यह बवाल खडा होना ही था ,और हो गया

Publsihed: 10.Jul.2018, 16:25

अजय सेतिया / अगर वह मुकेश अम्बानी नहीं होते तो यह सम्भव ही नहीं था | बाबा रामदेव को नोयडा में अपना यूनिट लगाने में नानी याद आ गई | आखिर उन्हें यूनिट उत्तराखंड में ही ले जाने की धमकी देनी पडी | तब जा कर योगी सरकार की नींद खुली और अफसरों को जल्द कार्रवाई की धमकी मिली | सोचो नोयडा में वही यूनिट बाबा रामदेव की बजाए मुकेश अम्बानी का होता तो क्या होता | या अडानी का होता तो क्या होता | जब से मुकेश अम्बानी ने जियो के इश्तिहार में मोदी का फोटो इस्तेमाल किया है तब से देश में सुग्बुबाह्त थी | मोदी सोशल मीडिया में कटघरे में थे ही, विपक्ष भी खुलेआम आरोप लगा रहा था | अब बिना खुले ही मुकेश अम्बानी के इंस्टीच्यूट को सर्वश्रेष्ठ की मान्याता मिल गई तो बवाल खड़ा हो गया है |

जियो इंस्टीट्यूट अभी खुलना है | पर उसे पहले ही आईआईटी दिल्ली और आईआईटी मुंबई के बराबर इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस का दर्जा मिल गया | यानी उत्कृष्ट संस्थान का दर्जा | क्या दुनिया के किसी भी देश में ऐसा सम्भव है | दुनिया तो छोडी , भारत में भी पहले ऐसा कभी सम्भव नहीं हुआ था | सोमवार को जैसे ही यह खबर आई मोदी समर्थकों तक में बवाल मचा हुआ है | सोशल मीडिया में मोदी सरकार मजाक का पात्र बन गई है | यशवंत सिन्हा अगर यह सवाल उठाएं तो आप उसे मोदी विरोधी कह कर टाल नहीं सकते | जैसे अमर्त्यसेन के उठाए सवालों को मोदी विरोधी कह कर टाल दिया जाता है | मंगलवार को यशवंत सिंहां ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला | ट्विट कर के उन्होंने पूछा कि क्या अंबानी भगवान हैं? उन ने अपने ट्विट में लिखा-“ जब जियो इंस्टीट्यू की अभी स्थापना नहीं हुई है | उसका अस्तित्व नहीं है | फिर भी सरकार ने उसे एमिनेंट टैग दे दिया | ये मुकेश अंबानी होने का महत्व है |

यह खबर तो पहले से आई थी कि सरकार कुछ संस्थानों को इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस का दर्जा देगी | तभी खबर आई थी कि मुकेश अम्बानी जियो इंस्टीच्यूट खोल रहे हैं | यह तो किसी ने नहीं सोचा होगा कि इन दोनों ख़बरों का आपस में कोई मेल है | मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सोमवार को छह संस्थानों को इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस का दर्जा दिया |  इसमें आईआईटी दिल्ली, आईआईटी बंबई, आईआईएससी बेंगलोर, मनिपाल एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन, बिट्स पिलानी थे | जपो पुराने स्थापित इंस्टीच्यूट तो है ही | उन का दबदबा भी है | पर छटा नाम जियो इंस्टीट्यूट का चौंकाने वाला था | अब जियो इंस्टीट्यूट को लेकर विवाद शुरू हो गया | जो अभी बना ही नहीं है उसे आईआईटी के समकक्ष कैसे रखा जा सकता है | कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी पर अपने उद्योगपति दोस्त को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया है |

सरकार कटघरे में है और सफाई देने की हिम्मत नहीं है | मंत्री ने अपना मुहं सील कर लिया है | उच्च शिक्षा सचिव आर सुब्रमण्यम से सफाई दिलाई गई है | उस ने सफाई देते हुए कहा कि ये दर्जे तीन श्रेणियों में दिए गए हैं। 'पहली श्रेणी सरकारी संस्थानों की है | दूसरी श्रेणी निजी संस्थानों की है, जिसमें बिट्स पिलानी और मणिपाल जैसे संस्थान हैं | जियो इंस्टीट्यू को तीसरी श्रेणी में रखा गया है | तीसरी श्रेणी ऐसे ग्रीनफील्ड प्राइवेट इंस्टीट्यूट की है, जो अभी चालू नहीं हुए हैं | पर जिनकी निजी निवेश के जरिए वैश्विक स्तर का संस्थान बनाने की इच्छा हो | यह तो मुहं छुपाने वाली बात हुई | क्या किसी के इच्छा जताने से इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस का दर्जा मिल सकता है | अब अपन खुलासा कर दें | ग्रीनफील्ड कटेगरी में भी सिर्फ मुकेश अम्बानी का नहीं , अलबत्ता 11 प्रस्ताव आए थे | पर उन में से चुना गया सिर्फ जियो को | इतना ही नहीं जियो को अपना इंस्टीट्यूट बनाने के लिए तीन साल का ग्रेस पीरियड भी दिया गया है | यानि मामला वही है, क्योंकि वह मुकेश अम्बानी हैं |

अपन नहीं जानते कि वे बाकी 10 लोग कौन थे , जिन ने ग्रीनफील्ड कटेगरी में प्रस्ताव भेजा था | पर निश्चित रूप से वे मुकेस्घ अम्बानी जैसे तो नहीं रहे होंगे | हो सकता है, उन में बाबा रामदेव भी हों | अगर बाबा रामदेव भी प्रस्तावकर्ता हुए , तो बवाल और बड़ा होगा |

 

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