उसी स्पीड से आऊट होने लगे केजरीवाल 

Publsihed: 13.Apr.2017, 22:29

उपचुनावों का ज्यादा महत्व नहीं होता | आम तौर पर जिस की सरकार हो, उसी दल को जीत मिलती है | जैसे हरीश रावत के समय चार उप चुनाव हुए | चारों में कांग्रेस जीती | इन चार में से सिर्फ एक पहले कांग्रेस के पास थी | वह भी धारचुला वाली | जहां से हरीश रावत ने हरीश धामी से इस्तीफा दिलाकर खुद चुनाव लड़ा था |  कांग्रेस उछल रही थी कि हरीश रावत उस की वापसी करा रहे हैं | लोकसभा चुनाव के बाद तीन सीटों पर कांग्रेस जीती ,तो दिल्ली में कांग्रेस चहक रही थी | पर अब कांग्रेस ने ऐसी नाक कटाई कि हाई कमान मिलने का वक्त तक नहीं दे रहा | कर्नाटक में कांग्रेस ने अपनी दोनों सीटें फिर से जीत ली | यह वही सत्ताधारी पार्टी के उप चुनाव जीतने वाली परम्परा है | कर्नाटक में अगले साल विधानसभा चुनाव है | माना जा रहा है कि येदुरप्पा की रहनुमाई में बीजेपी जीतेगी | गुरूवार के दो नतीजों ने कांग्रेस की उम्मींद फिर जगा दी है | वी श्रीनिवास प्रशाद कभी कर्नाटक के कांग्रेसी सीएम सिद्धरमैया के ख़ास थे | सिद्धारमैया ने उन्हें मंत्री पद से हटाया था | वह कांग्रेस छोड़ बीजेपी में चले गए, विधानसभा से भी इस्तीफा देना पडा था | उसी सीट पर वह अब बीजेपी के उम्मीन्द्वार थे | कांग्रेस ने अपनी सीट बचा ली | वी श्रीनिवास बीजेपी टिकट पर नहीं जीत पाए | येदुरप्पा के लिए बड़ा झटका है | अब कर्नाटक ही कांग्रेस के कब्जे में बड़ा राज्य रह गया है | मध्य प्रदेश की दो सीटों में से भी एक कांग्रेस जीत गई | कांग्रेस अब ईवीएम पर किस मुहं से सवाल उठाएगी | जिस ने 24 घंटे पहले ही राष्ट्रपति से मिल कर ईवीएम मशीनों पर सवाल उठाए थे | जब कि 24 घंटे बाद ही उन्हीं ईवीएम मशीनों ने कर्नाटक और मध्यप्रदेश में कांग्रेस को जीता दिया | कर्नाटक में कांग्रेस की उम्मींद जगी है, तो हिमाचल में हार साफ़ दिखने लगी है | हिमाचल की भोरेंज सीट भाजपा की ही थी, जो उस ने बचा ली | इसी साल हिमाचल विधानसभा के चुनाव होंगे | भाजपा के होंसले बुलंद हुए हैं | भाजपा अगला निशाना हिमाचल कांग्रेस से छीनना और गुजरात बचाना है | राजस्थान पर कांग्रेस बड़ी उम्मींद लगाए बैठी है | बड़ी हवा बनाई जा रही है कि लोग वसुंधरा से खफा है, सो कांग्रेस की आसान जीत होगी | पर धौलपुर ने कांग्रेस की उम्मींदों पर पानी फेरा है | कांग्रेस की खुशफहमी वैसी ही साबित हुई | जैसी केजरीवाल को पंजाब और गोवा में थी | बात चली "आप" की | तो आप की व्यथा बता दें | असली नतीजा तो दिल्ली का आया |  दिल्ली की राजौरी गार्डन सीट पर उप चुनाव हुआ | जहां "आप" उम्मीन्द्वार की जमानत जब्त हो गई | पिछली बार यह सीट "आप" के जरनैल सिंह जीते थे | केजरीवाल ने जरनैल सिंह से इस्तीफा कराकर पंजाब में वोटर बनवा दिया | पंजाब में सरकार बनाने का सपना देख रहे थे केजरीवाल | जरनैल सिंह को सुखबीर सिंह बादल के मुकाबले खडा कर दिया | जरनैल को हारना ही था, वह हार गए | वह पंजाब के वोटर बन गए थे, सो अपनी छोडी राजौरी गार्डन सीट से दुबारा चुनाव लड़ने से भी गए | इसे कहते हैं -अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारना | जरनैल सिंह और केजरीवाल ने खुद के पैरों पर कुल्हाड़ी मारी | "आप" जिस स्पीड से उभरी थी ,उसी स्पीड से निपट रही है | " आप " की हार शर्मनाक रही | राजौरी गार्डन