सुप्रीमकोर्ट के जजों ने मीडिया जंग शुरू की 

Publsihed: 12.Jan.2018, 21:52

अजय सेतिया / शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के चार सीनियर जजों ने मीडिया के सामने खुली जंग शुरू कर दी | इस से पहले जजों की गुटबाजी ढकी हुई थी | ऐसा नहीं था कि जजों की आपस में खटास नहीं थी | ऐसा नहीं कि जज राजनीतिक नेताओं के साथ सांठ-गाँठ नहीं करते थे | ऐसा नहीं कि जजों से राजनीतिक दलों की मिलीभगत नहीं होती थी | पर शुक्रवार को सब खुल्लम खुला हो गया |  देश के इतिहास में पहली बार चार जज मीडिया के सामने आए | चारों चीफ जस्टिस के बाद सीनियर हैं | चारों ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्र के खिलाफ मोर्चा खोल दिया | यह कुछ ऐसे हुआ, जैसे किसी राजनीतिक दल में बगावत हो गई हो | अपने अध्यक्ष के खिलाफ बगावत कर के चार बड़े नेताओं ने नया दल बना लिया हो | और मीडिया के माध्यम से राष्ट्रपति के सामने नई गठबंधन सरकार बनाने का दावा पेश कर रहे हों | जी हाँ , यह बगावत चीफ जस्टिस दीपक मिश्र को हटवा कर चीफ जस्टिस बनने की है | दुसरे नंबर के जज जस्टिस जे. चेलामेश्‍वर किसी भी हालत में चीफ जस्टिस बनना चाहते हैं | इस के लिए कुछ दिन पहले वह पूजा पाठ करने गुवहाटी के कामेश्वर मंदिर भी गए थे | चर्चा तो यहाँ तक है कि उन ने वहा बलि भी दी | पर उन के सामने मुश्किल यह है कि वह 22 जून में रिटायर हो रहे हैं | जबकि मौजूदा चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की रिटायरमेंट 2 अक्टूबर को है। जस्टिस जे. चेलामेश्‍वर ने अपने बाद के तीन सीनियर जजों को अपने साथ मिला लिया | जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ भी साथ आ गए | चारों ने पहले प्रशासनिक मुद्दों पर चीफ जस्टिस को चिठ्ठी लिखी | यह चिठ्ठी चीफ जस्टिस के खिलाफ ही लिखी हुई थी | चारों जजों की शिकायत है कि चीफ जस्टिस वरिष्ठता को दरकिनार कर बैंच बनाते हैं | पर हैरानी तब हुई , जब चारों जजों ने कहा कि लोकतंत्र खतरे में है | उनने कहा-" सुप्रीम कोर्ट का प्रशासन ठीक तरह से काम नहीं कर रहा है | अगर संस्था को ठीक नहीं किया गया, तो लोकतंत्र खत्म हो जाएगा | " सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्र भी जवाबी प्रेस कांफ्रेंस करना चाहते थे | खबर आई कि वह दोपहर दो बजे प्रेस कांफ्रेंस करेंगे | उन के साथ अटार्नी जनरल भी प्रेस कांफ्रेंस में होंगे | पर वह प्रेस कांफ्रेंस नहीं हुई | इस बीच खबर आई थी कि नरेंद्र मोदी ने विधिमंत्री रविशंकर प्रशाद को तलब किया था | जिन ने अटार्नी जनरल के माध्यम से प्रेस कांफ्रेंस को टलवाया | फिर खबर आई कि चीफ जस्टिस शाम चार बजे प्रेस कांफ्रेंस करेंगे | पर वह प्रेस कांफ्रेंस भी नहीं हुई | मतलब साफ़ है कि नरेंद्र मोदी ने सडकों पर जजों की लड़ाई को रुकवाया | अगर चीफ जस्टिस की प्रेस कांफ्रेंस हो जाती तो न्यापालिका में राजनीतिक जंग शुरू हो जाती | वह तभी साफ़ हो गया था जब सीपीआई के नेता डी. राजा जजों की लड़ाई में कूद पड़े | उन ने प्रेस कांफ्रेंस के बाद