क्या जाधव को ढाल बना रहा है पाक 

Publsihed: 13.Apr.2017, 09:59

कुलभूषण जाधव के बहाने नेशनल कांफ्रेंस का पाक समर्थक चेहरा उजागर हुआ | फारूख अब्दुल्ला ने पत्थरबाजों का समर्थन किया था | तब अपन ने फारूख का चुनावी हथकंडा समझा | हालांकि प्त्थार्बाजों पर फारूख की इस चाल का असर नहीं हुआ | वह कश्मीर से लिक्सभा का उपचुनाव लड़ रहे तहरे | फारूख का यह बयान भी 20-22 फीसदी वोटिंग नहीं करवा सका | कश्मीर में सिर्फ पौने सात फीसदी वोटिंग सिर्फ पीडीपी-भाजपा सरकार की विफलता नहीं | नेशनल कांग्रेस की भी विफलता है | जिस के सर्वोच्च नेता फारूख अब्दुल्ला खुद चुनाव लड़ रहे थे | कांग्रेस की भी विफलता है, जो फारूख को समर्थन दे रही थी | फारूख का कश्मीर को अलग वतन बताने वाला जूमला भी नहीं चला | अपन फारूख के भारत विरोधी रूख को चुनावी पैंतरा समझते रहे | पर जब कुलभूषण जाधव के मामले पर पाक की आर्मी कोर्ट के पक्ष में स्टैंड लेते देखा | तो साफ़ हुआ कि नेशनल कांफ्रेंस का झुकाव पाक की तरफ हो गया है | फारूख के भाई शेख मुस्तफा कमाल ने भारत के स्टैंड के खिलाफ स्टैंड लिया | उनने कहा -"जाधव के मामले में पाकिस्तान ने क़ानून के मुताबिक़ कार्रवाई की है | भारत की ओर से आपत्ति उठाया जाना जायज नहीं है |" नॅशनल कांफ्रेंस के प्रवक्ता जुनैद मट्टू ने कहा  कि अगर पाकिस्तान कहता है कि वह जासूस है,तो वह जासूस है | फारूख का बयान कश्मीर की राजनीति का सच है | मुफ्ती परिवार हो या अब्दुला परिवार | वे तब तक ही भारत के साथ होते हैं  , जब तक कुर्सी पर काबिज होता है | इस के बावजूद मोदी से खफा यशवंत सिन्हा ने फारुख अब्दुल्ला को राष्ट्रवादी होने का सर्टिफिकेट दे दिया | वह बोले- " फारूख अब्दुल्ला हमेशा से ही राष्ट्रवादी रहे हैं | उनका बयान चुनाव प्रचार के दौरान आया था । ऐसे में मैं यह नहीं कह सकता कि यह किस संदर्भ में आया था ।" जब जाधव के मामले में सारा देश भड़का हुआ है | न तो कोई पाकिस्तान से शांतिवार्ता के पक्ष में है, न ही अलगावादियों से | फिर भी यशवंत सिन्हा ने वाजपेयी को ढाल बना कर अपनी अलग ढफली बजाई |  वह बोले -"अगर आप अलगाववादियों से बातचीत की पहल करते हैं तो आप देशद्रोही बन जाते हैं, तो क्या वाजपेयी देशद्रोही थे ।" पर अपन बात कर रहे थे कुलभूषण जाधव की | जिस पर भारत विरोधी स्टैंड ले कर नॅशनल कांफ्रेंस बेनकाब हुई |  बाकी राजनीतिक दल एकजुट दिखे | हालांकि यह एकजुटता सिर्फ संसद में दिखी | सडकों पर तो सब ने पाक के खिलाफ अलग अलग प्रदर्शन किये | प्रदर्शन के जरिए भावनाए जाहिर करना अपनी जगह है | कूटनीति अपनी जगह है | मोदी-सुषमा की कूटनीति का इम्तिहान अब होगा | सुषमा ने संसद में धमकी दी कि जाधव को फांसी दे कर देखो | पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने भी पलट कर जवाब दे दिया है | शरीफ ने कहा -" पाक किसी भी स्थिति का मुकाबला करने को तैयार है |" तो क्या हम युद्ध की तरफ बढ़ रहे हैं | ब्रह्म चेलानी और सुशांत सरीन कूटनीति और सुरक्षा मामलों के जानकार हैं | दोनों का मानना है कि भारत से बातचीत के लिए पाकिस्तान जाधव को ढाल बना रहा है | वह सौदा करना चाहता है | पर भारत को पाकिस्तान के जाल में नहीं फसना चाहिए | सवाल यह है कि भारत दबाव में आएगा या पाक को दबाव में लाएगा | क्या भारत की खुफिया एजेंसियों ने भी पाकिस्तानी हथकंडा अपना लिया है | ठीक इसी समय पाकिस्तानी लेफ्टिनेंट कर्नल (रिटायर्ड) मोहम्मद हबीब जहीर के गायब होने की खबर आई है | वह नेपाल के लुंबिनी से गायब हुए | यह घटना जाधव को फांसी की सजा सुनाए जाने से दो दिन पहले की है | आठ अप्रैल को रावलपिंडी के रावत पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज हुई है | पाकिस्तान अब जाधव को सजा देने के मामले  में सफाई देने की मुद्रा में आता दिख रहा है | पाकिस्तान का सफाई देने वाला नया पैंतरा सामने आया है । पाकिस्तान के उजैर बलौच के साथ जाधव का नाम जोड़ा गया  है । पाक सेना ने दावा किया है कि उजैर जासूसी करने में जाधव की मदद कर रहा था । बलूच पर भारत और ईरान को संवेदनशील जानकारी देने का आरोप लगाया गया है |  उजैर पिछले 15 महीनों से पाकिस्तानी रेंजर्स की हिरासत में था । अब उसे सेना के हवाले कर दिया गया है । जिस पाकिस्तान आर्म्स ऐक्ट  के तहत जाधव पर केस चलाया गया | उसी कानून के तहत अब उजैर पर भी मामला दर्ज किया गया है । मेजर जनरल आसिफ गफूर ने यह बात एक ट्विट में कही है | उजैर बलूच बाकी लाखों बलूचियों की तरह आज़ाद बलूचिस्तान का आन्दोलनकर्ता है | भारत-पाक जब आज़ाद हुआ तो बलूचिस्तान किसी को नहीं मिला था | बलूचिस्तान ब्रिटेन का हिस्सा भी नहीं था | पकिस्तान ने बाद में चालाकी से बलूचिस्तान पर कब्जा किया | तब से बलूचिस्तानी आज़ादी के लिए लड़ रहे हैं  | और पाकिस्तान सेना उनका नरसंहार कर रही है | पाकिस्तान की पुलिस ने 2009 से उजैर बलौच को गैंगस्टर बना रखा है | समय समय पर उस के खिलाफ मुकद्दमें दायर किए जाते रहे | कभी ह्त्या के मुकद्दमें, कभी तस्करी के मुकद्दमें और कभी जासूसी के मुकद्दमें | 

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