ने दिल्ली में बीजेपी की वापसी का रास्ता खोला है | वह भी ऐसे समय,जब दिल्ली एमसीडी के चुनाव हो रहे हैं | तेईस अप्रेल को वोट पड़ेंगे | कुल 272 सीटों पर वोटिंग है | अब एमसीडी में मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस में होगा | "आप" 50-60 सीटें ले जाए, तो काफी | केजरीवाल एक बार फिर अपनी हार का ठीकरा ईवीएम मशीनों पर फोड़ देंगे | अपन केजरीवाल के डूबते सूरज को साफ़ देख रहे | राजौरी गार्डन और "आप" की राजनीति के सूर्यास्त के दस बड़े कारण बता सकते हैं अपन | पहला कारण - " जरनैल सिंह को पंजाब भेजना | जो दिल्ली के लोगों को पसंद नहीं आया | जरनैल सिंह को आप ने दोबारा राजौरी गार्डन से नहीं उतारा | जो वहां जनता को पसंद नहीं आया ।" दूसरा- " शुंगलू कमेटी  की रिपोर्ट से आप की किरकिरी |  रिपोर्ट में  कहा गया है कि आप ने पिछले दो साल में सिर्फ मनमानी की है । किसी भी मामले में एलजी की सह‌मति नहीं ‌ली और किसी संवैधानिक प्रक्रिया का पालन नहीं किया ।" तीसरी -" 16000 की थाली ने डुबोई आप की लुटिया |  चुनाव से ठीक पहले बीजेपी ने यह बड़ा खुलासा कर दिया था | जिस का केजरीवाल के पास कोई जवाब नहीं था | जनता के धन पर सरकार की ऐश लोगों को पसंद नहीं आई | " चौथी-" दिल्ली से बाहर अपने प्रचार के विज्ञापन पर खर्च दिए 97 करोड़ | यह पैसा दिल्ली के विकास पर खर्च होना चाहिए था |" पांचवा कारण - " मोदी को टारगेट बनाना- | दिल्ली में भारी बहुमत से सत्ता में आने के बावजूद केजरीवाल लगातार पीएम मोदी पर व्यक्तिगत हमले करते रहे । केजरीवाल उनकी डिग्री से लेकर, मां के साथ फोटो खिंचवाए जाने पर सवाल खड़े करते रहे । अपनी हर नाकामी के लिए केंद्र व एलजी को जिम्मेदार ठहराते रहे | जिसे जनता ने पसंद नहीं किया |" छटा कारण- " ईवीएम और इलेक्शन कमीशन पर उंगली उठाना | ऐसा नहीं है कि 2014 के बाद से बीजेपी हर राज्य के चुनाव को जीती है | वह बिहार में हारी,पंजाब में हारी | झाबुआ का लोकसभा चुनाव हारी | पंजाब और गोवा की हार के बाद आम आदमी पार्टी की ये बौखलाहट का जनता के बीच नकारात्मक असर पड़ा ।" सातवाँ कारण-" घोटालों में फंसना |  दिल्ली में सत्ता में आने के तुरंत बाद ही आप के मंत्रियों से लेकर नेताओं तक पर गंभीर आरोप लगे और उनमें से कई जेल भी गए । आप नेताओं पर फर्जी डिग्री से लेकर घरेलू हिंसा और यौन उत्पीड़न तक के आरोप लगे | लोगों में आम आदमी पार्टी की छवि धूमिल हो गई ।" आठवां कारण -"बड़े नेताओं को बाहर करना पड़ा भारी पडा |  योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण और आनंद कुमार जैसे बड़े और साफ छवि के नेताओं को केजरीवाल ने निकाल दिया था | जिससे पार्टी की नकारात्मक छ‌वि बनी ।" नौंवा कारण-" एंटी इंकम्बेंसी | आम आदमी पार्टी के लिए दिल्ली में ‌उसका पिछले दो साल का कार्यकाल ही उसके खिलाफ चला गया । एंटी इनकम्बेंसी का ही नतीजा है कि आम आदमी पार्टी का उम्मीदवार न सिर्फ हारा है बल्कि उसकी जमानत भी जब्त हो गई है ।" दसवां कारण-"बिजली पानी ,सड़क ,झुग्गी आदि की राजनीति के बाद सत्ता में आते ही इन्होंने आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति शुरु कर दी । हर बात के लिए एलजी से लेकर पीएम मोदी को व्यक्तिगत रूप से निशाना बनाया गया | "  

 

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