चिराग का राजनीतिक भविष्य ?

Publsihed: 09.Oct.2020, 20:25

अजय सेतिया / रामविलास पासवान के निधन से मोदी सरकार में गुणात्मक परिवर्तन आया है | अगर अपन राज्य मंत्री रामदास अठावले को छोड़ दें तो नरेंद्र मोदी की राजग सरकार में अब राजग का कोई सदस्य नहीं है | कृषि बिलों पर उपजे विवाद के कारण अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल के इस्तीफे से पहले पिछले साल महाराष्ट्र में अपनी सरकार बनाने के लिए शिवसेना के अरविन्द सांवत ने भी मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था | राजग में होने और 2019 का लोकसभा चुनाव साथ लड़ने के बावजूद जनता दल खुद मंत्रिमंडल में शामिल नहीं हुआ था , और अपना दल की एक मात्र कुर्मी सांसद अनुप्रिय पटेल को नरेंद्र मोदी ने मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया था , जबकि वह उन की पहली टर्म में स्वास्थ्य राज्य मंत्री थी |

राम विलास पासवान पिछले कई सालों से राजनीतिक मौसम विज्ञानी के तौर पर मशहूर हो गए थे , क्योंकि वह राजनीतिक हवा के रूख को सब से पहले भांपते थे और तुरंत पाला बदल लेते थे | वह अपने जीवन में 1984 और 2009 के आम चुनावों के अलावा 1985 में बिजनौर और 1987 में हरिद्वार के उपचुनाव भी हारे । इस तरह बिहार से बाहर दलित नेता बनने का उनका प्रयास विफल रहा , लेकिन वह 9 बार लोकसभा का चुनाव जीते और सर्वाधिक मतों से जीतने का विश्व रिकॉर्ड भी बनाया । 1977,1980,1989, 1991,1996,1998,1999,2004, 2014 के लोकसभा चुनाव जीत कर कांग्रेस , भाजपा और तीसरे मोर्चे की केंद्र सरकारों में छह प्रधानमंत्रियों के मंत्रिमंडल में मंत्री रहे | 2009 का चुनाव हारने के बाद राज्यसभा में आए और अभी भी वह दूसरी बार राज्यसभा सभा सदस्य थे क्योंकि उन्होंने 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लडा। 

रामविलास पासवान के निधन के बाद यह दिलचस्प विवाद खड़ा हो गया है कि वह 23 साल की उम्र में विधायक कैसे बन गए थे , सभी जगह उन का जन्मदिन 5 जुलाई 1946 बताया गया है , 26 मार्च 2016 को राम विलास पासवान ने ट्विटर पर खुद लिखा था कि –“ 1969 मे मेरा DSP मे और MLA दोनो मे एक साथ चयन हुआ | तब मेरे एक मित्र ने पूछा कि बताओ Govt बनना है या Servant ? बस तभी मैंने राजनीति ज्वाइन कर ली |” जबकि संविधान के अनच्छेद 173 के अनुसार विधायक चुने जाने की नियुन्तम आयु 25 साल है और जन्मतिथि के अनुसार 1969 में वह 23 साल के ही बनते हैं |

रामविलास पासवान का निधन ऐसे समय पर हुआ है , जब उन का राजनीतिक वारिस उन का बेटा चिराग पासवान पहली बार विधानसभा चुनावों में पार्टी का नेतृत्व कर रहा है | वह भी राजग से बाहर निकल कर , हालांकि उन्होंने केंद्र में राजग का सदस्य बने रहने का एलान किया है और लगातार नरेंद्र मोदी की तारीफ़ कर रहे हैं | लेकिन राजनीतिक गलियारों में यह आशंका बनी रही है कि नीतीश कुमार को विधानसभा में राजनीतिक तौर पर कमजोर करने के लिए चिराग पासवान भाजपा का ही गेम खेल रहे हैं | अपने पिता से राजनीतिक ट्रेनिंग लेने वाले चिराग का यह बयान राजनीतक बम था कि चुनावों के बाद लोजपा के समर्थन से भाजपा सरकार बनेगी | चुनावों में इस तरह की आशंकाए अविश्वास की गहरी खाई पैदा कर देती है , इसलिए भाजपा को एकतरफा एलान करना पड़ा कि भले ही जनता दल यू की भाजपा से कम सीटें आएं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही बनेंगे |

बिहार विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद और शीत सत्र से पहले मोदी मंत्रिमंडल में बड़ा फेरबदल होने की उम्मींद है | पंजाब से भाजपा का एक लोकसभा और एक राज्यसभा सांसद है, लेकिन दोनों का राजनीतिक कद नहीं है | तो पंजाब से कौन नेतृत्व करेगा , क्या अमरेन्द्र सिंह से नाराज चल रहे नवजोत सिंह सिद्धू की भाजपा में वापसी होगी , क्योंकि वह अकाली दल से गठबंधन न तोड़ने के कारण ही भाजपा छोड़ कर गए थे या फिर अविनाश राय खन्ना को किसी अन्य राज्य से राज्यसभा में ला कर मंत्री बनाया जाएगा | मध्यप्रदेश से ज्योतिरादित्य सिंधिया को मंत्रीमंडल में लिया जाना तय ही है |

देखना है कि राजग के किस किस दल को मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी , क्या अनुप्रिय पटेल को मंत्रिमंडल में लिया जाएगा, क्या वह चिराग पासवान को मंत्रिमंडल में लेंगे | क्या जनता दल यू केन्द्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होगा | नीतीश कुमार की कार्यशैली को जानने वाले जानते हैं कि वह एन चुनाव के वक्त धोखा देने वाले चिराग पासवान को मंत्री नहीं बनाए जाने की सशर्त रख सकते हैं | लेकिन काफी हद तक इस बात पर निर्भर रह सकता है कि चिराग पासवान जाति के वोट अपने साथ बनाए रख सकेंगे या रामविलास पासवान की मौत के बाद पासवान जाति के वोट लालू यादव की राजग को चले जाएंगे | अगर वह अपना प्रभावी नेतृत्व साबित नहीं कर पाए तो मोदी मंत्रिमंडल में लिए जाने की वैसे भी कोई सम्भावना नहीं होगी |

 

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