भाजपा की जन्मभूमि में क्यों हुआ किसान बागी 

Publsihed: 13.Jun.2017, 23:02

दस दिन बाद भी अपन को मध्य प्रदेश में उठे किसान आन्दोलन की समझ नहीं आ रही |  पिछले 15 साल से लगातार भाजपा की सरकार है | सरकार किसानों को समृद्ध करने का दावा भी करती है | मध्यप्रदेश का किसान बाकी राज्यों के मुकाबले समृद्ध है भी | मध्य प्रदेश की गेहूं ने पजाब-हरियाणा की गेहूं पर अपना झंडा गाडा हुआ है | कृषि का राष्ट्रीय पुरस्कार भी चार साल से मध्यप्रदेश को मिल रहा है | शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री पद अचानक मिला था | उमा भारती राष्ट्रीय ध्वज मामले में चार्जशीट होने पार इस्तीफा देने को मजबूर हुई थी | तब मुख्यमंत्री पर शिवराज की झोली में गिरा था | वह तो कभी मंत्री भी नहीं रहे थे | पर उमा भारती जब तक बरी हुई, तक तक शिवराज ने पाँव मजबूत कर लिए थे | उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी दुबारा नहीं मिली | उमा भारती इसी लिए पार्टी छोड़ गई थी | पर वह शिवराज की सरकार नहीं गिरा पाई | तब से शिवराज का पार्टी पर एकछत्र राज चलने लगा | सभी दिग्गज एक एक कर किनारे होते गए | अपन पार्टी की अंदरुनी राजनीति और मौजूदा आन्दोलन की चर्चा बाद में करेंगे | पहले उस मंदसोर की चर्चा | जहां से किसान आन्दोलन शुरू हुआ है |  एक समय अपना मंदसौर से गहरा जुड़ाव रहा है | तब अपन दैनिक भास्कर में काम करते थे | बात 1993 से 1996 के बीच की है | भास्कर तब सिर्फ मध्यप्रदेश से ही निकला करता था | इस लिए मध्यप्रदेश के सांसदों से रोज का वास्ता पड़ता था | लक्ष्मी नारायण पांडे मंदसोर से आठ बार एमपी चुने गए थे | बहुत ही मिलनसार राजनीतिज्ञ थे | उन के साथ अक्सर उठना-बैठना होता, तो मंदसौर चर्चा में रहता | मंदसोर वह जगह है, जिसने मध्यप्रदेश में जनसंघ को सबसे पहले अपनी जमीन मुहैया कराई थी | मध्यप्रदेश विधानसभा में जन्सघ का पहला मंदसौर जिले की गरोठ सीट से गया था | उसके बाद जावद, मनासा और सीतामऊ इसमें शामिल हुए | कई बार यहां की सभी सातों विधानसभा सीटों पर भाजपा ने कब्जा किया | डॉ.लक्ष्मीनारायण पांडे तो यहां से आठ बार सांसद रहे ही | वीरेन्द्र कुमार सकलेचा और सुंदरलाल पटवा दो भाजपाई मुख्यमंत्री भी मंदसोर ने दिए | मध्यप्रदेश में भाजपा के पितृपुरुष कुशाभाऊ ठाकरे ने इस जमीन को अपने खून पसीने से सींचा था | ठाकरे बाद में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बने | और मंदसौर ही नहीं, पूरा मालवा भाजपा का सबसे मजबूत गढ़ है | अभी भी विधानसभा की 29 सीटों में से 28 सीटें भाजपा के कब्जे में हैं | गांव-शहर सब जगह पार्टी की मजबूत पकड़ है | फिर यहां का किसान अचानक  इतना हिसंक कैसे हो गया | ऐसा क्या हुआ, जो भाजपा के नेता किसानों से बात करने लायक भी नहीं बचे | अपन ने सोशल मीडिया से मंदसोर के सच को समझने की कोशिश की | किन्हीं भारद्वाज ने लिखा है -"असल में सत्ता के घमंड ने भाजपा के पुरखों की जमीनी कमाँई गवां दी है | पराक्रम के बजाए परिक्रमा का युग आ गया है | सरकार पर अफसर हावी हैं और पार्टी पर मुख्यमंत्री | वे भाजपा के नेता कहीं नहीं दिखते , जिनका जनता से सीधा सम्पर्क हो |  जिनमें कार्यकर्ताओं की श्रद्धा हो । और जो अपने क्षेत्र में हमेशा उपलब्ध भी हों | भाजपा के ऐसे नेता तो मालवा में अब भी हैं | पर पार्टी उन्हें हाशिए पर धकेले हुए है | तो उनके पास भी अपनी खोल में सिमटने के अलावा रास्ता क्या है  ? कुशाभाऊ ठाकरे के जाने के बाद बीते तेरह सालों में जो राजनीति बदली | उसमें कैलाश चावला से शुरु होकर कैलाश विजयवर्गीय तक किनारे हुए हैं | " इतना समझने-पढने के बाद अब अपन को लगता है कि कहीं अंदरुनी हताशा तो नहीं | शिवराज सिंह के राज में शिव कुमार शर्मा कैसे विद्रोही हुए | शिव कुमार शर्मा किसान संघ के अद्यक्ष थे | वह किसान संघ से बागी क्यों हुए | उनने नया संगठन क्यों खडा किया | राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ का गठन हुआ कैसे | कौन है यह नया संगठन बनाने के पीछे | वही कर रहे हैं आन्दोलन की अगुआई | उन का कहना है कि किसानों को न्यूनतम कीमत भी वक्त पर नहीं मिलती | मौजूदा आन्दोलन की वजह गेहू का पैसा अभी तक नहीं मिलना है | जो उस ने सरकार को एक-डेढ़ महीना पहले बेचा था | अब धान उगाने का समय आ गया | किसान की जेब खाली है | कक्का जी के नाम से मशहूर हुए शिवकुमार शर्मा कहते है शिवराज के 11 साल से शासन में किसान शोषित ,अपमानित, दण्डित हुआ है | अब परास्त हो गया है \ आन्दोलन उसी का नतीजा है | पर कहीं आन्दोलन भी भाजपा की अंदरुनी लड़ाई का नतीजा तो नहीं | जो मालवा में भाजपा के नेता जानबूझ कर आन्दोलन थामने के लिए मैदान में नहीं आए | क्या उन ने जानबूझ कर सब कुछ शिवराज सिंह चौहान पर छोड़ दिया | क्या इसी लिए शिवराज सिंह उस दिन सदमें पड़े हुए थे,जिस दिन हिंसा हुई | जिस मंदसौर की सारी सीटें भाजपा के पास हों | वहां ऐसी हालत कैसे हो गई कि भाजपा का कोई नेता घुस नहीं पा रहा | अब बुधवार को सब से पहले सीएम शिवराज सिंह चौहान जाएंगे | तब पता चलेगा , उन का कैसा स्वागत होता है | 

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