अजय सेतिया / कई बार कन्फ्यूजन से भी फेक न्यूज बनती है | मंगलवार को यही हुआ , जब सभी टीवी चेनलों और वेबसाईटों ने बच्चों की कोरोना वेक्सीन को मंजूरी की खबर चला दी | असल में डीजीसीआई की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी ने कोवैक्सीन की बच्चों से जुडी वेक्सीन को मंजूरी की सिफारिश की है | बच्चों की वेक्सीन बनाने के लिए असल में भारत का मुकाबला चीन से है | क्योंकि इसे स्वदेशी फार्मा कंपनी भारत बायोटेक ने तैयार किया है | इसलिए देशभक्ति के अति उत्साह में मीडिया ने दुनिया की पहली बच्चों की वेक्सीन को मंजूरी की खबर चला दी | चीनी वैक्सीन कोरोनावैक का 3 से 17 साल तक के बच्चों पर ट्रायल किया गया है |
क्योंकि अभी तक दुनिया भर में 12 साल से ज्यादा उम्र के बच्चों की वेक्सीन को ही मंजूरी मिली हुई है | इसलिए यह बहुत बड़ी खबर थी | यह खबर दुनिया भर में जंगल की आग की तरह फ़ैल गई | तो सरकार को फुर्ती से सफाई देनी पड़ी | दूसरी लहर के दौरान बच्चों में बड़ी तादाद में कोरोना वायरस होने की खबरें आई थीं | तीसरी लहर में बच्चों के ज्यादा प्रभावित होने की आशंकाएं भी खडी हुई थी | यह मई की बात है , तब सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी ने बच्चों पर कोवैक्सिन के ट्रायल की सिफारिश की थी | ताकि तीसरी लहर से पहले बच्चों की वेक्सीन तैयार हो सके | भारत बायोटेक ने जून में बच्चों पर ट्रायल शुरू कर दिया था और अब ट्रायल की रिपोर्ट सब्जेक्ट कमेटी को सौंप दी है |सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी ने मंगलवार को वेक्सीन को मंजूरी दे दी है | मंजूरी के बाद अब दवा नियामक अंतिम रूप से इस पर फैसला लेगा | दवा नियामक अगर इस पर मुहर लगा देता है तो कोवैक्सीन को आपात इस्तेमाल के तहत मंजूरी मिलेगी | तब जा कर देश में बच्चों के टीकाकरण का रास्ता खुलेगा | इस में कम से कम तीन महीने और लगेंगे |
दुनिया के अलग-अलग देशों में भी इसी तरह के ट्रायल्स के बाद बच्चों के लिए वैक्सीन को अप्रूवल दिया गया है , लेकिन वे सभी 12 साल से ज्यादा उम्र के बच्चों के लिए है | यूरोप में 12 से 17 साल आयु वर्ग के बच्चों के लिए मॉडर्ना की वैक्सीन को मंजूरी मिल चुकी है | फाइजर की वेक्सीन भी 12 से 15 साल आयु वर्ग के लिए है | अमेरिका फाइजर की वैक्सीन 12 साल से ज्यादा उम्र के सभी बच्चों को लगाना शुरू कर चुका है | कनाडा और इजराइल ने सब से पहले 12 साल से ज्यादा उम्र के सभी बच्चों को वैक्सीनेट करना शुरू किया था | इसके अलावा डेनमार्क, स्पेन ,आस्ट्रेलिया, चिली जैसे कई छोटे देशों ने भी बच्चों को वैक्सीनेट करना शुरू कर चुके हैं | भारत की 130 करोड़ आबादी में से 40 फीसदी 18 साल से कम उम्र के बच्चे हैं | अभी 18 साल से ज्यादा उम्र वाले सिर्फ वयस्कों का ही वेक्सीनेशन हो रहा है |
भारत में वैक्सीनेशन की कुल संख्या 100 करोड़ के करीब पहुंचने वाली है | जो दुनिया में सब से ज्यादा है | इन में से 10 करोड़ लोगों ने कोवेक्सीन लगवाई है | याद होगा , पिछले साल विपक्ष के नेताओं ने कैसे स्वदेशी कोवेक्सीन पर सवाल उठाए थे | सपा के अखिलेश यादव ने तो कोवेक्सीन को भाजपा की वेक्सीन बता कर देश के लिए खतरनाक तक बता दिया था | हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद स्वदेशी कोवेक्सीन लगवाकर देश को विशवास दिलाने की कोशिश की थी | जिस का असर भी हुआ कि कोवेक्सीन की मांग होने लगी | पर विपक्ष ने कोई सबक नहीं सीखा | इस बार भी सपा के प्रवक्ता अभिषेक सुधीर और कांग्रेस के कमरूदीन चौधरी ने बच्चों की वेक्सीन पर सवाल उठाया है | इन दोनों पार्टियों के प्रवक्ताओं ने कहा कि कोवेक्सीन को अभी भी डब्ल्यूएचओ की मंजूरी नहीं मिली , बच्चों को जोखिम में क्यों डाल रहे हो |
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