झूठा कौन है माल्या , राहुल , पूनिया या जेटली

Publsihed: 13.Sep.2018, 18:56

अजय सेतिया / बैंको का 9000 करोड़ रुपया ले कर भागे विजय माल्या के एक बयान से राजनीतिक बवाल खडा हो गया है | इस बयान में ऐसा कुछ नया नहीं है जो दो दर्जन से ज्यादा पत्रकारों को पहले से पता नहीं था | दो दर्जन से ज्यादा पत्रकारों के सामने विजय माल्या संसद के सेंट्रल हाल में अरुण जेटली से मिले थे | यह बात क्योंकि सब को पता थी , इस लिए कांग्रेस के सांसद रहे पीएल पूनिया गवाह बन कर सामने आए हैं | तीन साल तक वह पता नहीं कहाँ छुप कर बैठे थे | असल में उन्हें पता है कि सेंट्रल हाल में हुई मुलाकातों का कोई मतलब नहीं होता | वहां राजनीतिक उथल पुथल तो होती है , पर वह हल्की फुल्की मेल मुलाकातों का स्थान है | जहां राजनीतिक दलों के दायरे से निकल कर चाय काफी पर गपशप होती हैं | जहां भी दो नेता बैठे हों, वहा एक दो पत्रकार भी साथ होते हैं | अरुण जेटली को तो अपन ने पिछले बीस साल में कभी बिना पत्रकारों के बैठे नहीं देखा | यूपीए के राज में भी सेंट्रल हाल में पत्रकारों के प्रिय थे, एनडीए राज में भी |

पूनिया को यह तो जरुर पता होगा कि विजय माल्या राज्यसभा के सांसद थे | वह संसद के सेंट्रल हाल में अक्सर दिखाई देते थे | पूनिया तो खुद कभी कभार दिखाई देते थे | अपन नहीं जानते कि पूनिया की विजय माल्या के साथ कितनी दोस्ती थी | पर अपन जानते हैं कि यूपीए सरकार के उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल माल्या के गहरे दोस्त थे और हैं | उन की सिफारिशें भी विजय माल्या की डूब रही किंगफीशर को बैंकों से लोन दिलाने में सहायक हुई थीं | माल्या की दूसरे नम्बर की दोस्ती उड्डयन मंत्री के राजनीतिक बॉस शरद पवार के साथ थी | वह कई बार शरद पवार को अपने “परियों” वाले “लग्जरी” विमान पर पूना लेकर गए थे | शरद पवार और माल्या की साझेदारी वाली पूना के पास बनी शराब की फेक्ट्री का जिक्र करने की यहाँ कोई जरूरत नहीं | अरुण जेटली कभी माल्या के सेंट्रल हाल दोस्तों की सूची में नहीं रहे | सेंट्रल हाल में माल्या जिन के साथ वह ज्यादा बैठते थे ,वे थे एनसीपी के शरद पवार और प्रफुल्ल पटेल,  कांग्रेस के राजीव शुक्ल , तृणमूल के के.ड़ी सिंह और अकाली दल के नरेश गुजराल |

पता नहीं पूनिया ने इतना बड़ा चंडूखाना किस के कहने पर फैला दिया | सेंट्रल हाल में अरुण जेटली के साथ माल्या की बातचीत तो सब के सामने हुई थी | अगर पूनिया ने दूर देख भी लिया होगा, तो भी उसे गवाही के तौर पर नहीं कहा जा सकता | सेंट्रल हाल की इतनी मर्यादा तो रखनी चाहिए थी | सेंट्रल हाल में कौन किस से मिला, क्या बात हुई , किस से बात हुई इस का कहीं जिक्र नहीं किया जाता | पत्रकारों को भी सेंट्रल हाल में हुई बातचीत का हवाला देने की मनाही है | इसी लिए बहुत सीनियर पत्रकारों को ही सेंट्रल हाल का पास मिलता है | ताकि वे मेच्योर हो चुके हों | सांसदों को तो मेच्योर समझा ही जाता है | यह नियम जवाहर लाल नेहरु के बनाए हुए हैं | पूनिया ने पता नहीं नेहरु की अध्यक्षता वाली जनरल परपस कमेटी के बारे में कुछ पढ़ा है या नहीं |

विजय माल्या ने सेंट्रल हाल का जिक्र तक नहीं किया था | उन्होंने सिर्फ इतना कहा था कि वह वित्त मंत्री से मिले थे और बैंकों को कर्ज लौटाने की इच्छा जताते हुए उन्हें बीच-बचाव के लिए कहा था | उनका दावा है कि वित्तमंत्री से उन्होंने लंदन जाने की जानकारी भी दी थी | राहुल गांधी ने बवाल जरुर खडा कर दिया कि बड़े बड़े ब्लॉग लिखने वाले अरुण जेटली ने कभी इस मुलाकात का जिक्र नहीं किया | उन ने अरुण जेटली को “झूठा” भी कहा | राहुल का कहा वाक्य देखिए- “ एक अपराधी बताता है कि वह भागने वाला है पर वित्त मंत्री सीबीआई को बताते नहीं |” पर राहुल गांधी ने विजय माल्या की परस्पर विरोधी बात पर गौर नहीं किया | भारत से भाग कर लंदन जाने और बैंकों का कर्ज वापस करने की दोनों बातें परस्पर विरोधी हैं | और उन का दावा है कि ये दोनों बातें उन्होंने वित्तमंत्री से कहीं थीं | कितनी बेतुकी बात है, कोई भागने वाला क्यों बताएगा कि वह भाग रहा है |

पर जेटली ने माल्या के साथ हुई बातचीत की जगह का खुलासा कर के राहुल और पूनिया दोनों की किरकिरी कर दी है | हाँ विजय माल्या बैंकों के कर्ज चुकाने के मुद्दे पर जेटली से मिले थे, पर वह सेंट्रल हाल में नहीं मिले थे | अरुण जेटली ने खंडन नहीं किया , उन ने कहा कि जब वह राज्यसभा से अपने कमरे में जा रहे थे तब माल्या ने उन्हें रास्ते में रोका था | माल्या ने कहा था कि वह बैंकों के साथ सेटलमेंट करना चाहते हैं | जेटली इसे विजय माल्या को सासंद के तौर पर मिले अधिकार का दुरूपयोग भी मानते हैं | वैसे संसदीय नियमों के मुताबिक़ भी किसी सांसद का अपने कारोबार के सम्बन्ध में संसद में या मंत्री से बात करना प्रतिबंधित है | यह बैंकों और माल्या के बीच का मामला था | जेटली इस में बीच बचाव क्यों करते और उन्होंने माल्या की कही बात पर गौर किया भी नहीं | मंत्री बीच-बचाव के लिए नहीं होते | जेटली बीच-बचाव करते तो वह मंत्री के तौर पर ली शपथ का उलंघन करते |

 

 

 

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