मोदी सरकार की गुगली से पाक स्तब्ध 

Publsihed: 10.May.2017, 23:16

मोदी सरकार कुलभूषण जाधव का मामला अन्तर्राष्ट्रीय कोर्ट में ले गई | पहले की अपनी सरकारें पाकिस्तान के मामले में अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट में जाने से डरती थीं | डर यह था कि कहीं नेहरू वाली गलती दुबारा न हो जाए | नेहरू कश्मीर का मसला संयुक्त राष्ट्र में ले  गए थे | जहां ब्रिटेन और अमेरिका ने पाकिस्तान की तरफ झुकते हुए जनमत संग्रह का फच्चर फंसा दिया था | वह फच्चर हमेशा के लिए नासूर बन गया है | कहीं ऐसा ना हो कि भारत अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट में चला जाए तो पाक बाकी मसले भी वहां ले जाए | सौरभ कालिया के मामले में मनमोहन सरकार पर अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट में जाने का दबाव था | मई 1999 में कारगिल में पाकिस्तान की सेना घुस आई थी | कैप्टन सौरभ कालिया तब पांच सिपाहियों के साथ पेट्रोल पर थे | जाट  रेजिमेंट के सिपाही अर्जुन राम , मूलाराम बिडियासर , नरेश सिंह सिनसिनवार ,भंवर लाल बागडिया और भीखा राम मुध उन के साथ थे | पाकिस्तानी सेना ने इन सभी छ को पकड़ लिया | भारत ने 14 मई को इन्हें लापता घोषित किया था | पाकिस्तान ने नहीं बताया कि वे उन के कब्जे में हैं | जिनेवा कन्वेंशन की धजियाँ उड़ाते हुए सभी भारतीय सेनिकों के साथ अमानवीय व्यवहार किया गया | कानों में लोहे की गर्म छड़ें डाल कर परदे फाड़ दिए गए | आँखें फोड़ दी गईं औए गुप्तांग काट दिए गए | पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि उन के शरीरों को सिगरेट से दागा गया था | होंठ काटे गए, नाक काटा गया, दांत तोड़ दिए गए | इतनी यातनाएं दी गईं कि हड्डियां टूट गईं थी | करीब 22 दिन की यातनाओं के बाद 9 जून को सभी की लाशें भारत को सौंपी गयी | इतनी यातनाओं के पुख्ता सबूत थे | ये सबूत जिनेवा और विएना कन्वेंशन का खुला उलंघन था | सौरभ कालिया के पिता एनके कालिया  ने सरकार से गुहार लगाई थी | इस के बावजूद वाजपेयी और बाद में मनमोहन सरकार अंतर्राष्ट्रीय अदालत में नहीं गयी | विदेश मंत्रालय ने पीएम को समझा दिया था कि यह द्विपक्षीय मामला है | इस लिए द्विपक्षीय मामलों में अंतर्राष्ट्रीय अदालत में नहीं जाना चाहिए | यहाँ तक कि मोदी सरकार बनने के बाद भी कालिया के परिवार ने गुहार लगाई थी | मोदी सरकार भी विदेश मंत्रालय के अफसरों की दलीलों पर चुप्पी साध गयी थी | कालिया का परिवार जब सुप्रीम कोर्ट गया तो  मोदी सरकार ने कहा यह ' प्रक्टिकल ' नहीं होगा | सौरभ कालिया के मामले में मोदी सरकार ने अभी तक फैसला नहीं किया | कुलभूषण जाधव के मामले में मोदी सरकार ने राजनीतिक फैसला किया | पहले की सरकारी नीति को बदल दिया गया | 9 मई को भारत सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट में अपील दायर कर दी | अंतरराष्ट्रीय कोर्ट के प्रमुख ने आर्टिकल 74 (4) के तहत तुरंत एक आर्डर जारी किया | इस आर्डर में कहा गया है कि पाक कोई ऐसा कदम न उठाए जो अदालत के ' प्रोविजनल ' निर्णय लेने में बाधा बने | कुछ अंतरर्राष्ट्रीय कानूनदानों की नजर में यह स्टे आर्डर नहीं है | भारत ने प्रोविजनल आदेशों की गुहार लगाई है | अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट ने पाकिस्तान को प्रोविजनल आर्डर तक कुछ नहीं करने को कहा है | अंतर्राष्ट्रीय कानूनविदों का मानना हाई कि यह आदेश न तो स्टे है, न पाकिस्तान पर बाध्यकारी | सुषमा स्वराज ने इसे स्टे मानते हुए ही कुलभूषण जाधव के परिवार को खबर की | भारत सरकार और भारत का मीडिया इसे स्टे मानता है | पाकिस्तान इसे स्टे नहीं मानता | इस के बावजूद भारत का अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट में जाना ही पाकिस्तान के लिए गुगली साबित हुआ | पाकिस्तान की सेना में हडबडी मच गयी | पाक सेना ने प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से कहा कि यह आप की जिम्मेदारी है, आप संभालो | भले ही हेग की अंतर्राष्ट्रीय अदालत का यह निर्देश, आदेश या सन्देश स्टे न हो | भले ही यह पाकिस्तान पर बाध्यकारी न हो | सच यह है कि पाकिस्तान में खलबली मची है | पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने सजा-ए-मौत का फैसला सुनाया था | अब उसे ही अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट में जा कर जवाब देना होगा | शायद इसी लिए पाक सेना ने जिम्मेदारी नवाज शरीफ पर डालने की कोशिश की | अब नवाज शरीफ को सरताज अज़ीज़ की बात याद आई होगी | सरताज अज़ीज़ ने कहा था कि कुलभूषण के खिलाफ कोइ सबूत नहीं | सरताज अज़ीज़ को दरकिनार कर दिया गया था |  लगता है नवाज शरीफ ने हाथ खड़े किए होंगे | तभी दिन भर की भागदौड़ के बाद पाक आर्मी का बयान आया | पाक आर्मी ने कहा है कि वह अंतर्राष्ट्रीय अदालत के सब सवालों का जवाब देगी | यानी पाकिस्तान आर्मी ने अन्तर्राष्ट्रीय अदालत का स्टे मान लिया है | अब बात निकली है, तो बहुत दूर तक जाएगी | पाक सेना कुलभूषण जाधव को कैसे जासूस या आतंकी साबित करेगी | यह तो दूर की बात | पहले तो पाकिस्तान को यह जवाब देना होगा कि सिविलियन का केस आर्मी कोर्ट में चला कैसे | मोदी सरकार की यह गुगली भारत की राजनीति में भी खलबली मचा गयी | 

 

आपकी प्रतिक्रिया