माब लिंचिंग के साम्प्रदायिक ख़तरे

Publsihed: 15.Oct.2021, 21:53

अजय सेतिया  / 2015 में दादरी में मोहम्मद इखलाक की मॉब लिंचिंग का मामला अंतर्राष्ट्रीय खबर बना था | यह गौकशी का मामला था | वैसे यह कोई पहली बार नहीं हुआ था | गौकशी के खिलाफ यूपीए शासन काल में और उस से पहले कांग्रेस सरकारों के समय भी मॉब लिंचिंग का इतिहास रहा है | लेकिन मोहम्मद इखलाक की मॉब लिंचिंग क्योंकि हिंदुत्ववादी मोदी राज में हुई थी , इसलिए यह अंतर्राष्ट्रीय मुद्दा बना | जिन्होंने इखलाक की मॉब लिंचिंग अंतर्राष्ट्रीय शर्म का मुद्दा बनाया उनके लिए गौ माताओं की मॉब लिंचिंग कभी मुद्दा नहीं रहा | गऊओं की मॉब लिंचिंग के कई वीडियों सोशल मीडिया पर वायरल होते रहे हैं | भारत में मनुष्यों की मॉब लिंचिंग मुगल काल में शुरू हुई थी , जब हिन्दुओं की मॉब लिंचिंग हुआ करती थी | ब्रिटिश काल में भी हिन्दुओं की जम कर मॉब लिंचिंग हुई | इसी साल 25 सितंबर को मोपला हत्याकांड की 100 वीं साल गिरह थी | मोपला हत्याकांड में 10 हजार से ज्यादा हिन्दुओं की माब लिंचिंग हुई थी | वैसे टीपू सुलतान के राज में भी 33 बार हिन्दुओं की मॉब लिंचिंग हुई थी | चलो अपन पुरानी बातें छोड़ भी दें , तो क्या अपन भूल जाएं कि आज़ाद भारत में भी 31 अक्टूबर 1984 से तीन दिन तक देश भर में क्या होता रहा था | जब कांग्रेसियों ने देश भर में 10 हजार से ज्यादा सिखों की मॉब लिंचिंग की थी |
मॉब लिंचिंग का यह अंदाज तालिबानी है , जो शुक्रवार को सिंघु बॉर्डर पर किसानों के धरने पर हुआ | सिधु बार्डर पर पहले बलात्कार की दो घटनाएं हो चुकी हैं | एक तो बंगाल से किसानों का समर्थन करने आई वामपंथी लडकी थी , जिसे बलात्कार के बाद अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ा था | किसान आन्दोलन देश के लिए बड़ी समस्या बन चुका है , पिछले एक साल से दिल्ली के सभी एंट्री गेट बंद है | दिल्ली सरकार तो हाथ पर हाथ धरे बैठी है , होली पर रंगों , और दीपावली पर पटाखों के खिलाफ फतवे जारी करने वाली अदालतें भी लंबी तान कर सोए हुए हैं | हैरानी यह है कि किसानों के धरने पर हो रही शर्मनाक घटनाओं के बावजूद सरकार, विपक्ष और अदालतें चुप्पी साधे हुए हैं | लगता है देश में क़ानून व्यवस्था का जनाजा निकल गया है | शुक्रवार तडके 3 बजे तरनतारन के लखबीर सिंह को तालिबानी अंदाज से हाथ-पाँव काट कर मार दिया गया | धरने पर बैठे निहंगों ने उस की मॉब लिंचिंग की | धरना स्थल पर जब भी ऐसी कोई घटना होती है , किसान आन्दोलन के अगुआ यह कह कर अपना पल्ला झाड लेते हैं कि आन्दोलन का इस घटना से कोई लेना देना नहीं | बलात्कार की घटना पर भी यही हुआ था | और अब मॉब लिंचिंग पर भी यही हो रहा है | किसान आन्दोलन के एक अगुआ हैं योगेन्द्र यादव , बलात्कार की घटना पर उन्होंने कहा था कि यह व्यक्तिगत घटना है | अब लखबीर सिंह की माब लिंचिंग पर उन्होंने सफाई दी है कि निहंग किसान आन्दोलन का हिस्सा नहीं हैं | अपन याद दिला दें कि यह वही योगेन्द्र यादव है जो मोहम्मद इखलाक की मॉब लिंचिंग के वक्त टीवी चेनलों पर बड़े नेता बने हुए थे |
खबर यह है कि लखबीर सिंह की मॉब लिंचिंग कथित तौर पर गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के कारण की गई है | वैसे यह बात अपने गले नहीं उतरती , लेकिन अगर ऐसा कोई मामला था , तो आरोपी को पुलिस के हवाले किया जाना चाहिए था | वैसे अपन इस बात से भी सहमत नहीं कि किसानों के धरने पर मन्दिर , गुरूद्वारे पर बना दिए जाएं | सडकों पर पहले भी मन्दिरों , गुरुद्वारों और मस्जिदों की भरमार है | अपन को डर यह है कि किसान आन्दोलन खत्म होने बाद भी नेशनल हाईवे पर धार्मिक स्थल बने रहेंगे और सरकारें या अदालतें कुछ नहीं कर पाएंगी | लेकिन अपना डर इस से भी बड़ा है , 1980 में खालिस्तान आन्दोलन की शुरुआत भी गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी के कारण हुई थी | तब हिन्दुओं को भडकाने के लिए मंदिरों के सामने गऊओं के सिर काट कर रखे गए थे | सिन्धु बार्डर की मॉब लिंचिंग के एक आरोपी निहंग ने घटना स्थल पर ही निहंगों के डेरे में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है | लेकिन निहंग नेता ज्ञानी शमशेर सिंह की इस धमकी को खालिस्तान के नए आन्दोलन का इशारा भी समझा जा सकता है , जब उन्होंने कहा कि कि धर्म की रक्षा बिना ताकत के नहीं हो सकती | उन्होंने दावा किया कि घटनास्थल पर पहले भी गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामले सामने आए थे | तब उन्होंने आरोपी को पुलिस के हवाले किया था , लेकिन पुलिस ने कुछ दिन बाद उसे छोड़ दिया | इसलिए इस बार हमने सबक देने के लिए उसे गुनाह के बराबर की सजा दी, ताकि दोबारा ऐसा कोई करने की हिम्मत भी न करे, और फिर भी दोबारा ऐसा हुआ तो हम उसे फिर ऐसा ही 'प्रसाद' देंगे | इन शब्दों को समझिए , इन शब्दों से खालिस्तान आन्दोलन की याद ताज़ा होती है | मामला गौकशी का हो , या किसी धर्म ग्रन्थ के अपमान का , देश समाज और सरकार को लोगों की भावनाओं का ख्याल रखना चाहिए |

 

 

 

 

 

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