अजय सेतिया / शशी थरूर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसा है कि बात तो पीओके जीत कर लाने की थी | जम्मू कश्मीर से 370 हटाई गई थी तो देश में ऐसा ही माहौल बनाया गया था | जब से मोदी पीएम बने हैं , देश में आतंकवाद काबू में था | कश्मीर में पत्थरबाजी की घटनाएं जरुर हो रही थीं | पिछले दो साल से वह भी काबू में थीं | जो लोग दावा कर रहे थे कि 370 हटाने के बाद कश्मीर के हालात बेहद खराब हो जाएंगे | वहां बगावत हो जाएगी , उन्हें निराशा हाथ लगी थी | अब जब पिछले एक हफ्ते में आतंकवाद लौट आया है तो उन लोगों की बांछें खिली हैं | वे शान्ति से परेशान थे | शशी थरूर की टिप्पणी इसी ओर इशारा करती हैं | हाँ यह सच है कि हिन्दुओं और सिखों की हत्याओं ने 1989-90 की याद ताज़ा की है | जिस तरह चुन चुन कर हिन्दू –सिख मारे जा रहे हैं , उस ने 2000 में अनंतनाग के छत्तीसिंहपूरागांव में हुई 36 सिखों के नरसंहार की याद दिला दी है | पिछले एक हफ्ते की घटनाओं ने कश्मीरी पंडितों को फिर से कश्मीर में बसाने की योजना पर पानी फेर दिया है | जो कश्मीरी पंडित जम्मू के शरणार्थी शिविरों से कश्मीर लौटे थे , वे उलटे पाँव लौटने लगे हैं | मोदी सरकार के लिए यह परीक्षा की घड़ी है | उस की साख दाव पर लगी है , क्योंकि बड़ा दावा तो आतंकवाद पर काबू पाने का था | स्वाभाविक है कि सरकार में चिंता बढी है , उपराज्यपाल को दिल्ली तलब किया गया और जवाबी कार्रवाई के निर्देश दिए गए | सुरक्षा बलों ने आतंकवाद विरोधी अभियान के तहत तलाशी अभियान शुरू किया ताकि आम नागरिकों में विशवास पैदा किया जा सके | सोमवार को तलाशी दल पर भी आतंकियों ने जबरदस्त फायरिंग की | मुठभेड़ में सेना के एक अफसर और चार अन्य जवान शहीद हो गए | सवाल है कि आतंकवाद कैसे और क्यों लौट रहा है? अपन इस की तीन वजह मानते हैं | पहली यह कि अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी के बाद पाकिस्तानी आतंकियों के हौंसले बुलंद हुए हैं | खासकर तब जब तालिबान प्रवक्ता ने कश्मीर मुद्दे को मुस्लिम मुद्दा बताया है | तालिबानियों ने अफगानिस्तान में मंदिरों और गुरुद्वारों पर हमले कर के पाकिस्तान के आतंकियों की दिशा तय की है | आतंकवाद बढने की दूसरी वजह यह है कि पिछले दो साल की शान्ति से कश्मीरी पंडितों के लौटने की संभावनाएं बढी हैं | कश्मीरी पंडितों ने अपनी जमीनों पर दावे करने शुरू कर दिए हैं | मन्दिरों का पुनरोद्धार शुरू हो गया है | इसे आतंकी संगठनों ने अपनी हार के रूप में लेना शुरू कर दिया है | इस लिए वे इस टर्न्ड को रोकने के लिए कश्मीरी पंडितों में फिर से दहशत फैलाने की कोशिश कर रहे हैं | तीसरी वजह यह है कि अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के दबाव में आईएसआई ने तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान से बातचीत शुरू कर दी है | हो सकता है कि आईएसआई टीटीपी का रूख कश्मीर की तरफ करवाने में कामयाब हो गया हो | अपनी यह आशंका 15 अगस्त से ही रही थी कि अफगानिस्तान के घटनाक्रम का असर कश्मीर पर पड़ेगा | तहरीक-ए-तालिबान पश्तून को पाकिस्तान से आज़ाद करवाने की जंग लड रहा है | हाल ही के सालों में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने बलूचिस्तान और सिंध को आज़ाद करवाने में बलूचियों और सिंधियों को मदद का वायदा किया था | लेकिन अफगानिस्तान में तालिबान सरकार बनने के बाद आतंकवादियों में इस्लाम के नाम पर मुस्लिम एकजुटता की बातें होने लगी हैं | यह मुस्लिम एकजुटता अफगानिस्तान से पश्तूनिस्तान, बलूचिस्तान और सिंध से होते हुए कश्मीर तक आती है | इस लिए कश्मीर की ताज़ा घटनाओं को सिर्फ कश्मीर की दृष्टि से ही देखना गलत होगा | सीमा पर पहले जैसे हालात नहीं हैं,सुरक्षाबलों को फुल अलर्ट पर रहने की जरूरत है | कश्मीर ही नहीं बाकी देश में भी सुरक्षाबलों को अलर्ट पर रहना होगा |
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