरकार ने आतंकवादियों को मान्यता दे दी | अब वे संयुक्त राष्ट्र में दावा कर सकते हैं कि वे कश्मीर में आज़ादी के लिए युद्ध कर रहे हैं | भारत सरकार ने रमजान के महीने में बाकायदा हमारे साथ युद्धविराम किया था | नरेंद्र मोदी महबूबा मुफ्ती के बहकावे में आ गए | ऐसे फैसलों से पहले राजनीतिक सलाह मशविरा नहीं करने का यही नुक्सान होता है | मोदी ने तो चार साल बिता दिए राजनीतिक कोर कमेटी ही नहीं बनाई | राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी , वेंकैया नायडू , सुषमा स्वराज की कोर कमेटी बना कर चलते | तो मोदी कई गलत फैसलों से बच सकते थे | मोदी का कद राजनाथ सिंह से बड़ा कभी नहीं था | राजनाथ सिंह बहुत पहले मुख्यमंत्री रह चुके थे | वह दो बार पार्टी अध्यक्ष भी रह चुके थे | इस लिए आडवाणी जोशी के बाद राजनाथ सिंह ही आँख की किरकरी रहे होंगे | नितिन गडकरी भले मुख्यमंत्री नहीं रहे | पर वह पार्टी के अध्यक्ष रह चुके थे | वेंकैया भी अध्यक्ष और केंद्र में मंत्री रह चुके थे | सुषमा स्वराज पार्टी अध्यक्ष भले नहीं रही पर मुख्यमंत्री रह चुकी हैं | केंद्र में मंत्री भी रह चुकी थीं | पर मोदी ने इन सब की अनदेखी कर कई गलत फैसले किए | कोई टोकता नहीं, क्योंकि मोदी किसी की सुनते नहीं | वह पीएमओ में तैनात अफसरों से ही सरकार चलवा रहे हैं | जिन की न राजनीतिक समझ होती है, न राजनीतिक सलाह देते हैं | राजनीतिक मामलों में वे जी-हजूरी से आगे नहीं निकलते | प्रशासनिक मामलों में वे धूर्तता से बाज नहीं आते |

अपन को नहीं लगता युद्धविराम के मामले ने मोदी ने राजनाथ सिंह से भी सलाह की होगी | महबूबा मुफ्ती ने बड़ी चालाकी से आतंकवादियों को फायदा पहुंचाया | यह युद्धविराम उसी की खुराफाती योजना थी | जिसे मोदी सरकार को मानना पडा | अर्ध्सेनिक बालों ने तो बंदूकें भीतर रख दी | पर पवित्र महीने में भी मुस्लिम आतंकियों को खुदा का कोई खौफ नहीं रहा | उन ने जम कर हत्याएं की | पवित्र महीने में गोली चलवाने से मोदी को ही खुदा का खौफ था | आतंकवादियों ने तो युद्धविराम का फायदा उठाया | वे आपस में एकजुट भी हुए और नई भर्ती भी की | अब अधिकारी कह रहे हैं कि नुक्सान की भरपाई जल्द होनी चाहिए | यानि बिना रोक टोक आपरेशन शुरू किए जाएं | गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने अमरनाथ यात्रा के सिलसिले में सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की है | समीक्षा में भाजपा संघ के नेताओं को भी बुलाया गया | सरसंघ कार्यवाह और सह कार्यवाह भी मौजूद थे | उन से फीडबैक लिया गया | राजनाथ इसी हफ्ते कश्मीर जा कर भी समीक्षा कर आए हैं | सुरक्षा एजेंसियों की के साथ हुई बैठकों में युद्धविराम से हुए नुकसान भी समीक्षा हुई | कहा गया कि फायदे और नुक्सान की समीक्षा हुई | पर बैठक में किसी ने कोई फायदा नहीं गिनाया |

सब को पता ही है कि रमजान में वारदातें बढी हैं | खासकर सुरक्षा बलों को खुलेआम निशाने पर लिया गया | क्योंकि आतंकियों को पता था कि वे हथियार नहीं उठाएंगे | रमजान का महीना खत्म होने से पहले सेना के एक मुस्लिम जवान का अपहरण कर हत्या कर दी गई | राष्ट्रीय रायफल्स में तैनात औरंगजेब का शव गुसू से बरामद किया गया | ईद से दो दिन पहले “राईजिंग कश्मीर” के सम्पादक शुजात बुखारी की हत्या कर दी गई | शुजात बुखारी के दो सुरक्षा गार्डों की भी हत्या कर दी गई | पुलिस ने मोटरसाईकिल सवार तीन युवकों का एक वीडियो जारी किया है | दावा किया जा रहा है कि इन तीन युवकों ने शुजात बुखारी को गोली मारी | किसी आतंकवादी वारदात में इस तरह का वीडियो पहली बार जारी हुआ है | इस लिए अपन को शक है कि पुलिस की थ्योरी कठुआ काण्ड जैसी ही है | कठुआ काण्ड में महबूबा मुफ्ती के इशारे पर फर्जीवाड़ा किया गया है | पुलिस की चार्जशीट का कोई सिर-पैर नहीं मिल रहा |

खैर बात युद्धविराम की | तो इसी युद्धविराम में बांदीपुरा जिले में सेना के एक शिविर पर आतंकवादियों ने हथगोले फेंके | अलग अलग जगहों पर तीन ग्रेनेड हमलों में सीआरपीएफ के चार जवान जख्मी हुए | श्रीनगर में सुरक्षाबलों पर दो जगहों पर ग्रेनेड हमले हुए | बांदीपोरा जिले के जंगलों में आतंकवादियों ने सेना के पैदल गश्ती दल पर गोलीबारी की | पाकिस्तान ने भी रमजान की पवित्रता का कोई लिहाज नहीं किया | तीन जून की रात को सवा एक बजे बीएसएफ़ की चौकी पर गोलाबारी की गई | इस फ़ायरिंग में बीएसएफ़ के एएसआई एसएन यादव और कॉन्सटेबल बीके यादव शहीद हो गए | रमजान के दौरान 13 जून को सांबा जिले के चांब्लियाल सेक्टर में भी पाकिस्तान ने गोलीबारी की | जिस में बीएसएफ के चार जवान शहीद हो गये | पर हैरानी वाली बात यह है कि कुछ अधिकारी युद्धविराम की हिमायत कर रहे हैं | उन का सुझाव है कि खुफिया जानकारी आधारित अभियानों को बढ़ाया जाए | पर देश की जनता युद्धविराम से बेहद खफा है | उसे पता था कि मोदी रमजान तक तो युद्धविराम चलाएंगे ही | पर उस के बाद तो भाजपा कोई नेता भी युद्धविराम की पैरवी नहीं कर सकेगा | राजनाथ सिंह के घर हुई संघ परिवार की सुरक्षा आकलन बैठक में भी युद्धविराम का विरोध हुआ | राजनीतिक हवा का रुख बता रहा है कि भाजपा में हालात बदले हैं | कर्नाटक और कैराना ने सोचने को मजबूर किया है | राजनाथ सिंह को ताकत दी जा रही है | वह राजनीतिक मंचों पर ज्यादा दिखने लगे हैं | भाजपा दफ्तर के प्रोग्रामों में मोदी के बगल में अब सिर्फ अमित शाह ही खड़े नहीं होते | एक तरफ राजनाथ सिंह और दूसरी तरफ नितिन गडकरी दिखने लगे हैं |

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