भाजपा हारी,पर चुनाव आयोग की साख बची 

Publsihed: 10.Aug.2017, 09:57

अहमद पटेल राज्यसभा का चुनाव जीत गए | अमित शाह ने पूरी कोशिश की थी कि अहमद पटेल न जीत पाएं | पटेल को हराणे  के लिए उन्होंने बलबीर राजपूत को भाजपा का उम्मीन्द्वार बनाया था | बलबीर राजपूत कांग्रेस के विधायक थे | वह कांग्रेस से इस्तीफा देते ही भाजपा के राज्यसभा उम्मीन्द्वार बन गए | गुजरात विधानसभा की सीटों के मुताबिक़ भाजपा दो सीटें जीत सकती थीं | इसलिए भाजपा संसदीय बोर्ड ने 27 जुलाई को दो ही उम्मीन्द्वार तय किए थे | केम्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के अलावा अपने अध्यक्ष अमित शाह को उम्मीन्द्वार बनाया था | अपन ने उसी दिन लिखा था कि बलबीर राजपूत भाजपा का तीसरा उम्मीन्दवार तय हो सकता है | और अगले दिन अमित शाह ने गांधी नगर जा कर बलबीर राजपूत को भाजपा का उम्मींद्वार बना दिया | अपन नहीं जानते कि संसदीय बोर्ड ने मंजूरी दी थी या नहीं | भाजपा में संसदीय बोर्ड ही उम्मीन्द्वारों का फैसला लेता है | भाजपा में अमित शाह की छवि चाणक्य की बन चुकी है | रणनीति में प्रमोद महाजन ने अच्छी छवि बनाई थी | प्रमोद महाजन ने अपनी छवि चुनाव जीतने वाले मनेजर की बना ली थी | पर प्रमोद महाजन को चाणक्य तो किसी ने नहीं कहा था | महाजन का 2004 में चला दाव उलटा पडा था | भाजपा लोकसभा चुनाव हार कर दस साल सत्ता से बाहर रही | अमित शाह की ताकत प्रमोद महाजन से कहीं ज्यादा है | उनने असम,अरुणांचल,गोवा में सरकारें बना कर दिखा दीं | यूपी जीत कर करिश्मा किया | इस लिए अमित शाह की हर रणनीति को अचूक माना जाने लगा | अपन को पता नहीं कि अमित शाह की तीसरा उम्मीन्द्वार खडा करने की रणनीति को बोर्ड की मंजूरी थी या नहीं | पर उन ने तीसरा उम्मीन्द्वार खडा किया, तो किसी ने सवाल नहीं किया | अपन ने भाजपा के कई नेताओं से बात की | करीब करीब सभी का कहना था कि भाजपा अध्यक्ष की रणनीति पर किसी को शक नहीं था | अमित शाह ने सोच-समझ कर ही रणनीति बनाई होगी | पर रणनीति धरी रह गई | गुजरात के कांग्रेस नेता शक्ति सिंह गोहिल ज्यादा बड़े चाणक्य साबित हुए | वैसे कोई अपन से पूछे ,तो शक्ति सिंह गोहिल की रणनीति ने ही अहमद पटेल को जीताया | बावजूद इस के कि राज्यसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस तहश नहश हो गई थी | तेरह विधायक साथ लेकर शंकर सिंह वाघेला एन मौके पर कांग्रेस छोड़ गए | अपन ने 27 जुलाई को तभी लिखा था कि क्या अहमद पटेल को हरा पाएंगे वाघेला | वाघेला ने 21 जुलाई को अपने जन्मदिन पर कांग्रेस छोड़ दी थी | वह अहमद पटेल को हराने के इरादे से ही कांग्रेस से बाहर गए थे | उन ने अमित शाह से मिल कर रणनीति बनाई थी | अपने गुट के  छह विधायकों के इस्तीफे इसलिए करवाए ताकि चुनाव 47 की बजाए 45 वोटों से जीता जा सके | हालांकि अब सोचते होंगे कि वह रणनीति गलत थी | अहमद पटेल के सामने 47 वोट का टारगेट होता , तो वह कभी न जीत पाते | पर बाद में शाह और वाघेला की यह रणनीति सॉलिड थी कि अहमद पटेल किसी भी तरह 45 वोट न पा सकें | भाजपा का एक विधायक अहमद पटेल को वोट न देता | तो अहमद पटेल 43 वोटों पर अटक जाते | बेगलूर घूमने गए 44 कांग्रेसी विधायकों में से तीन ने भाजपा को वोट दिया | अहमद पटेल के पास कांग्रेस के तो 41 विधायक ही बचे थे | एक वोट एनसीपी, एक वोट जदयू और एक वोट भाजपा के बागी का मिला | तब जा कर अहमद के वोट 44 हुए | जीतने के लिए 45 वोट चाहिए थे | शक्ति सिंह गोहिल कांग्रेस के चुनाव इंचार्ज थे | उन ने वाघेला कैम्प के भोलाभाई और राघवजी को उकसा कर भाजपा को वोट दिखवा दिया | वैसे भोलाभाई और राघव ने वोट शक्ति सिंह को ही दिखाया था | शक्ति सिंह ने उन्हें उकसाया-" वोट भाजपा को दिया है, तो भाजपा को दिखाओ |" और वे सचमुच भोले निकले | शक्ति सिंह शिकायत दर्ज कर बैठ गए | शाम को जब देखा कि अहमद भाई तो हार रहे हैं | तो उन ने दो वोट रद्द करवाने की मुहिम शुरू की | कांग्रेस ने दिल्ली में बवाल खडा कर दिया | वैसे तो चुनाव आयोग पर मोदी सरकार का पूरा दबाव था | छह मंत्री चुनाव आयोग जा बैठे थे | पर कांग्रेस ने भी जीवन-मरन का सवाल बना कर आयोग को घेरा | आयोग के सामने भी साख का सवाल था | उस ने दोनों वोट रद्द कर अपनी साख बचाई | जैसे ही चुनाव आयोग ने दो वोट रद्द किए , जीतने के लिए वोटों की जरुरत 45 से घट कर 44 हो गई | और इस तरह अहमद पटेल जीत गए | भाजपा हार गई , साथ हारे अमित शाह और शंकर सिंह वाघेला | अगर वोट रद्द न होते, तो दूसरी तरजीह के वोट गिने जाते | जिस में बलबीर राजपूत के वोटों की तादाद 91 बढ़ जाती | अमित शाह और स्मृति ईरानी के सभी 91 भाजपा विधायकों ने दूसरी तरजीह बलबीर राजपूत को दी थी | 

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