मुस्लिम देशों में ट्रिपल तलाक बैन क्यों है 

Publsihed: 11.May.2017, 23:25

'तीन तलाक', 'निकाह हलाला' महिलाओं के मौलिक अधिकारों का हनन है या नहीं | अब बात यहाँ आ कर रूक गयी है | सुप्रीमकोर्ट ने मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड को सुनवाई के पहले दिन ही संकट में ला खडा किया | शाहबानों के गुजारा भत्ता केस के समय कांग्रेस की क्या भूमिका थी , यह सब जानते हैं | शाहबानों गुजारा भत्ते का केस जीत गयी थी , कांग्रेस की सरकार ने उसे संसद में हरा दिया था | वैसे तो वकालत एक प्रोफेशन है | अपन को प्रोफेशन और राजनीति को नहीं जोड़ना चाहिए | पर यह बताना जरूरी है कि मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल हैं | इस लिए कपिल सिब्बल कोर्ट में ट्रिपल तलाक का समर्थन कर रहे हैं | सिब्बल न सिर्फ कांग्रेसी हैं , बल्कि 10 जनपथ के करीबी भी हैं | दस जनपथ का जिक्र इस लिए आया क्योंकि दस जनपथ से ही शाहबानों से नाईंसाफी हुई थी | वैसे वकील की कोई पार्टी नहीं होती | अपन जानते हैं कि प्रोफेशन को हथियार बना कर कई वकील कैसे सांसद बनते हैं | राम जेठमलानी को ही लो, 30 साल से सांसद हैं | भाजपा, राजद, शिवसेना, कांग्रेस सभी दलों के सांसद रह चुके | 
खैर बात हो रही थी ट्रिपल तलाक पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की | सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने बेहतरीन काम किया | मामला एक सम्प्रदाय से जुड़ा है, कल को कोई कोर्ट पर साम्प्रदायिकता का आरोप ही न लगा दे | जैसे जस्टिस कर्णन ने अपने केस को दलित और गैर दलित बना दिया | तो सोशल मीडिया पर उन के पक्ष में दलित आन्दोलन चल रहा है | कई  बुद्धिजीवी और पत्रकार भी इस आन्दोलन में कूदे  हुए हैं | आज कल तथाकथित बुद्धिजीवी कुछ भी कर सकते हैं | इस लिए चीफ जस्टिस ने एहतियात बरती | पांच जजों की पीठ बनाई, पाँचों जज अलग अलग सम्प्रदाय से ले लिए | चीफ जस्टिस जेएस खेहर (सिख) जस्टिस कुरियन जोसेफ (ईसाई ), जस्टिस आर एफ नरिमन (पारसी ), जस्टिस  उदय उमेश ललित (हिन्दू ) और जस्टिस अब्दुल नजीर ( मुस्लिम ) शामिल हैं | 
गुरूवार को सुनवाई शुरू हुई | लगातार दस दिन सुनवाई होगी | कोर्ट ने शुरू में ही कह दिया कि अगर यह धर्म का मामला है, तो कोर्ट दखल नहीं देगी | यानि अब पहले यह तय होगा कि क्या  ट्रिपल तलाक इस्लाम धर्म का मामला है | मोदी सरकार इसे धर्म का मामला नहीं मानती | धर्म का मामला हो, तो भी महिलाओं के मौलिक अधिकारों का सवाल है | यह बात सरकार ने कोर्ट में साफ़ कर दी है | तीन तलाक को लेकर केंद्र सरकार ने कोर्ट के सामने कुछ सवाल रखे | पहला सवाल : धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के तहत तीन तलाक, हलाला और बहु-विवाह की इजाजत संविधान के तहत दी जा सकती है या नहीं ? दूसरा सवाल : समानता का अधिकार और गरिमा के साथ जीने का अधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार में प्राथमिकता किसको दी जाए ? तीसरा सवाल : पर्सनल लॉ को संविधान के अनुछेद 13 के तहत कानून माना जाएगा या नहीं ? चौथा सवाल : क्या तीन तलाक, निकाह हलाला और बहु-विवाह उन अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत सही है, जिस पर भारत ने भी दस्तखत किये हैं ?
बात उठी है ट्रिपल तलाक के धर्म-सम्प्रदाय से जुड़े होने की | सरकारी वकील पिंकी आनंद ने पहले ही दिन फच्चर फंसा दिया | पिंकी आनंद ने कहा कि अगर ट्रिपल तलाक सम्प्रदाय का मामला है, तो मुस्लिम देशों में ट्रिपल तलाक बैन क्यों है | ट्रिपल तलाक को चुनौती देने वालों ने भी कहा  कि अगर यह इस्लाम के मूल में होता तो कई देश इसे बैन न करते | अब सुप्रीम कोर्ट उन मुस्लिम देशों के कानूनों का भी अध्ययन करेगी | पहले तो यह तय होगा कि यह धर्म-सम्प्रदाय का मामला है या नहीं | कुरआन क्या कहता है, शरियत क्या कहती है , हदीस क्या कहती है | कपिल सिब्बल को अब रात भर बैठ कर कुरआन, शरियत,हदीस पढ़ना पडेगा | मौलवियों को बुला कर पूछना पडेगा ,जो फतवे सुनाते रहते हैं | कपिल सिब्बल को कोर्ट में साबित करना है कि ट्रिपल तलाक इस्लाम का हिस्सा है | याचिकाकर्ता को कोर्ट में यह साबित करना है कि ट्रिपल तलाक इस्लाम का हिस्सा नहीं है | याचिकाकर्ता एक नहीं, पांच हैं | अगर यह धर्म का मामला नहीं निकला तो सुनवाई आगे चलती रहेगी | 
तीन तलाक से मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है या नहीं, इस पर कोर्ट देखेगी |  बहुविवाह पर कोर्ट सुनवाई नहीं करेगा | चीफ जस्टिस ने साफ कहा कि पहले तीन तलाक का मुद्दा ही देखा जाएगा | पहले तीन दिन चुनौती देने वालों को मौका मिलेगा |  फिर तीन दिन डिफेंस वालों को मौका मिलेगा | कांग्रेस के एक और दिग्गज सलमान खुर्शीद भी ट्रिपल तलाक में कूदे हुए हैं |  वह कोर्ट की मदद कर रहे हैं | सलमान खुर्शीद ने कोर्ट में कहा : ट्रिपल तलाक कोई मुद्दा ही नहीं है | उन का कहना था कि तलाक से पहले पति और पत्नी के बीच सुलह की कोशिश जरूरी है |  सवाल तो यही है कि सुलह की कोशिश नहीं होती और तलाक तलाक तलाक कहे जा रहे हैं | कपिल सिब्बल ने कहा, ये पर्सनल ला का मामला है |  सरकार तो कानून बना सकती है लेकिन कोर्ट को इसमें दखल नहीं देना चाहिए | जस्टिस कूरियन ने कपिल सिब्बल से कहा, ये मामला मौलिक अधिकारों से भी जुड़ा है | सुप्रीम कोर्ट ने कपिल सिब्बल से यह भी पूछा - ये पर्सनल ला क्या है ? इसका मतलब शरियत है या कुछ और ? 

 

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