अजय सेतिया / अटल बिहारी वाजपेयी के अस्पताल में भर्ती होने की खबर से भाजपा में हलचल मची | खबर भाजपा से ही बताई गई | पर वाजपेयी का हालचाल जानने मोदी कब जाएंगे ? इस की कोई जानकारी नहीं दी गई | अमित शाह तक के जाने की जानकारी नहीं दी गई | राहुल गांधी ने इसी मौके को लपका | वह सब से पहले अस्पताल जा पहुंचे | राहुल गांधी सुर्ख़ियों में आना सीख गए हैं | नोटबंदी के समय भी वह बैंक के सामने जाकर लाईन में लग गए थे | अपन नहीं चाहते कि जेएनयू के भारत तोडो गैंग को जा कर मिलने की याद दिलाएं | या रोहित वैमूला को ले कर वामपंथियों की रैली में जाने की फुर्ती याद दिलाएं | या भट्टा परसोल की याद दिलाएं | या मन्दसौर के किसानों के आन्दोलन में कूदने की याद दिलाएं | पर सच यही है कि राहुल फुर्तीले हो गए हैं | गांधी परिवार में ऐसा फुर्तीलापन किसी का नहीं रहा | हाँ मोरारजी सरकार के समय बिहार में काफी तादाद में हरिजनों की हत्या हुई थी | तब इंदिरा गांधी बेलछी गई थी | वहां जाना बहुत मुश्किल था | इंदिरा गांधी हाथी पर बैठ कर बेलछी गई | वहीं से उन का राजनीतिक ग्राफ चढ़ गया था | राजनीति में कोई कितना भी रसातल में चला जाए | जनता के बीच जाने पर फिर उभर आता है | इंदिरा गांधी और संजय गांधी तक 1977 का चुनाव हार गए थे | पर तीन साल में कांग्रेस फिर उभर आई | राहुल गांधी अपनी दादी की तर्ज पर आगे बढ़ रहे हैं | अब देखी मंगलवार को आरएसएस को हत्यारा कहने पर अदालत में पेशी थी | पर सोमवार को आरएसएस के प्रचारक का हाल चाल जानने अस्पताल जा पहुंचे | वह वाजपेयी का हाल जानने नहीं गए थे | वह देश को बताने गए थे कि मोदी से ज्यादा वाजपेयी की चिंता कांग्रेस को है | और ब्राह्मण वोट बैंक का सवाल भी है | लोकसभा के चुनाव अब दूर नहीं | वैसे राहुल गांधी के ब्राह्मण होने वाले दावे में कोई दम नहीं | उन के दादा फ़िरोज़ खान मुस्लिम थे , वह हिन्दू बने हों , ऐसा कोई रिकार्ड नहीं | पर कांग्रेस का दावा है कि राहुल जनेऊ धारी ब्राह्मण हैं | खैर यह अलग बहस है | अपन इस में नहीं पड़ते | राहुल गांधी के तुरत फुरत एम्स जाने का मकसद ब्राह्मणों की सहानुभूति बटोरना था | वह बताना चाहते थे कि मोदी न आडवानी को पूछ रहे हैं , न वाजपेयी को | यह बात उन ने मुम्बई जा कर अपने भाषण में बताई भी। मोदी और अमित शाह भी दौड़े दौड़े अस्पताल पहुंचे | राजनाथ , जोशी और सुषमा स्वराज भी हो आई | पर राहुल ने अपना मेसेज दे दिया | अब बात वाजपेयी की हालत की | तो उन की हालत स्थिर बनी हुई है | हालांकि यूरिन इंफेक्शन अब कंट्रोल में बताया गया है | यानि पहले से सुधार है | सोमवार को उन्हें ईएमएस में लाया गया | तो सामान्य जांच के लिए लाया बताया था | तब बताया गया था कि शाम तक घर चले जाएंगे | पर सामान्य जांच के लिए लाया नहीं गया था | उन को यूरिन में इन्फेक्शन हुआ था | इस लिए सोमवार की रात वह अस्पताल में ही रखे गए | अभी भी अस्पताल में ही रखे गए हैं | मंगलवार को एम्स ने वाजपेयी के बारे में बुलेटिन जारी किया | बुलेटिन में बताया गया कि इन्फेक्शन ठीक होने तक अस्पताल में ही रखा जाएगा | एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया तय करेंगे कि उनको कब डिस्चार्ज किया जाएगा | कुछ टेस्ट हैं ,जो वाजपेयी जैसी शख्शियत के रेगुलर होने चाहिए थे | पर पिछले दो साल से नहीं हुए | अगर वे टेस्ट समय पर हो गए होते तो इन्फेक्शन जल्दी पकड़ा जाता | फिर उस का इलाज भी वक्त पर हो जाता | वाजपेयी को अस्पताल लाने की जरुरत ही नहीं पड़ती | यह किस की लापरवाही से हुआ | पूर्व प्रधानमंत्री की रेगुलर जांच के लिए डाक्टरों की एक टीम बनाई जाती है | अपना इस सम्बन्ध में भैरो सिंह शेखावत के साथ का तुजर्बा है | डॉक्टर बाकायदा रोज चैक करते हैं | ज़रा शक होते ही तुरंत टेस्ट किए जाते हैं | वाजपेयी के मामले में लापरवाही क्यों की गई | खुद डाक्टरों ने बताया है कि कुछ टेस्ट पिछले एक- दो सालों से नहीं हुए थे \ अब वे टेस्ट किए गए हैं, इन सभी की रिपोर्ट आ जाने के बाद उनको डिस्चार्ज किया जाएगा | वैसे तीस घंटों में जो टेस्ट हुए उन की रिपोर्ट सामान्य आई है | देश की निगाह ईएमएस पर लगी है | लोग घरों , मंदिरों में वाजपेयी के लिए कामना कर रहे हैं |
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