जस्टिस चेलामेश्वर के घर जा कर बधाई दी | राहुल गांधी भी इस जंग में कूदे | उन ने प्रेस कांफ्रेंस कर के जस्टिस लोया की मौत का मुद्दा उठाया | जस्टिस लोया मुम्बई के जज थे | वह अमित शाह के केस की सुनवाई कर रहे थे और उन की हत्या हो गई थी | चारों जजों ने भी जस्टिस लोया केस के जांच की बात उठाई | चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की नियुक्ति नरेंद्र मोदी सरकार ने की है | जस्टिस जे. चेलामेश्‍वर को वामपंथियों के करीब माना जाता है | हालांकि उन्हें जा कर डी. राजा मिले | पर वह सीताराम येचुरी के करीब माने जाते हैं | वामपंथियों का आरोप है कि मोदी ने दीपक मिश्रा को गलत चीफ जस्टिस बनाया | पर यह कहानी सिर्फ राजनीतिक ही नहीं है | दोनों तरफ के जज आफ दी रिकार्ड  एक दुसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाते हैं | बात सीवीसी केबी चौधरी के खिलाफ मुकद्दमे से शुरू हुई थी | प्रशांत भूषण ने उन के खिलाफ आय से अधिक सम्पत्ति का केस ठोका था | यह केस जस्टिस चेलामेश्वर की अदालत में था | पता नहीं क्या हुआ कि यह केस खत्म हो गया | वकीलों के हलकों में चर्चा है कि जस्टिस चेलामेश्वर , प्रशांत भूषण और केबी चौधरी की मीटिंग हुई थी | अपन को आंध्र प्रदेश के सूत्रों से जस्टिस चेलामेश्वर की कुछ चौंकाने वाली खबरे मिली | कांग्रेस के एक पूर्व सांसद एल. राजगोपाल जस्टिस चेलामेश्वर के घर पर मिले थे | यह बात कोई चार महीने पुरानी है | यह मुलाक़ात तब हुई थी , जब अगले दिन एल. राजगोपाल की कम्पनी लिंकों के केस की सुनवाई थी | जस्टिस चेलामेश्वर खुद सुनवाई करने वाले थे | चीफ जस्टिस दीपक मिश्र और चेलामेश्वर में जंग की ताज़ा वजह कुछ और है | कुछ दिन पहले प्रशांत भूषण ने मेडिकल कालेजों को ले कर एक पीआईएल दाखिल की | यह पीआईएल जस्टिस चेलामेश्वर की अदालत में पेश की गई | प्रशांत भूषण का कहना है कि इस घोटाले में चीफ जस्टिस का भी नाम है | जब वह सुनवाई कर रहे थे , तभी किसी ने जा कर चीफ जस्टिस को बता दिया | चीफ जस्टिस ने फौरन जस्टिस चेलामेश्वर को एक चिठ्ठी लिखी | जिस में लिखा था कि इस से जुडा केस एक दूसरी बैंच में विचाराधीन है | इस लिए उन्हें कहा गया था कि वह सुनवाई न करें | पर जस्टिस चेलामेश्वर ने इस की परवाह नहीं की | उन ने एक कदम आगे बढ़ कर चार जजों की संवैधानिक बैंच का गठन कर दिया | इतना ही नहीं, चारों जजों का नाम भी दे दिया | जबकि जज तय करने का अधिकार चीफ जस्टिस का है | न्यायपालिका हलकों में चर्चा है कि मकसद चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा पर उंगली उठाना था | ताकि किसी तरह अप्रेल से पहले वह चीफ जस्टिस बन सकें | पर अब तो मामला एक दम उलटा हो गया है | जस्टिस चेलामेश्वर ही नहीं, अलबत्ता बाकी तीनों का चीफ जस्टिस बनना भी खतरे में पड गया है | क्या मोदी सरकार प्रेस कांफ्रेंस करने वाले किसी जज को चीफ जस्टिस बनाएगी | अपन को तो नहीं लगता कि इन में से किसी को भी चीफ जस्टिस बनाना वाजिब होगा | 

 

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