हिमाचल तो निपट गया, अब गुजरात की बारी

Publsihed: 09.Nov.2017, 23:21

अजय सेतिया / हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव तो निपट गए | शाम 6 बजे वोटिंग खत्म हुई  | तब तक 74 फीसदी वोटिंग की खबर थी | पांच साल पहले हुए चुनावों से सिर्फ आधा फीसदी ज्यादा | नवम्बर में चुनाव करवाने का फैसला पिछली बार यानि 2012 में हुआ था | उस से पहले दिसम्बर में चुनाव हुआ करते थे | दिसम्बर में लाहौल स्पिति जैसे क्षेत्रों में बर्फ पड जाती थी | इस लिए तीन विधानसभा क्षेत्रों के चुनाव बर्फ पिघलने के बाद होते थे | छोटी  विधानसभा में कभी तीन सीटें ही सत्ता का संतुलन बदल सकती है | इस लिए बर्फ पड़ने से पहले ही चुनाव निपटाने का सही रास्ता निकाला गया |  2012 में हुए चुनाव में 73.5 फीसदी वोट पड़े थे | इस बार 74 फीसदी का आंकडा आया है | वैसे तो अपना शुरू से ही अनुमान था कि भाजपा का पलड़ा भारी रहेगा | बाद में सर्वेक्षणों की रिपोर्ट भी भाजपा के पक्ष में आई | आम तौर पर सारे सर्वेक्षण भाजपा को 40 के आसपास सीटें दे रहे हैं | बाकी 28 कांग्रेस को | पर चुनाव से पहली रात कांग्रेस ने एक सर्वेक्षण जारी करवाया | आचार संहिता के कारण सर्वेक्षण चोरी छिपे जारी हुआ | आजकल सोशल मीडिया से कोई भी अफवाह उड़ाना कहाँ मुश्किल है |  उस सर्वेक्षण में कांग्रेस को 39 और भाजपा को 29 सीटें थी | यानि न्यूज चनैलों से एक दम उलट | हारता हुआ खेमा आखिर में हर डाव चलता है | चुनावों के पुराने धुरंधर आख़िरी रात को कत्ल की रात कहा करते थे | पर आज कल कोई ऐसा कह दे | तो अनाडी विजुअल मीडिया बवाल खडा कर दे | पर कत्ल की रात का कांग्रेस ने बाखूबी इस्तेमाल किया | अगर उसे इस से कोई फायदा हो तो | खैर चुनाव निपट गए | भाजपा की चुनावी फौजें बुधवार की रात ही गुजरात कूच कर गई थी | राजस्थान के भाजपा नेता जोगेश्वर गर्ग हिमाचल के ऊना में थे | अपन ने फोन कर के पूछा -क्या राजस्थान पहुंच गए | तो उन का जवाब था-" मैं तो गुजरात पहुंच चुका हूँ |" इसी तरह उत्तराखंड के मंत्री धन सिंह रावत, प्रकाश पन्त हिमाचल में डेरा डाले थे | दो-तीन दिन के लिए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अजय भट्ट भी वहीं थे | उत्तराखंड के मुस्लिम नेता शादाब शम्स भी हिमाचल में डेरा डाले रहे | सब वोटिंग से एक दिन पहले अपने अपने ठीकाने लौट गए | बाहरी राज्यों से हिमाचल पंहुचे कांग्रेस के लोग भी गुजरात कूच कर गए | वैसे कांग्रेस के ज्यादातर लोग पंजाब से पहुंचे थे | जिन का गुजरात में क्या काम | अब बात दावों की | तो जितने आशावान प्रेम कुमार धूमल हैं | उतने ही आशावान वीरभद्र सिंह भी हैं | दोनों ने दावों में एक दुसरे को मात दी | जब तक रिजल्ट नहीं आता , ताल ठोकने में हर्ज ही क्या है | जब रिजल्ट आ जाएगा | तो हारा हुआ या तो वोटिंग मशीन पर ठीकरा फोड़ेगा | या हार कबूल कर लेगा | वैसे अब वोटिंग मशीन का बहाना नहीं चल सकता | केजरीवाल ने पंजाब की हार का नजला वोटिंग मशीन पर उतारा था | तो मांग वीवी पेट मशीन की थी , जो वोटिंग मशीन के साथ लगी होती है | वहां से एक पर्ची निकलती है जो बता देती है कि वोट किसे पड़ा | यानि वः मशीन उन सब आरोपों को दफन कर देगी | जो कहते हैं, वोट तो कांग्रेस को दिया था, पर पडा भाजपा को | तो चुनाव आयोग ने भी इस बार चतुराई की | बीमारी ही खत्म कर दी | हर बूथ पर वोटिंग मशीन के साथ वीवी पेट जोड़ दी | न रहेगा बांस, न बजेगी बांसुरी | पर चुनाव आयोग वीवीपेट में उलझा रहा और उधर मशीनों की खराबी की  शिकायतें आने लगीं | कई जगहों से खराब मशीनों की शिकायत आई | तो वोटिंग में रुकावट हुई | वोटरों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ |  चंबा के रावमापा कोल्हड़ी में मशीन खराब हुई | इसके बाद सिरमौर के सेर मनोण, चाखल डूंगीसेर में ईवीएम मशीनों में काफी दिक्कत आई  | पर फिलहाल वोटिंग के बाद  के दावों की बात | प्रेम कुमार धूमल को भाजपा अध्यक्ष ने वोटिंग से सिर्फ आठ दिन पहले प्रोजेक्ट किया | तब तक धूमल और जेपी नड्डा को लेकर भाजपा वर्करों में भी कन्फ्यूजन बना हुआ था | वह कन्फ्यूजन दूर न होता , तो भाजपा चारों खाने चित्त थी | पर जब धूमल प्रोजेक्ट हो गए | तो जहां भाजपा वर्करों का मनोबल ऊंचा हुआ | वहां खुद धूमल के चेहरे पर रौनक आ गई थी |  भाजपा के पोस्टरों पर मोदी, अमित शाह के साथ धूमल के फोटो आ गए | वोटिंग के बाद प्रेम कुमार धूमल आत्म विशवास से लबालब थे | उन ने दावा किया कि भाजपा का लक्ष्य 50 सीटें पाने का था | पर अब लगता है हम 60 का आंकड़ा पार कर सकते हैं | हालांकि वीरभद्र ने सीटों का दावा तो नहीं किया | पर जीत का भरोसा जताते हुए कहा -" अगली सरकार भी कांग्रेस की ही होगी |" अब आप दावे के जोश से अंदाजा लगाना चाहें , तो अपन ने दोनों का दावे का अंदाज बता दिया | 

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